शक के दलदल में पूर्व पार्षद
नई दिल्ली । हमारे देश में कुछ कहावतें अनुभव की कसौटी पर सौ फीसदी सही उतरती हैं। ऐसी ही एक कहावत है कि सांच को आंच नहीं। इसका शाब्दिक मतलब बताने की जरूरत नहीं है लेकिन व्यावहारिक रूप से लोग कह सकते है कि कितने ही गुनहगार पद और पैसे की बदौलत पाक साफ साबित हो जाते हैं। उनकी इस बात में दम है लेकिन बेगुनाहों को सजा सिर्फ फिल्मों और कहानियों में मिलती है।सच्चाई यही है कि सजा उसी को मिलती है जिसने कोई न कोई गुनाह जरूर किया होता है। इसलिए सत्य अपराजेय है। दिल्ली के पूर्व पार्षद और आम आदमी पार्टी के तत्कालीन नेता ताहिर हुसैन अगर धैर्य के साथ सत्य का हाथ थामे रहते तो आज वे संदेह के दलदल में न खड़े होते। अब तो आरोपों की फेहरिश्त बढ़ गयी है।
संशोधित नागरिकता कानून के चलते दिल्ली हिंसा के आरोपी और सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी से निष्कासित पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय छापेमारी कर रहा है। यह छापेमारी ताहिर हुसैन के चांद बाग वाले मकान में की जा रही है। इससे पहले 23 जून को भी ताहिर हुसैन के घर पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापा मारा था। यह छापेमारी ताहिर हुसैन के 6 ठिकानों पर हुई थी। ताहिर हुसैन दिल्घ्ली हिंसा मामले में आरोपी भी है। उसके खिलाफ इसको लेकर चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है।
ईडी ने करीब डेढ़ महीने पहले ही प्रिवेन्शन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट अर्थात् पीएमएलए के तहत केस रजिस्टर किया था। आरोप है कि फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल कर करीब 1 करोड़ 16 लाख रुपये संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों और दंगों के लिए कैश में फाइनेंस किया था। पिछले दिनों जब 23 जून को ईडी ने ताहिर हुसैन के दिल्ली के ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें से नार्थ ईस्ट दिल्ली में 4 लोकेशन्स पर रेड डाली गई थी। ईडी के मुताबिक दिल्ली के अलावा नोएडा के ठिकानों पर भी छापेमारी की कार्रवाई की गई थी। एसआईटी की जांच टीम ने ताहिर हुसैन की छत से पेट्रोल बम और काफी तादाद में पत्थर भी बरामद किए थे और इस हिंसा के अगले दिन यानी 25 फरवरी को फिर चांद बाग इलाके में हुई हिंसा में खुफिया विभाग के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई थी।
दिल्ली दंगों के आरोपी पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के खिलाफ अप्रैल महीने में अनलाफुल एक्टीविटीज प्रिवेन्शन एक्ट (यूएपीए एक्ट) के तहत कार्रवाई की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने यह कार्रवाई करते हुए ताहिर हुसैन को दिल्ली के चांदबाग में हुई हिंसा और आईबी अफसर अंकित हत्याकांड में आरोपी बनाया था। दिल्ली दंगों की साजिश की जांच कर रही दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने ताहिर हुसैन को क्राइम ब्रांच से कस्टडी में लेकर गिरफ्तार किया था और बाद में ताहिर हुसैन को यूएपीए एक्ट में बुक किया गया । दिल्ली में इसी साल फरवरी में हुई हिंसा की घटनाओं में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को प्रमुख आरोपी बनाया गया है। ताहिर हुसैन के खिलाफ दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम ने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल की है। ताहिर हुसैन के ऊपर इंटेलीजेंस ब्यूरो के स्टाफ अंकित शर्मा की हत्या के आरोप में भी चार्जशीट दाखिल की गई है। दिल्ली हिंसा के दौरान आईबी स्टाफ अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई थी। उनकी लाश नाले से बरामद की गई थी। कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में ताहिर हुसैन के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उसके घर की छत पर दंगा कराने के लिए बड़ी मात्रा में पत्थर आदि इकट्ठा किए गए थे।