कर रहे हैं शादी तो जरूरी तौर पर कराना होगा विवाह का रजिस्ट्रेशन
जयपुर । राजस्थान विधानसभा में राजस्थान विवाहों का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2021 को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
इसके पारित होने से इस पर चर्चा हुई जिसका संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक लाने के महत्वपूर्ण कारण हैं और विवाहों का पंजीकरण कानून 2009 के बाद जिला अधिकारी ही शादी का पंजीयन कर सकता था। अब अतिरिक्त जिला अधिकारी और ब्लाक अधिकारी को भी इसमें जोड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि इसके लाने से शादी की निर्धारित आयु से कम की शादी का पंजीयन होने का मतलब यह नहीं हैं कि वह शादी वैध हैं। भले ही पंजीयन हो गया हो लेकिन नियमाअनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि निर्धारित आयु से कम का पंजीयन अनिवार्य उच्चतम न्यायालय के आदेशों की पालना के तहत किया गया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में न्यायालय के एक निर्णय में सभी प्रकार के विवाहों का पंजीयन अनिवार्य होगा।
इस पर हस्तक्षेप करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने अनुरोध किया कि इसमें यह जोड़ दिया जाये कि इस तरह का पंजीयन की शादी मान्य नहीं होगी।
इसके बाद धारीवाल ने सभापति राजेन्द्र पारीक से विधेयक पारित करने का अनुरोध किया और ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया गया।
इससे पहले इस पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए कटारिया ने कहा कि कानून बनाने से पहले इस पर गहराई से सोचना चाहिए। यह विधेयक कम उम्र के बच्चों की शादी के लिए प्रेरित कर रहा है। इसमें प्रावधान दिया गया हैं कि 30 दिन में सूचना देकर शादी का पंजीयन हो जायेगा। उन्होंने कहा कि क्या सदन इस बात के लिए सहमत हैं, यह कानून गलत हैं और यह चाइल्ड मैरिज एक्ट की अवहेलना कर रहा हैं जो एक बड़ी भूल होगी।
इसी तरह उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने भी इसे गलत बताते हुए इसका विरोध किया और कहा कि जो हिन्दू मैरिज एक्ट एवं बाल विवाह कानून 2006 के विपरीत हो उस विधेयक को क्यों लाया गया हैं, इसे वापस लिया जाना चाहिए। भाजपा सदस्य अशोक लाहोटी ने कहा कि क्या यह विधेयक बाल विवाह को अनुमति देने जैसा है। अगर यह विधेयक पारित हुआ तो यह काला दिन होगा।
निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने कहा कि पहले जिला स्तर पर पंजीयन होते थे अब तहसील स्तर पर भी होगा, इससे लोगों को अपने नजदीक में यह सुविधा मिलेगी और वे विवाह पंजीयन के लिए प्रेरित हाेंगे, अगर शादी की निर्धारित आयु से कम आयु का पंजीयन से जनमानस पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता हो तो इसे लाने से पहले इस पर नागरिकों की राय जाननी चाहिए।