हाई कोर्ट का आदेश 7 साल तक की सजा में सीधे नहीं होगी गिरफ्तारी

हाई कोर्ट का आदेश 7 साल तक की सजा में सीधे नहीं होगी गिरफ्तारी

लखनऊ। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने दहेज उत्पीड़न के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला निर्णय लेते हुए कहा कि 7 साल तक की सजा वाले केस में आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा अगर गिरफ्तारी जरूरी है तो उसका स्पष्ट कारण दर्ज करना होगा।

गौरतलब है कि मुकेश यादव व अन्य आरोपियों की हाईकोर्ट में दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश राजेश सिंह चौहान और विवेक कुमार की खंडपीठ ने यह निर्णय लिया। दरअसल मुकेश यादव व अन्य आरोपियों के खिलाफ लखनऊ के गोसाईगंज थाने में दहेज उत्पीड़न एवं मारपीट का मुकदमा पंजीकृत है। मुकेश यादव व अन्य ने इस मुकदमे में गिरफ्तारी पर लोग रोक लगाए जाने की हाईकोर्ट में गुजारिश की थी। उनके वकील का कहना था कि इस अपराध के लिए अधिकतम 7 साल की सजा है ऐसे में उनको सीधे गिरफ्तार न करके विवेचक को सीआरपीसी की धारा 41 (1) में दर्ज प्रक्रिया का पालन करने का आदेश दिया जाए। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के दोनों न्यायाधीश ने स्पष्ट कहा कि दहेज उत्पीड़न की धारा में विवेचक को आरोपित लोगों को पहले से बताए हुए स्थान और समय पर उपस्थित होने का नोटिस जारी करना जरूरी है, अगर आरोपित नोटिस की शर्तों का पालन करता है तो उसे तब तक अरेस्ट नहीं किया जाएगा जब तक विवेचक उसकी गिरफ्तारी के कारणों को उल्लेखित नहीं कर देता है। गौरतलब है कि इससे पहले भी कई बार विभिन्न न्यायालयों ने 7 साल से कम सजा वाले मामलों में सीधे गिरफ्तारी नहीं करने का आदेश दिया हुआ है।

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