एक देश - एक चुनाव कैबिनेट से पास - कैसे होगा लागू तो पढ़िए खबर
नयी दिल्ली। वन नेशन - वन इलेक्शन को लेकर आज देश भर में चर्चा बनी रही। चर्चा इसलिए बनी रही कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति के देश में वन नेशन - वन इलेक्शन की रिपोर्ट आज केंद्र की मोदी सरकार ने अपनी कैबिनेट में पास कर दिया है। क्या है वन नेशन - वन इलेक्शन, कमेटी ने किस तरह अपनी संस्तुति की और केंद्र की मोदी सरकार क्यों वन नेशन - वन इलेक्शन को लागू करना चाहती है। यह सवाल आज सभी लोगों के जहन में दौड़ रहा हैं लेकिन हम आपको बताएंगे वन नेशन - वन इलेक्शन की रिपोर्ट में क्या कहा गया है, कैसे यह लागू होगी और इसके लागू होने के बाद किस तरह से चुनाव कराए जाएंगे,वन नेशन - वन इलेक्शन, कमेटी ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से नगर और ग्राम पंचायत के इलेक्शन को क्यों अलग रखा है।
एक देश - एक चुनाव यानी वन नेशन - वन इलेक्शन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन के दौरान वन नेशन - वन इलेक्शन के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों को एक साथ आने की अपील की थी । बीते लोकसभा चुनाव में भी भाजपा एक देश - एक चुनाव की बात अपनी चुनावी रैलियां में करती रही। सितंबर 2023 में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई। इस कमेटी में गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद सहित कई विशेषज्ञों को इस कमेटी में रखा गया था हालांकि बाद में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपना नाम इस कमेटी से वापस ले लिया था। सितंबर 2023 में बनी इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 साढ़े 18 हजार पन्नों की एक रिपोर्ट तैयार की और इस रिपोर्ट को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को सौंप दिया था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली कैबिनेट ने इसे अपनी मंजूरी दे दी है यानी केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। अब इस बिल को कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया जाएगा । केंद्र सरकार से जुड़े भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार अगले शीतकालीन सत्र में इस बिल को संसद में लेकर आएगी।
दरअसल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने एक देश - एक चुनाव के तहत लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साल 2029 में दो चरणों में कराने की सिफारिश की है। इसके साथ ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव खत्म होने के 100 दिन के भीतर नगर पालिका और स्थानीय पंचायती के चुनाव कराए जाने की भी सिफारिश की है। रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सुझाव दिया है कि इसके लिए संविधान में अनुच्छेद 82 ए जोड़ा जाए अगर संविधान में अनुच्छेद 182 ए जुड़ता है तो लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं यानी समझने वाली बात यह होगी कि अगर संविधान में अनुच्छेद 82 ए जुड़ता है और उसे लागू किया जाता है तो सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के कार्यकाल के साथ ही खत्म हो जाएगा। अगर के संसद में यह अनुच्छेद जुड़ जाता है और 2029 से पहले लागू हो जाता है तो सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक होगा मतलब 2029 के जब लोकसभा के चुनाव होंगे तब सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएंगे। समझने वाली बात यह है कि 2027 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव होंगे तो जो भी सरकार बनेगी उसका कार्यकाल सिर्फ 2 साल का होगा यानी उसे 2029 में फिर से लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव कराने पड़ेंगे।
कमेटी ने सुझाव दिया है कि इसके लिए संविधान में संशोधन भी करना होगा। अनुच्छेद 83 और अनुच्छेद 172 में संशोधन करने के साथ-साथ नया अनुच्छेद 82 A जुड़ेगा अनुच्छेद 83 में लोकसभा का कार्यकाल और अनुच्छेद 172 में विधानसभा का कार्यकाल 5 साल का तय किया गया है। इसमें समझने वाली बात यह भी है कि अगर किसी एक पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है या किसी गठबंधन को बहुमत नहीं मिलता है ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी पार्टी या उस गठबंधन को सरकार बनाने के लिए बुलाया जाएगा। अगर सरकार नहीं बनती है और देश में या प्रदेश में मध्यावधि चुनाव करवाए जाते हैं तो उसके बाद जो भी सरकार बनेगी उसका कार्यकाल 5 साल का नहीं होगा यानी जो चुनाव 2029 में होंगे अगर बीच में सरकार गिरती है नया इलेक्शन होता है तो 2034 में फिर से चुनाव होंगे यानी अगर वन नेशन वन इलेक्शन लागू होता है और उसके बाद मध्यावधि चुनाव होते हैं तो मध्यावधि चुनाव में जीतने वाली पार्टी की सरकार 5 साल नहीं चलेगी उसे 2034 में फिर से चुनाव का सामना करना पड़ेगा। इस कमेटी ने यही फार्मूला विधानसभा में भी लागू करने की सिफारिश की है। जैसा कि मिसाल के तौर पर एक देश एक चुनाव के तहत उत्तर प्रदेश में 2029 में विधानसभा चुनाव होंगे और उत्तर प्रदेश में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है, किसी पार्टी की सरकार नहीं बनती है और फिर मध्यावधि चुनाव होते हैं तो वह सरकार 5 साल नहीं चलेगी उसे 2034 में फिर से लोकसभा के साथ चुनाव का सामना करना पड़ेगा।
अब वन नेशन वन इलेक्शन को केंद्र सरकार ने अपनी मंजूरी दे दी है। 2029 में वन नेशन वन इलेक्शन के तहत पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव दो चरणों में होंगे और इस चुनाव के संपन्न होने के 100 दिन के अंदर-अंदर स्थानीय निकाय और ग्राम पंचायत के भी इलेक्शन चुनाव आयोग को कराने पड़ेंगे यहाँ यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है की एक देश एक चुनाव में स्थानीय निकायों को क्यों अलग रखा गया है दरअसल नगर पालिकाओं और ग्राम पंचायतों को 5 साल से पहले भंग करने के लिए भी अनुच्छेद 325 में केंद्र सरकार को बदलाव करना पड़ता और यह संशोधन तभी लागू हो सकता है जब लोकसभा में इस बिल को पास करने के लिए समर्थन में 362 सांसद और राज्यसभा में 163 सांसद सांसदों का समर्थन मिलता। जानकारों के मुताबिक संसद में पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा को भी इस बिल को पास करवाना जरूरी होता। उसके बाद राष्ट्रपति इस पर अपने हस्ताक्षर करते । राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून बनता यानी अगर केंद्र सरकार इन सारी प्रक्रियाओं से निपट लेती तो यानी सीधा सीधा सा हम अपने दर्शकों को बता दें कि फिर वन नेशन वन इलेक्शन तब लागू होता।
अब चूँकि नगर और ग्राम पंचायत के चुनाव लोकसभा और विधानसभा से अलग होंगे सरकार को इस बिल को पास करने के लिए समर्थन में 362 सांसद और राज्यसभा में 163 सांसद सांसदों का समर्थन और कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा को भी इस बिल को पास करवाना जरूरी नहीं रहेगा, नगर और ग्राम पंचायत के चुनाव अलग होने के कारण लोकसभा और विधानसभा के चुनाव के लिए एक देश एक चुनाव का बिल सरकार आसानी से पास कर सकती है। मतलब 2029 के बाद जब भी देश में या किसी राज्य में मध्यावधि चुनाव होंगे तो वह सरकार 5 साल नहीं चलेगी उनको 2034 में फिर से लोकसभा के साथ चुनाव का सामना करना पड़ेगा।