हिमाचल: सेब रसीले, रिश्ते नीरस

हिमाचल: सेब रसीले, रिश्ते नीरस
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लखनऊ। हिमाचल प्रदेश में इन दिनों अरली वैरायटी का सेब मार्केट में आ गया है। यह सुर्ख लाल सेब हिमाचल की पहचान है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है रस से भरा होना। मीठा बहुत नहीं होता लेकिन रसीला बहुत होता है। फलमंडियों में यह फल पहुंच गया और अच्छी कीमत भी मिल रही है। जयराम ठाकुर की सरकार ने इसके निर्यात की भी व्यवस्था कर दी है। प्रकृति में रस भरा है लेकिन उसके आसपास रहने वाले नीरस हो रहे हैं। राजनीति के लिए राज्य का सबसे चर्चित क्षेत्र मण्डी है। यहां पर कांग्रेस के नेताओं में अध्यक्ष पद को लेकर रिश्ते नीरस हो गये हैं। मण्डी क्षेत्र में कभी पंडित सुखराम शर्मा की राजनीति चलती थी, अब नयी पीढ़ी के नेता आश्रय शर्मा हैं। कौल सिंह ठाकुर उन्हें आगे नहीं बढ़ने देना चाहते हैं।

हिमाचल प्रदेश में एक तरफ कौल सिंह ठाकुर दोबारा हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की तरफ अपने कदम बढ़ा रहे हैं और दूसरी तरफ आश्रय शर्मा उन्हें पीछे धकेलने में लगे हुए हैं। कौल सिंह ठाकुर भी दिल्ली तक अपनी पहुंच रखते हैं और आश्रय शर्मा भी। ऐसे में राजनैतिक रूप से एक-दूसरे को पीछे धकेलने में दोनों ही नेता एडी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इसके साथ ही आश्रय ने जिला में संगठन को ही अपने कब्जे में लेने की कवायद शुरू कर दी है। दूसरी तरफ कौल सिंह ठाकुर की बेटी चंपा ठाकुर ने भी सदर में अपनी अच्छी पैंठ बना ली है। ऐसे में सियासी रंजिश और ज्यादा बढ़ गई है। दोनों परिवारों ने फिर से सियासत की तलवारें खींच ली हैं, ऐसे में आने वाले समय में इस पुरानी रंजिश का नया स्वरूप सभी को प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिलेगा।मंडी जिले में पंडित सुखराम शर्मा और कौल सिंह ठाकुर के परिवारों के बीच राजनैतिक तौर पर जो दुश्मनी है, वह पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती हुई नजर आ रही है। इन दोनों परिवारों के बीच 2019 में हुए लोकसभा चुनावों के दौरान समझौता हो गया था। सुखराम और कौल सिंह ठाकुर ने आपस में बैठकर सभी पुरानी बातों को भुलाकर नई शुरूआत करने का निर्णय लिया था, लेकिन लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद अब जो हालात पैदा हुए हैं, उसमें यह समझौता पूरी तरह से धराशायी हो गया है और फिर से इन परिवारों के बीच राजनैतिक युद्ध शुरू हो गया है। प्रदेश कांग्रेस के नेतृत्व पर अंगुली उठाते हुए मंडी जिले के आठ नेताओं ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को पत्र भेजकर मांग की है कि प्रदेश कांग्रेस की कमान पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह को सौंपी जाए। इससे पहले भी मंडी जिले के इन नेताओं ने राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर प्रदेश कांग्रेस पर सवाल उठाए थे। यह पत्र राहुल को प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए लिखा गया था। मंडी जिले के दो पूर्व मंत्रियों, कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व विधायक सहित आठ नेताओं ने राहुल गांधी को पत्र भेजा है। इसमें कहा है कि हम मंडी जिले से संबंधित हैं। देश की आजादी के बाद से पहली बार इस समय यहां से कोई भी कांग्रेस विधायक नहीं है। वर्तमान में मंडी जिले से भाजपा के मुख्यमंत्री भी हैं। जिले में प्रदेश कांग्रेस की बहुत ही दयनीय स्थिति है। पत्र में लिखा है कि आपका ध्यान इस ओर आकर्षित करना चाहते हैं कि कौल सिंह प्रदेश कांग्रेस में पिछले 40 साल से सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने विशेष प्रयास और कड़ी मेहनत से दो बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहकर पार्टी को मजबूत बनाया है। कौल सिंह दो बार विधानसभा अध्यक्ष, तीन बार कैबिनेट मंत्री और दो बार प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।

