वर्चस्व की लड़ाई में मोहन यादव की मौत, टीपीसी ने ली हत्या की जिम्मेदारी

वर्चस्व की लड़ाई में मोहन यादव की मौत, टीपीसी ने ली हत्या की जिम्मेदारी
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रांची उग्रवादियों के बीच आपसी वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है और अपना वर्चस्व कायम करने के लिए खूनी खेल भी आकार लेने लगा है। इस बात की तस्दीक रांची के बुढ़मू थाना क्षेत्र में मिले एमसीसी के एरिया कमांडर मोहन यादव का शव कर रहा है। दरअसल, बुढ़मू के एरुद गांव और उमेडण्डा के पूरब में कुख्यात नक्सली मोहन यादव की गोली मार हत्या कर दी गई। पूरा मामला वर्चस्व की लड़ाई से जुड़ा बताया जा रहा है। टीपीसी के पहाड़ीजी ने इस हत्या की जिम्मेवारी ली है। घटना रविवार रात की है। जानकारी के मुताबिक, हत्या से पूर्व देर रात उमेदंडा स्थित हेरू जंगल में टीपीसी और मोहन यादव दस्ते के बीच मुठभेड़ हुआ। दोनों तरफ से हुई गोलीबारी में ही मोहन की गोली लगने से मृत्यु हो गई। घटना के बाद टीपीसी उग्रवादी मौके से जंगल की तरफ भाग गए।

इधर, सूचना मिलने के बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने मोहन यादव के शव को बरामद किया. पुलिस को घटनास्थल से एसएलआर का मैगजीन, गोलियां, नक्सल साहित्य भी बरामाद हुआ है. मामले पर जानकारी देते हुए एसपी ग्रामीण नौशाद आलम ने बताया कि, मोहन यादव के इस गिरोह का मुख्य पेशा ही सिर्फ लेवी वसूलना था।

बुढ़मू, ओरमांझी, पिठौरिया और खलारी इलाके में ठेकेदारों, कोयला व्यापारियों और कारोबारियों से लेवी वसूलता है और लेवी नहीं देने पर वाहनों में आगजनी और फायरिंग की घटनाओं को अंजाम देकर दहशत फैलाने का काम करता है। मोहन यादव ने लंबे समय तक भाकपा माओवादी में रहने के बाद खुद का गिरोह बना लिया. वहीं, कभी पीएलएफआइ संगठन के लिए काम करने वाले कृष्णा यादव भी उसके गिरोह में शामिल हो गया था।

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