कमेटी के पदाधिकारियों का चुनाव अस्वीकार- धामी
अमृतसर। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने सरकारी हस्तक्षेप से बन रही हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पदाधिकारियों के बुधवार के चुनाव को खारिज करते हुए कहा कि सिख समुदाय ऐसी किसी भी सरकारी कमेटी को स्वीकार नहीं करेगा और इसका विरोध जारी रखेंगे।
शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने बुधवार को कहा कि सिख विरोधी वैचारिक शक्तियों और सरकारों के हस्तक्षेप से जबरदस्ती बनाई जा रही अलग हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी सिखों के हित में नहीं है। उन्होने कहा कि यह पंथिक संस्थाओं को तोड़ने की चाल है, सिख समुदाय द्वारा व्यक्त की गई आशंका की पुष्टि आज सरकार द्वारा अपने पदाधिकारियों के चुनाव से हो गई है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अनुसार यह चुनाव हरियाणा सरकार द्वारा गुरुघर के बजाय कुरुक्षेत्र के उपायुक्त कार्यालय में कराया गया है, जिससे साबित होता है कि हरियाणा कमेटी का सांप्रदायिक सरोकार से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह चुनाव सरकार के सीधे हस्तक्षेप के तहत कराया जा रहा है।
शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष ने कहा कि पंथक समारोह सरकारी कार्यालयों में नहीं होते बल्कि पंथिक परंपराओं के अनुसार गुरु साहिब की उपस्थिति में किए जाते हैं। अधिवक्ता धामी ने कहा कि हमने पहले कहा था कि हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी आरएसएस के इशारे पर स्थापित किया जा रहा है जिसकी पुष्टि आज हो गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा की भाजपा सरकार सिख मुद्दों को सीधे अपने हाथ में लेना चाहती है और अपनी मनमर्जी से चलाना चाहती है, लेकिन सिख समुदाय का इतिहास है कि उसने कभी भी सरकारी दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की। एडवोकेट धामी ने हरियाणा के सिख नेताओं से आग्रह किया कि वे आरएसएस और उनकी राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकारों द्वारा सिखों के मामलों में हस्तक्षेप की चल रही रणनीति को समझें। उन्हें बलिदानों से स्थापित अपनी संस्थाओं की सुरक्षा के लिए वही राष्ट्रीय एकता दिखानी चाहिए, जैसे जगदीश सिंह झींडा ने किया है। उन्होंने कहा कि अब भी इस मामले में हरियाणा के सिख नेताओं को अकाल तख्त साहिब के नेतृत्व में आकर चर्चा और संवाद को आगे बढ़ाना चाहिए। एडवोकेट धामी ने कहा कि हरियाणा के सिखों का शिरोमणि कमेटी और खुद का बहुत सम्मान है, जो हमेशा रहेगा।