ताहिर के ऊपर दंगा भड़काने का भी आरोप लगाया गया है। दिल्ली दंगों को लेकर दायर की गई चार्जशीट में बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का कहीं कोई जिक्र नहीं है। दंगों के घटनाक्रम में हिंसा के लिए जामिया प्रदर्शनकारियों और नागरिकता कानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों को जिम्मेदार ठहराया गया है। कपिल मिश्रा के भड़काऊ भाषण पर दिल्ली पुलिस ने चुप्पी साध ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली में हो रहे प्रदर्शन के दौरान कपिल मिश्रा का शाहीनबाग का रास्ता खाली कराएंगे की धमकी का कहीं जिक्र नहीं है। दंगों की साजिश में सिर्फ जामिया और नागरिकता कानून के विरोधियों पर आरोप है। बता दें कि दिल्ली हिंसा से पहले कपिल मिश्रा उत्तर पूर्वी दिल्ली पहुंचे थे और वहां सीएए का विरोध कर रहे लोगों के खिलाफ भाषणबाजी की थी। मिश्रा का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह दिल्ली पुलिस को अल्टीमेटम देते हुए दिख रहे थे कि तीन दिन में रास्ता खाली करवा दें, वरना खतरनाक अंजाम होगा। बाद में वैसा ही हुआ। दिल्ली दंगे में कितने लोग मारे गये, इसकी सही संख्या बताना मुश्किल है। दंगों में कयी दुकानों को भी आग के हवाले कर दिया गया था। ताहिर पर उसी समय आरोप लगा लेकिन तब उन्होंने खुद को निर्दोष बताया था और कहा कि जब वे अपनी जान बचाने के लिए घर से बाहर चले गये, तभी उनके घर की छत पर आपत्तिजनक सामग्री रख दी गयी थी। ताहिर की इस बात का कुछ लोग समर्थन भी करने लगे थे लेकिन इसीबीच ताहिर लापता हो गये । उनके लापता होते ही उनके प्रति सहानुभूति भी लापता हो गयी जबकि कपिल मिश्र अपने को निर्दोष बताते हुए मैदान में डटे रहे। बहरहाल, उसी समय दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में एसआईटी ने खालिद सैफी को गिरफ्तार किया था। खालिद सैफी को चांद बाग में हुई हिंसा की साजिश में शामिल होने के आरोप में अरेस्ट किया गया। चांद बाग हिंसा में आम आदमी पार्टी से निष्कासित ताहिर हुसैन के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी। दिल्ली दंगों के पहले उमर खालिद और ताहिर हुसैन के बीच सैफी ने ही शाहीनबाग में मीटिंग करवाई थी। बताया गया 8 जनवरी को शाहीनबाग में हुई मीटिंग में उमर खालिद, ताहिर हुसैन और खालिद सैफी शामिल थे। दिल्ली पुलिस की एसआईटी ने उत्तरी-पूर्वी दिल्ली हिंसा के दौरान ताहिर हुसैन के घर के बाहर गोली लगने से घायल हुए अजय गोस्वामी की हत्या की कोशिश के मामले में चार्जशीट अदालत में दायर की थी। चार्जशीट में खुलासा किया गया कि ताहिर हुसैन ने ही आरोपियों से कहा था कि बड़े दंगे के लिए तैयार रहना है और उसने आरोपियों को पैसे भी दिए थे। चांदबाग इलाके में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में 1030 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन को हिंसा का मास्टरमाइंड बताया गया। मामले में ताहिर हुसैन उसका भाई शाह आलम समेत कुल 15 आरोपी बनाए गए। फाइनल रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि ताहिर हुसैन के घर-दफ्तर की जानबूझकर डीवीआर खराब की गई थी ताकि सीसीटीवी फुटेज सामने न आ पाएं। यह भी कहा गया हिंसा के पहले ताहिर हुसैन के घर और दफ्तर में रोजाना करीब 25 से 50 लोगों की मीटिंग होती थी। उस समय इन सवालों का जवाब देने के लिए ताहिर हुसैन छिपे हुए थे। इस प्रकार अदालत के फैसले से पहले ही ताहिर हुसैन जनता की अदालत में दोषी साबित हो गये।
~अशोक त्रिपाठी(हिफी)