PM मोदी का इस प्रदेश से विशेष लगाव- सूरत बनेगा डायमंड ट्रेडिंग हब
गुजरात से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विशेष लगाव है, इसमें कोई दो राय नहीं। इसको अनुचित भी नहीं कहा जा सकता। समाज की मौलिक इकाई अर्थात् आदमी के लिए समुदाय का दायरा बदलता रहता है। परिवार, गांव, ब्लाक, जिला, प्रदेश और राष्ट्र की तरफ क्रमशः समुदाय बढ़ता है। नरेन्द्र मोदी गुजरात के बड़नगर मंे पैदा हुए और वहां पर पहली बार विधायक रहते मुख्यमंत्री बन गये। मोदी को चाहे जो काम दिया गया हो, संगठन का हो या सेवा का- नरेन्द्र मोदी ने परिश्रम की पराकाष्ठा दिखाई। चाहे 1987 में अहमदाबाद के स्थानीय निकाय चुनाव हों या फिर 1990 और 1995 के गुजरात विधानसभा चुनाव, मोदी ने पार्टी के लिए हर मोर्चे पर प्रभावी भूमिका निभाई है। मोदी ने अपने निर्णायक और विकासोन्मुखी शासन के माध्यम से गुजरात के विकास की परिभाषा ही बदल दी है। अभी पिछले दिन पीएम मोदी गुजरात के सूरत में पहुंचे। मोदी ने कहा कि सूरत शहर लोगों की एकजुटता और जनभागीदारी की धरोहर से सम्पन्न है। यहां पर हीरा का कारोबार सबसे ज्यादा होता है। प्रधानमंत्री सूरत को डायमंड ट्रेडिंग हब बनाना चाहते हैं। मोदी कहते हैं कि दुनिया मंे जब थ्री पी अर्थात् पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप की चर्चा होती थी, तब सूरत फोर पी अर्थात् पीपुल, पब्लिक, प्राइवेट और पार्टनरशिप का मॉडल बन गया। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और कई लोगों ने पीएम मोदी का सूरत को लेकर मिशन राजनीतिक लग रहा होगा लेकिन सूरत एक ऐसा शहर है जहां पूरा भारत बसता है और भारत का यह सबसे सुरक्षित व सुविधाजनक शहर माना जाता है। इसलिए ट्रेडिंग हब बनने की संभावनाएं हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर गुजरात पहुंचे। अपने दौरे की शुरुआत उन्होंने सूरत में रोड शो से की। इसके बाद उन्होंने सूरत को 3400 करोड़ रुपये की सौगात दी। इसके तहत कई परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया। इनमें जल आपूर्ति, जल निकासी परियोजना, ड्रीम सिटी, जैव विविधता पार्क और अन्य विकास कार्यों जैसे सार्वजनिक बुनियादी सुविधाएं, विरासत सुरक्षा, सिटी बस बीआरटीएस बुनियादी सुविधाएं, इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ी आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संयुक्त विकास कार्य शामिल हैं। मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सूरत शहर लोगों की एकजुटता और जनभागीदारी, दोनों का बहुत ही शानदार उदाहरण है। हिन्दुस्तान का कोई प्रदेश ऐसा नहीं होगा, जिसके लोग सूरत की धरती पर न रहते हों। सूरत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये शहर श्रम का सम्मान करने वाला शहर है। मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और यह कोई साधारण उपलब्धि नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा, इस उपलब्धि ने हमें वर्तमान अमृत काल में और अधिक मेहनत करने तथा बड़े लक्ष्यों को हासिल करने का भरोसा दिया है। यह उपलब्धि सामान्य नहीं है। हर भारतीय इस पर गर्व महसूस कर रहा है। हमें इस उत्साह को बनाए रखने की जरूरत है। इसी संदर्भ में मोदी ने सूरत को डायमंड व्यापार का हब बनाने की बात कही। इसी संदर्भ में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पूर्व में कहा था कि देश को आत्मनिर्भर रत्न और आभूषण क्षेत्र की जरूरत है और सरकार घरेलू स्तर पर और निर्यात बढ़ाने के लिए इस पर फोकस कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत रत्न और आभूषण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना चाहता है। इसलिए, यह घरेलू विकास और निर्यात प्रोत्साहन दोनों के लिए एक फोकस क्षेत्र होगा। बजट 2022 में इस क्षेत्र के विकास के लिए प्रावधान किया गया है। वैश्विक रत्न और आभूषण कारोबार में भारत तरक्की करेगा। गोयल ने कहा कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 7 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 50 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है।
गोयल ने कहा-मुझे यकीन है कि यह क्षेत्र चालू वित्त वर्ष के अंत तक 40 अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य हासिल करने में सफल रहेगा। दुनिया भर में सूरत की असली प्रसिद्धि हीरे के व्यापार को लेकर है। यह शहर अरब सागर से करीब 20 किमी दूर है। लगभग 7657 वर्ग किमी में फैला यह शहर बहुत पुराना है। इतिहास में कई लेखकों ने अपने वर्णनों में सूरत का जिक्र किया है। पुर्तगालियों, डच और अंग्रेजों ने कभी यहां अपने व्यापार स्थापित किये थे। आज भारत के बड़े औद्योगिक शहरों में शामिल सूरत को 15वीं शताब्दी से ही उद्योगनगरी माना जाता है। ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1612 में प्रथम वेयरहाउस यहीं पर स्थापित किया था। यह शहर भौगोलिक तौर पर भी संपन्न है। जहां इसके पास ही अरब सागर है तो वहीं तापी नदी इसके बीच से होकर गुजरती है। यह शहर लंबे वक्त से कपड़ा और डायमंड उद्योग के लिए दुनिया भर में ख्यात रहा है। कहा जाता है कि हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग के लिए आपको यहां एक से एक कारीगर मिल जाएंगे। इस शहर को सिल्क सिटी और डायमंड सिटी के नाम से भी जाना जाता है। अगर अनुपात की बात करें तो विश्व के 10 हीरों में से 8 की पॉलिशिंग यहीं पर होती है। जैसा कि पहले ही बताया गया कि जो हीरे-जवाहरात का कारोबार 2013 में दुनियाभर में 80 हजार करोड़ का था। उसका बहुत बड़ा हिस्सा, करीब 80 फीसद सूरत का होता था। सूरत में डायमंड कटिंग और पॉलिशिंग उद्योग में कुल 7 लाख कामगार हैं, जिनमें से ज्यादातर युवा हैं। पिछले कुछ वक्त में मुंबई का डायमंड उद्योग भी तेजी से सूरत शिफ्ट हुआ है। इस शहर को पहचान मिलनी शुरू हुई सन् 1400 के बाद। कहा जाता है कि इस शहर को किसी गोपी नाम के ब्राह्मण ने बसाया था। इस शहर के व्यापारिक उत्थान में शहर की भौगोलिक स्थिति ने भी बहुत योगदान दिया है। यही कारण रहा है कि यह शुरुआत से ही उद्योगों की शरण स्थली रहा। हालांकि सीमा के पास होने के चलते इसे कई बार विदेशी शक्तियों का सामना भी करना पड़ा। विदेशी शासन के दौरान शेष भारत की तरह सूरत का भी उद्योग प्रभावित हुआ लेकिन जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब से सूरत की सीरत और सूरत दोनों मंे बदलाव आया है। (हिफी)