चौधरी चरण सिंह व स्वामीनाथन भारत रत्न बगैर भी किसानों की स्मृति में...

चौधरी चरण सिंह व स्वामीनाथन भारत रत्न बगैर भी किसानों की स्मृति में...

सिसौली। संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान मसीहा पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह एवं कृषि वैज्ञानिक एस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा है कि किसानों के लिए किए गए योगदान की वजह से चौधरी चरण सिंह और स्वामी नाथन भारत रत्न के बगैर भी कृष को एवं अन्य लोगों की स्मृति में हमेशा जीवित बने रहेंगे।

रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि यह सी 2+50% के हिसाब से एमएसपी लागू करने में पीएम की विफलता से लोगों का ध्यान भटकाने की राजनीतिक कोशिश है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने संयुक्त प्रदेश विज्ञप्ति में कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा देरी के बावजूद चौधरी चरण सिंह और डॉ. एमएस स्वामीनाथन को कृषि और किसानों के लिए उनके योगदान को मान्यता देते हुए भारत रत्न से सम्मानित करने का स्वागत करते है। चौधरी चरण सिंह की यूपी में जमींदारी उन्मूलन के कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका थी, जिससे किसानों को ज़मीन पर मालिकाना हक मिला। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में डॉ. एमएस स्वामीनाथन ने किसानों की आय की गारंटी के लिए सिफारिशें कीं थी।

हालाँकि, मोदी सरकार केवल किसानों और जनता को धोखा देने के लिए इन महान नेताओं को सम्मान एवं अलंकरण कर रही है। प्रधानमंत्री में न तो ईमानदारी है और न ही वो भरोसेमंद है, वह वोट हासिल करने के लिए अनैतिक चाल चल रहे हैं। जिस के पीछे खेती में विदेशी कंपनियों से जुड़ी बड़ी कॉर्पोरेट ताकतों को अपनी सेवाएं देने के लिए सांकेतिकवाद का इस्तेमाल हैं। जो किसानों की दशा को और भी खराब करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र, मोदी सरकार अपनी नीतियों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए कई प्रकार के दिखावे करने में लगी हुई है, जो खेती में कृतघ्न स्थिति पैदा कर रही है व किसानों के बड़े हिस्से को गरीबी में धकेल रही है और बाजार, भंडारण, खाद्य प्रसंस्करण, खाद्य वितरण व नियंत्रण को विशाल अंतरराष्ट्रीय बीज, उर्वरक और खाद्य श्रृंखला कंपनियों से जुड़ी कॉर्पोरेट ताकतों को सौंपकर देश की खाद्य सुरक्षा को कमजोर कर रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत के किसानों के संकट को हल करने में विफल रहने के लिए पीएम मोदी की निंदा की। किसान उच्च इनपुट लागत और बीज, उर्वरक, कीटनाशक, बिजली, डीजल, सिंचाई, मशीनरी, फसल कटाई के बाद की सुविधाओं, भंडारण एवं कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, विपणन यार्डों, खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं सहित कृषि में खराब सरकारी बुनियादी ढांचे तथा विपणन सेवाओं आदि की कमी से जूझ रहे हैं।


संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि मोदी सरकार ने अपने पिछले 10 वर्षों के दौरान भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 को लागू नहीं किया, लेकिन पर्याप्त, मुआवजे व समय, के भूमि अधिग्रहण को मजबूर किया और कृषि भूमि को गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि माफियाओं, रियल एस्टेट एजेंटों और बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों को सौंप दिया। इसने गरीबों और भूमिहीनों पर उच्च ब्याज वाली माइक्रोफाइनेंस एवं सूदखोर निजी कर्जदाताओं से कर्ज़ा लेने पर मजबूर होना पड़ा तथा भूमि और अन्य परिसंपत्तियों को गिरवी रख एवं अंततः संकटकालीन बिक्री के लिए मजबूर होना पड़ा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि फसल और विपणन में कॉर्पोरेट प्रवेश की नीति पिछले दस वर्षों के दौरान तीव्रता से लागू की गई है। 2014 में भाजपा के घोषणापत्र में कहा गया था कि "वह न्यूनतम 50% शुद्ध लाभ, सस्ते कृषि इनपुट और ऋण सुनिश्चित करके कृषि में मुनाफे को बढ़ाएंगे"। लेकिन 15 फरवरी, 2015 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया कि खाद्यान्न और अन्य कृषि उपज के लिए एमएसपी को इनपुट लागत से 50% तक बढ़ाना संभव नहीं है क्योंकि यह "बाजार को विकृत" करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि किसानों की ओर से एसकेएम सी-2 कुल लागत + 50% के एमएसपी पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की अपनी मांग दोहराता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मोदी सरकार को याद दिलाते हुए कहा है कि डॉ एमएस स्वामीनाथन ने "उत्पादन की औसत लागत पर 50% बढ़ोतरी" की सिफारिश की थी।

एसकेएम ने उर्वरक सब्सिडी की बहाली, सभी किसानों और खेत मजदूरों के लिए कर्ज़ा माफी, केसीसी ऋण के बराबर माइक्रोफाइनेंस ब्याज दरों को कम कर 4% करना, बिजली दरों में बढ़ोतरी पर रोक सहित सभी इनपुट लागतों में आधी कटौती, प्रीपेड मीटर पर सभी ग्रामीण घरों और दुकानों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, प्रति भूखंड नुकसान के आकलन के साथ फसलों के लिए व्यापक बीमा योजना, आवारा पशुओं से होने वाली परेशानी का अंत, लखीमपुर नरसंहार के मुख्य आरोपी अजय मिश्रा टेनी को सजा और जेल की अपनी अन्य मांगों को भी दोहराया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 16 फरवरी के ग्रामीण भारत बंद और अखिल भारतीय औद्योगिक हड़ताल को सफल बनाने तथा केंद्रीय नीति को कॉर्पोरेट समर्थक से किसान समर्थक में बदलने के साथ-साथ इन मांगों के पूरा होने तक अपना आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया है।

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