समन्दर पीर का है अंदर लेकिन रो नहीं सकता

समन्दर पीर का है अंदर लेकिन रो नहीं सकता

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता कुमार विश्वास की बड़ी लोक प्रिय कविता है - कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है। इसी कविता में उन्होंने सबसे अंत में कहा समंदर पीर का है अंदर लेकिन रो नहीं सकता। आज अरविन्द केजरीवाल ने राज्य सभा में उनको नहीं भेजा तो यही पंक्ति उन पर फिट बैठ रही है। कुमार विश्वास राज्य सभा में जाना चाहते थे। दिल्ली विधान सभा में आम आदमी पार्टी के पास इतने विधायक भी हैं जिससे तीनों प्रत्याशी राज्य सभा में पहुंच जाएंगे लेकिन केजरीवाल ने अपने राष्ट्रीय प्रवक्ता संजय सिंह और नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता का नाम राज्य सभा के लिए तय कर दिया है। इस प्रकार कुमार विश्वास का पत्ता काट दिया गया है। इसको लेकर कुमार के समर्थकों ने पार्टी कार्यालय पर धरना भी दिया था लेकिन कुमार विश्वास के समझाने पर उनके समर्थकों ने धरना समाप्त कर दिया था। अरविन्द केजरीवाल को यह बात पसंद नहीं आयी थी और पार्टी के अन्य नेताओं के माध्यम से उन्होंने कुमार विश्वास तक यह संदेश भी पहुंचाया था कि इस प्रकार के कारनामों से उन्हें कुछ भी हासिल नहीं होगा।
कुमार विश्वास ने राज्य सभा में जाने के लिए हर संभव प्रयास किया। उन्होंने कुछ ऐसे लोगों से भी सिफारिश करवायी जो राजनीति में इस दौरान तेजी से उभरे है। इनमें हार्दिक पटेल भी शामिल हैं। गुजरात में पाटीदार आंदोलन चलाने वाले और राहुल गांधी के साथ चुनाव लड़ने वाले हार्दिक पटेल ने भी सोशल मीडिया पर लिखा था कि कुमार विश्वास को राज्य सभा में भेजा जाना चाहिए। अब, जब राज्य सभा में भेजे जाने वाले नामों की घोषणा केजरीवाल ने कर दी है तब कुमार विश्वास का दर्द भी छलक उठा है। उन्होंने सोशल मीडिया फेस बुक पर एक पोस्ट शेयर किया है। इसमें उन्होंने आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर तंज कसा है। फेसबुक पर अपलोड किये गये वीडियों में कुमार विश्वास ने कहा है कि पिछले डेढ़ वर्ष में हमारी पार्टी में पीएसी के अंदर शीर्ष नेतृत्व, हमारे नेता और हमारे मित्र अरविन्द भाई के कई निर्णय चाहे वे सर्जिकल स्ट्राइक के हो, आंतरिक भ्रष्टाचार से आंख फेरना हो, चाहे पंजाब में अतिवादियों के प्रति साफ्ट रहना, चाहे टिकट वितरण में जो गड़बड़ी रही उसकी शिकायत हो, कार्यकर्ता हो, चाहे सैनिकों की उपेक्षा हो, चाहे जेएनयू का विषय हो, मैंने जो सच बोला, आज उसका पुरस्कार दंड स्वरूप मुझे दिया गया, जिसके लिए मैं स्वयं का आभार व्यक्त करता हूं। कुमार विश्वास का दर्द यहीं खत्म नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि नैतिक रूप से यह एक कवि की, एक मित्र की, एक सच्चे आंदोलनकारी और क्रांतिकारी की जीत है।
