माकपा कार्यकर्ता हत्या मामले की नए सिरे से जांच की मांग
अगरतला। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की त्रिपुरा इकाई ने पार्टी के एक कार्यकर्ता की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ दर्ज आरोपपत्र से धारा 302 हटाने के आरोप में तीन पुलिस अधिकारियों के खिलाफ नये सिरे से जांच की मांग को लेकर चुनाव आयोग से गुहार लगायी है। प्रदेश माकपा सचिव जितेंद्र चौधरी ने 65 वर्षीय शाहिद मिया की हत्या के मामले की नये सिरे से जांच की मांग की है।
चौधरी ने प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी किरण गिट्टे को लिखे पत्र में आरोप लगाया कि सिपाहीजला जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एसपी) रणधीर देववर्मा, पुलिस उपाधीक्षक (एसडीपीओ) विशालगढ़ राहुल दास और विशालगढ़ थाने के प्रभारी बादल साहा ने भाजपा के एक शीर्ष नेता के निर्देश पर जांच में गड़बड़ी की है।
उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों पर विपक्षी दलों और आम लोगों द्वारा लगाए गए आरोपों का सिलसिला शुरू हो गया है। कई मीडिया रिपोर्ट्स ने भी इनका भाजपा पार्टी से सीधा संबंध उजागर किया है। त्रिपुरा की यात्रा के दौरान ईसीआई के ध्यान में यह मामला लाया गया था लेकिन अब तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि "सिपाहीजला जिले में पुलिस की निष्क्रियता के कारण, रविवार की रात भाजपा कार्यकर्ताओं ने नालचर विधानसभा क्षेत्र में कई माकपा समर्थकों के घरों में तोड़फोड़ की और कम से कम 15 पार्टी समर्थकों को घायल कर दिया। चौधरी ने कहा कि सिपाहीजला जिले में हिंसा को रोकने के लिए पुलिस कोई कदम नहीं उठा रही है। जिले भर में भाजपा के कार्यकर्ता आतंक फैला रहे हैं।
उन्होंने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने भाजपा नेता का पक्ष लेते हुए आरोपपत्र में धारा 302 (हत्या का आरोप) को हटा दिया, जिसके कारण हत्याकांड के सभी आरोपियों को सोमवार को कोर्ट से जमानत मिल गई। वहीं मुख्य आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बावजूद, एक दिन भी पुलिस की हिरासत में नहीं रहा। चौधरी ने अपने बयान में कहा कि चुनाव आयोग को भाजपा नेता को बचाने में जुटे किसी भी पुलिसकर्मियों को किसी भी तरह के चुनाव ड्यूटी पर नहीं लगाया जाना चाहिए और उनके खिलाफ तत्काल विभागीय कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए। उल्लेखनीय है कि दो महीने पहले सिपाहीजला जिले के विशालगढ़ के चारिलाम बाजार में (माकपा) कार्यकर्ता शाहिद मिया (65) की कथित रूप से भाजपा कार्यकर्ताओं ने हत्या कर दी थी।