बताया जा रहा है कि मंडी कांग्रेस के नेताओं को मीडिया में जाना भारी पड़ सकता है। जिला मंडी के एक दर्जन नेताओं को प्रदेश कांग्रेस की तरफ से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। इनमें पार्टी के पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर की बेटी सहित पूर्व मंत्री मनसाराम और पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इन नेताओं से नोटिस का जवाब 15 दिन के भीतर मांगा गया है। नोटिस का जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाने पर मामला पार्टी अनुशासन समिति के पास सौंपा जाएगा।

उल्लेखनीय है कि ये वही नेता हैं, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेजने के बाद मीडिया में भी चले गए थे। इन नेताओं को पार्टी की तरफ से नोटिस भेजे गए हैं। पूर्व अध्यक्ष कौल सिंह की बेटी चंपा ठाकुर, पूर्व मंत्री मनसाराम, पूर्व विधायक सोहनलाल, दीपक शर्मा, पवन ठाकुर, जगदीश रेड्डी, जीवन लाल ठाकुर, लाल सिंह कौशल, सुमन चैधरी, संजीव गुलेरिया, विजयपाल ठाकुर और वीना शर्मा शामिल हैं।

कांग्रेस को जब जन हित में एकजुट होकर संघर्ष करने की जरूरत है, तब वे आपस में ही लड रहे हैं। मंडी-क्षेत्र में ही कीरतपुर से मनाली तक बन रहे फोरलेन में कहीं अच्छा काम हो रहा है तो कहीं नियमों की ऐसी धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिससे लोगों की सुरक्षा के साथ सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। मंडी से सात मील के बीच जारी कटिंग वर्क के कार्य को केएमसी कंपनी कर रही है और यहां पर एनएचएआई के नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। हालांकि, यहां की भौगोलिक परिस्थितियां थोड़ी विपरीत हैं, जिस कारण कार्य करना चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इस चुनौती से पार पाने के लिए जो नियम निर्धारित किए गए हैं, उनका किसी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। रोड़ कटिंग में सुरक्षा के मानकों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, न तो मौके पर कोई सुरक्षा कर्मी मौजूद रहता है और न ही किसी तरह की बैरिकेटिंग की गई है। कई बार तो पहाड़ पर कटिंग का कार्य चला होता है और नीचे हाईवे से वाहनों को गुजारा जा रहा होता है। यहां अधिकतर समय लंबा जाम, आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बना रहता है। इन सब बातों से बेखबर कांग्रेस के नेता लड रहे हैं।

कौल सिंह ठाकुर पर आरोप लगता रहा है कि इन्होंने पंडित सुखराम का साथ न देकर उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने से रोक दिया था। वैसे यह बात 1993 की है, जब मंडी जिला से कांग्रेस ने 9 सीटें जीती थीं और एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी। उस वक्त सुखराम का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय था, लेकिन कहा यह भी जाता है कि सुखराम ने जिले के तीन नेताओं को एक ही विभाग का लालच देकर अपनी तरफ करने की कोशिश की थी, जिसके कारण ही उन्हें इनके विरोध को झेलना पड़ा और सीएम बनते-बनते रह गए थे। उसके बाद से ही सुखराम और कौल सिंह ठाकुर के बीच 36 का आंकड़ा हो गया और यह एक दूसरे के राजनैतिक दुश्मन बन बैठे।

इसी दुश्मनी के बीच हिमाचल प्रदेश की पहचान बन चुका रसीला सेब मार्केट में उतर गया है। अरली वैरायटी का सेब मार्केट में आ गया है, जिसे चोखे दाम मिल रहे हैं। खूबसूरत लाल-लाल सेब हिमाचल की पहचान है, जो फल मंडियों की शोभा बढ़ाने के लिए मार्केट में मिल रहे हैं। बागवानों को अच्छे खासे दाम मिले हैं। टाइडमैन सेब प्रति बॉक्स 1900 से 2 हजार के हिसाब से बिका, जो पिछले साल की तुलना में 400 रुपये से लेकर 500 रुपये ज्यादा है। काश, यह बात राजनीतिकों की भी समझ में आती कि सरस होने से कीमत बढती है और नीरस होने से कीमत घट जाती है।

(अशोक त्रिपाठी-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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