कुमार विश्वास ने बड़ी विनम्रता से केजरीवाल की गलत नीतियों को उजागर कर दिया। इसमें कोई संदेह भी नहीं। अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हजारे के आंदोलन से निकलने के बाद राजनीति में जब कदम रखा था, तब उनकी छवि बहुत अच्छी थी और आज उस छवि पर जगह-जगह धब्बे लगे हैं। उनकी राजनीतिक सफलता में पंजाब में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा हासिल करना भर है, लेकिन इसकी तुलना में उन्होंने आम आदमी पार्टी को जिस तरह बिखरा दिया है और कई दिग्गज लोग पार्टी को अलविदा कह गये, वह नुकसान कहीं ज्यादा है। कुमार विश्वास ने सर्जिकल स्ट्राइक, पंजाब में अतिवादियों के प्रति केजरीवाल की खामोशी और जेएनयू में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जिस तरह बयानबाजी की, उससे जनता के बीच उनकी ही नहीं पार्टी की भी छवि खराब हुई है। कुमार विश्वास ने पार्टी नेता केजरीवाल की हाॅ में हाॅ मिलाने से इंकार किया।
इसी प्रकार कुमार विश्वास ने यह बताने की भी कोशिश की है कि केजरीवाल जिनको राज्य सभा में भेज रहे हैं, उनकी अपेक्षा वे कितना बेहतर हैं। पार्टी के राज्य सभा उम्मीदवार सुशील गुप्ता से अपनी तुलना भी काव्यात्मक तरीके से की है। कुमार विश्वास ने कहा मैं, पिछले 40 वर्ष से अरविन्द के साथ काम कर रहे, सात साल से कार्यकर्ताओं के लिए काम कर रहे और पांच साल से आम आदमी पार्टी के हर विधायक के लिए लगातार रैलियां कर-कर के ट्वीट करके, मीडिया में बहस करके, जिन्होंने आज पार्टी को खड़ा किया है, ऐसे महान क्रांतिकारी सुशील गुप्ता को आंदोलनकारियों की आवाज राज्य सभा में भेजने के लिए अरविन्द जी ने चुना है। इसके लिए मैं अरविन्द को बधाई देता हूं कि उन्होंने क्या शानदार चयन किया है। यह कुमार विश्वास का अपने तरीके से तंज है। सुशील गुप्ता को कितने लोग जानते हैं और कुमार विश्वास को कितने लोग जानते और पहचानते है, यह बताने की जरूरत नहीं है। कुमार विश्वास के सामने सुशील गुप्ता की छवि कहीं ठहरती ही नहीं है। कुमार विश्वास ने पार्टी संयोजक अरविन्द केजरीवाल को उनकी कही बात भी याद दिलायी। कुमार ने कहा कि कुछ महीनों पहले 22 लोगों की कार्यकारिणी में उन्हें बुलाकर अरविन्द केजरी वाल ने कहा था कि वह उन्हें मारेंगे नहीं पर शहीद नहीं होने देंगे। केजरीवाल को बधाई देते हुए कुमार विश्वास कहते हैं कि वह अपनी शहादत स्वीकार करते हैं।
केजरीवाल पर कुमार विश्वास ने कभी आरोप नहीं लगाया लेकिन केजरीवाल पर मनमानी करने के आरोप लगते रहे है। कुमार विश्वास ने इसका भी जिक्र मीडिया से किया। उन्होंने कहा कि मैं केजरीवाल जी से कहना चाहूंगा कि वह कृपया अपने मंत्रियों, ट्वीटर के योद्धाओं को यह कह दें कि शहीद तो कर दिया पर शव के साथ छेड़छाड़ न करें क्योंकि यह युद्ध के नियमों के विपरीत है। कुमार विश्वास ने अपने दर्द को कविता में व्यक्त किया। उन्होंने कहा सबको लडने ही पड़े अपने-अपने युद्ध, चाहे राजा राम हों चाहें गौतम बुद्ध। अब सवाल है कि कुमार विश्वास अपना युद्ध कैसे लड़ेंगे क्योंकि राज्य सभा सदस्य के कयासों पर अब विराम लग चुका है। आम आदमी पार्टी ने राज्य सभा के लिए अपने तीनों उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है। दिल्ली के उपमुख्य मंत्री मनीष सिसोदिया ने पत्रकारों को बुलाकर इन नामों की घोषणा की है और पांच जनवरी तक ही नामांकन की अंतिम तिथि है। कुमार विश्वास का अगला कदम आम आदमी पार्टी के इतिहास को भी बदल सकता है क्योंकि पार्टी के 67 विधायकों में कई उनके समर्थक हैं।

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