केरल में भी दिल्ली का प्रयोग!
नई दिल्ली। राजनीति में प्रयोग और परिवर्तन दोनों होने चाहिए। परिवारवादी राजनीति तालाब में ठहरे हुए पानी की तरह हो गयी है और कहीं-कहीं तो इससे सड़न और बदबू भी आने लगी है। भाजपा के बारे में यह कहा जा सकता है कि नेतृत्व को लेकर उसने प्रयोग किये हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पहले कोई जानता भी नहीं था और वे सफल नेता साबित हुए हैं। इस प्रकार की राजनीति जोखिम से भरी रहती है। भाजपा ने दिल्ली में ऐसा ही प्रयोग किया था, जब पूर्व पुलिस अधिकारी किरण वेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था। भाजपा को जबर्दस्त असफलता हाथ लगी थी। अब भाजपा ने केरल में वही प्रयोग दोहराया है।
हालांकि दिल्ली की अपेक्षा केरल के हालात अलग हैं। दिल्ली में भाजपा के पास खोने के लिए भी बहुत कुछ था लेकिन केरल में सिर्फ पाने के लिए ही है। भाजपा ने मेट्रो मैन ई। श्रीधरन को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया, हालांकि कुछ घंटे बाद ही केन्द्रीय मंत्री ने इसका खण्डन भी किया। देश का सबसे पहला साक्षर राज्य केरल भाजपा के इस प्रयोग पर कैसी प्रतिक्रिया देता है, यह तो मई में ही पता चल सकेगा। फिलहाल केरल में यूडीएफ और एलडीएफ के साथ भाजपा ने चुनाव को त्रिकोणात्मक तो बना ही दिया है।
केरल विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी खबर मिली, मेट्रो मैन ई. श्रीधरन राज्य में भारतीय जनता पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा होने जा रहे हैं। उन्होंने बीती 25 फरवरी को बीजेपी की सदस्यता ली है।
उन्होंने कहा कि वे दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन से इस्तीफा देने के बाद ही चुनाव नामांकन दाखिल करेंगे। पार्टी में उनके शामिल होने के साथ ही सीएम पद के कयास लगाए जाने लगे थे। देश भर में मेट्रो मैन के नाम से मशहूर ई श्रीधरन केरल में मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने इसकी घोषणा की थी। इसके कुछ ही घंटे बाद केन्द्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा अभी कोई फैसला नहीं हुआ। वे फिलहाल पूरे राज्य में राजनीतिक दौर पर हैं।
उन्होंने कहा पार्टी जल्द ही दूसरे उम्मीदवारों की सूची भी जारी करेगी। श्रीधरन ने कहा कि उन्होंने अभी तक सीट का फैसला नहीं किया है। वे कहते हैं मैं किसी भी सीट से लड़ने के लिए तैयार हूं, मेरी जीत पक्की है। मुझे पक्का भरोसा है कि बीजेपी सत्ता में आएगी। उन्होंने कहा मैं ऐसी सीट से चुनाव लड़ना चाहता हूं, जो मलप्पुरम में पोनानी से दूर न हो, जहां मैं रहता हूं।
ध्यान रहे ई. श्रीधरन ने पहले भी राज्य में सीएम पद की इच्छा जताई थी। खास बात है कि वाम दल के शासन वाले राज्य में बीजेपी श्रीधरन की मदद से दक्षिण भारतीय प्रदेश में एंट्री की कोशिश कर रही है। राज्य में 140 सीटों पर चुनाव होने हैं। उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया है। सरकार ने श्रीधरन को पलरीवोट्टम फ्लायओवर प्रोजेक्ट का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया था। इसे भी राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा था। आखिरी निरीक्षण के बाद श्रीधरन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वे विधायक या दूसरे किसी पद पर रहते हुए प्रोजेक्ट की देखरेख करेंगे।
उन्होंने कहा भले ही मैं आता हूं, मैं इस वर्दी में नहीं रहूंगा। यह तय हो कि मुझे इन प्रोजेक्ट्स की देखरेख करनी होगी। उन्होंने कहा विधायक या दूसरा कोई भी पद हो, जब कम चल रहा होगा, तो मुझे जरूर देखरेख करनी पड़ेगी।
इस मामले में विपक्ष की प्रतिक्रिया स्वाभाविक है। कांग्रेस की केरल इकाई के प्रभारी तारिक अनवर ने मेट्रोमैन ई. श्रीधरन के भाजपा में शामिल होने को महज ''हथकंडा'' करार दिया और कहा कि राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में यूडीएफ और सत्तारूढ़ एलडीएफ के बीच सीधी टक्कर रहेगी और लोग भाजपा पर अपना ''वोट'' बर्बाद नहीं करेंगे। साथ ही अनवर ने कहा कि राज्य में भाजपा अहम भूमिका में नहीं होगी।
