मुख्यमंत्री के हुक्म पर जिलाधिकारियों को दिए गए निर्देश
लखनऊ। सचिव/निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग उत्तर प्रदेश , डॉ रोशन जैकब ने बताया कि वैश्विक महामारी कोविड-19 की दूसरी लहर से प्रदेश प्रभावित होने के कारण माह अप्रैल व मई, 2021 में समस्त गतिविधियाँ स्थिर हो गयी थी, इससे प्रदेश का खनन सेक्टर भी प्रभावित हुआ है। डॉ जैकब ने बताया कि मुख्यमन्त्री के निर्देश पर खनन उद्योग को प्रोत्साहित किये जाने एवं मानसून सत्र माह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर में खनिजों की पर्याप्त उपलब्धता बनाये रखे जाने हेतु माह मई की देय किश्तों में शिथिलता प्रदान करते हुए खनन क्षेत्रों से निकाले गये खनिजों की मात्रा के आधार पर देय राजस्व जमा किये जाने की व्यवस्था की गयी। परिणामस्वरूप प्रदेश में विगत वर्ष माह जून तक बालू/मौरम का भण्डारण 39,19,404 घन मी0 हुआ था, जबकि इस वित्तीय वर्ष में दिनंक 23 जून, 2021 तक कुल 61,44,847 घन मी० बालू/मौरम का भण्डारण किया गया है।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2021-22 में मानसून सत्र के पूर्व जनपद झॉसी, हमीरपुर, जालौन, फतेहपुर, बॉदा, कानपुरदेहात, कानपुरनगर एवं कौशाम्बी जनपदों में 47,59,194 घन मी0 मौरम का भण्डारण किया गया है। राज्य सरकार द्वारा देय किश्त में शिथिलता प्रदान किये जाने से खनन व्यवसाईयों द्वारा बालू/मौरम का अधिकाधिक मात्रा में भण्डारण किया गया है, जिससे आम जनमानस को मानसून सत्र माह जुलाई, अगस्त एवं सितम्बर में बालू/मौरम की उचित मूल्य पर उपलब्धता सुनिश्चित हो पायेगी।
भण्डारण परिहारधारकों को पूर्व में ही ऐसे निर्देश हैं कि भण्डारित किये गये उपखनिज मानसून अवधि की समाप्ति तक 90 प्रतिशत तक स्टाफ खत्म करना होता है। डॉ रोशन जैकब ने बताया कि मुख्यमन्त्री के निर्देश पर जिलाधिकारियों को इस आशय के निर्देश दिये गये हैं कि भण्डारण स्थलों पर भण्डारणकर्ता का नाम, भण्डारित स्थल का पूर्ण विवरण, भण्डारण स्थल पर उपखनिज की भण्डारित मात्रा तथा विक्रय मूल्य दर्शाते हुये साइनबोर्ड, सीसीटीवी कैमरे लगवाये जाये। यह भी निर्देश दिये गये हैं कि स्वीकृत क्षेत्र का चिन्हांकन कर चैहद्दी निर्धारित करते हुये सीमा स्तम्भ लगाने तथा भण्डारण स्थल की जियोटैगिंग कर माइन-मित्र पोटल से जोड़ा जाय, ताकि अवैध भण्डारण को सुगमता से चिन्हित किया जा सके।