रामचरितमानस विवाद में नया मोड़- पूर्व डीजीपी ने मारी एंट्री बोले...
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ पार्ट-1 सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामचरितमानस को लेकर दिए गए बयान के मामले में अब राज्य के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने अपनी एंट्री मारते हुए पूर्व मंत्री के बयान का समर्थन किया है।
सोमवार को उत्तर प्रदेश के डीजीपी रहे सुलखान सिंह ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के कुछ अंशों पर अपनी आपत्ति जताई है। स्वामी प्रसाद मौर्य को आपत्ति जताने का पूरा अधिकार है। पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा है कि रामचरितमानस पर किसी जाति या वर्ग विशेष का अधिकार नहीं है। प्रदूषित एवं अमानवीय ग्रंथों की निंदा तो करनी ही होगी।
पूर्व डीजीपी ने कहा है कि भारतीय ग्रंथों ने हमारे समाज को गहराई तक प्रभावित किया है, क्योंकि ग्रंथों में जातिवाद, ऊंच-नीच और छुआछूत को स्थापित करते हुए इसे बढ़ावा दिया गया है। जिसके चलते पीड़ित व्यक्ति या कोई पीड़ित समाज अपना विरोध व्यक्त करेगा ही।
पूर्व डीजीपी ने कहा है कि भारतीय ग्रंथों पर किसी को भी अपना एकाधिकार नहीं जताना चाहिए। हिंदू एकता के लिए इन ग्रंथों का विरोध करना भी जरूरी है। पूर्व डीजीपी ने लिखा है कि यह शोषित वर्ग हिंदू समाज में रहना चाहता है। मैं रामचरितमानस और भगवत गीता का नियमित पाठ करता हूं।