कांग्रेस महासचिव ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा करना पार्टी की परंपरा नहीं है और मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम चुनाव बाद आपसी सहमति से तय होगा। अनवर ने उम्मीद जताई कि कांग्रेस की अगुवाई वाला यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) केरल में अगली सरकार बनाएगा और चुनाव में मुख्य मुद्दा पिछले पांच वर्षों में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) की सरकार का 'भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन'' रहेगा। उन्होंने कहा,'' परिणाम यूडीएफ के पक्ष में आएगा। पिछली बार लोगों ने एलडीएफ को बहुमत दिया था लेकिन पिछले पांच वर्ष में उनका कामकाज अच्छा नहीं रहा और हाल ही में तीन-चार घोटाले भी सामने आए हैं जिनमें माकपा का कार्यालय भी संदेह के घेरे में आ गया है।
बहरहाल, जहां तक बात मेट्रो मैन को भाजपा का चेहरा बनाने की है तो ई। श्रीधरन एक प्रख्यात अवकाश प्राप्त भारतीय सिविल इंजीनियर हैं। भारत में उन्हें 'मेट्रो मैन' के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने अपने नेतृत्व में 'कोंकण रेलवे' और 'दिल्ली मेट्रो' का निर्माण कर भारत में जन यातायात को बदल दिया। देश और समाज के प्रति उनके महत्वपूर्ण कार्यों और योगदान के मद्देनजर भारत सरकार ने उन्हें 'पद्म भूषण' (2001) और 'पद्म विभूषण' (2008) जैसे नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया। सन 2003 में 'टाइम' पत्रिका ने उन्हें 'वन ऑफ एशिआज हीरोज' में शामिल किया। सन 2013 में उन्हें जापान के 'ऑर्डर ऑफ द राइजिंग सन- गोल्ड एंड सिल्वर स्टार' से सम्मानित किया गया।
ई. श्रीधरन का जन्म 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ में पत्ताम्बी नामक स्थान पर हुआ था। उनके परिवार का सम्बन्ध पलक्कड़ के 'करुकपुथुर' से है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पलक्कड़ के 'बेसल इवैंजेलिकल मिशन हायर सेकेंडरी स्कूल' से हुई जिसके बाद उन्होंने पालघाट के विक्टोरिया कॉलेज में दाखिला लिया। उसके पश्चात उन्होंने आन्ध्र प्रदेश के काकीनाडा स्थित 'गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज' में दाखिला लिया जहाँ से उन्होंने 'सिविल इंजीनियरिंग' में डिग्री प्राप्त की।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद कुछ समय तक श्रीधरन ने कोझीकोड स्थित 'गवर्नमेंट पॉलिटेक्निक' में सिविल इंजीनियरिंग पढ़ाया। उसके बाद लगभग एक साल तक उन्होंने बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट में बतौर प्रसिक्षु कार्य किया। इसके पश्चात सन 1953 में वे भारतीय लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित 'इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज एग्जाम' में बैठे और उत्तीर्ण हो गए। उनकी पहली नियुक्ति दक्षिण रेलवे में 'प्रोबेशनरी असिस्टेंट इंजिनियर' के तौर पर दिसम्बर 1954 में हुई।
सन् 1964 एक तूफान के कारण रामेश्वरम को तमिल नाडु से जोड़ने वाला 'पम्बन पुल' टूट गया। रेलवे ने इस पुल के जीर्णोद्धार और मरम्मत के लिए 6 महीने का समय दिया पर श्रीधरन के बॉस ने सिर्फ तीन महीने में इस कार्य को पूरा करने को कहा और श्रीधरन को यह कार्य सौंपा गया। श्रीधरन ने यह कार्य मात्र 46 दिनों में पूरा कर सबको चकित कर दिया। इस उपलब्धि के लिए उन्हें 'रेलवे मंत्री पुरस्कार' दिया गया।सन 1970 में ई. श्रीधरन को भारत के पहले मेट्रो रेल 'कोलकाता मेट्रो' की योजना, डिजाईन और कार्यान्वन की जिम्मेदारी सौंपी गयी। श्रीधरन ने न सिर्फ इस अग्रगामी परियोजना को पूरा किया
बल्कि इसके द्वारा भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग की आधारशिला भी रखी। इस प्रकार ई श्रीधरन का व्यक्तित्व लोगों को आकर्षित तो करता ही है। (हिफी)