कोरोना पर पीएम की सलाह
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना वायरस के संक्रमण को मार्च 2020 में गंभीरता से लिया था। हालांकि इस पर ध्यान जनवरी-फरवरी में ही दिया जाना चाहिए था क्योंकि चीन के बुहान से यह लाइलाज बीमारी दुनिया भर में फैलने लगी थी। उस समय हमारे देश में विदेश से आने वालों पर पाबंदी नहीं लगी थी। बहरहाल यह गलती हो चुकी थी और 23 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वैच्छिक जनता कर्फ्यू लगाने का देशवासियों से अनुरोध किया। सभी लोगों ने इस पर अमल किया और इसके बाद लॉकडाउन का भी पालन किया गया। निश्चित रूप से इस प्रकार कोरोना संक्रमण फैलने से रूका था। इसके बाद लाॅकडाउन की दिक्कतें सामने आने लगीं और प्रधानमंत्री को भी कहना पड़ा कि जान के साथ जहान की भी चिंता करनी है। इस प्रकार कारोबार शुरू हुआ तो कोरोना वायरस से बचने के लिए जो गाइडलाइन्स थीं उनकी भी उपेक्षा होने लगी। मौसम बदला। गर्मी से बरसात आयी और फिर सर्दियां शुरू हो गयीं। इसी के साथ कोरोना की नई लहर चल पड़ी। सभी राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले अचानक बढ़ने लगे। प्रधानमंत्री मोदी को एक बार राज्यों को फिर सलाह देनी पड़ी। प्रधानमंत्री मोदी ने 24 नवम्बर को कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर बड़ा बयान दिया और आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को विशेष रूप से सतर्कता बरतने की सलाह दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन कब आएगी, इसका समय हम तय नहीं कर सकते बल्कि यह वैज्ञानिको के हाथ में है। कोरोना संकट पर पीएम देश के आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक कर रहे थे। बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी शामिल हुए। इस बैठक में दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और पंजाब जैसे आठ राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होने थे लेकिन सभी सीएम बैठक में नहीं आए। इन राज्यों में अचानक कोरोना के मामले बढ़े हैं सबसे बुरी स्थिति दिल्ली की बतायी जा रही है। इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल थे। प्रधानमंत्री मोदी ने दो बातें महत्वपूर्ण बतायीं। पहली यह कि कोरोना की वैक्सीन फिलहाल अभी नहीं आने वाली है और दूसरी बात यह कि वैक्सीन आने पर उसके लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स होने चाहिए। पीएम ने कहाकि कुछ लोग इस मामले पर राजनीति कर रहे हैं लेकिन किसी को राजनीति करने से नहीं रोका जा सकता। यह दुर्भाग्य है कि भाजपा भी उन राज्यों में कोरोना को लेकर राजनीति कर रही है, जहां उसकी सरकार नहीं है। उदाहरण के लिए महाराष्ट्र में भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री ने ही उद्धव ठाकरे की सरकार को कोरोना पर नियंत्रण न पाने के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसी प्रकार दिल्ली में केजरीवाल सरकार को भाजपा ने कठघरे में खड़ा किया।
इस प्रकार प्रधानमंत्री ने दोनों बातें महत्वपूर्ण कही हैं और राज्य सरकारों को भी इसमें जिम्मेदारी दिखानी है। पहली बात तो यही कि राज्य सरकारों को इस बात के लिए तैयार रहना होगा कि जब कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध हो तो उसके लिए फ्रंट लाइन वर्कर्स होने चाहिए और सभी जरूरत मंदों को वैक्सीन मिले, इसके लिए वितरण में पारदर्शिता बरती जानी चाहिए। इसी से जुड़ी दूसरी बात है कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। यह विषय ही ऐसा है। भाजपा को भी अपने नेताओं पर नियंत्रण करना चाहिए। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी कोरोना वैक्सीन को लेकर लगातार ट्वीट कर रहे हैं और केन्द्र सरकार से रणनीति को लेकर सवाल कर रहे हैं। राहुल गांधी ने ट्वीट कर केन्द्र से सवाल पूछा था कि इतनी ढेर सारी कोरोना वैक्सीन में से भारत सरकार कौन सी वैक्सीन का चुनाव करेगी और क्यों? इस प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को बीच में टोका। मनोहर लाल अपने राज्य को लेकर बात कर रहे थे। इस दौरान वह अपने राज्य में कोरोना के आंकड़ों की जानकारी दे रहे थे। पीएम ने उन्हें टोका और कहा कि हरियाणा में कोरोना के आंकड़े तो हमारे सामने पहले ही आ चुके हैं। इनको बताने की जरूरत नहीं है। आप यह बताएं कि कोरोना को रोकने के लिए क्या कर रहे हैं। सुझाव भी दीजिए कि कोरोना को रोकने के लिए क्या किया जाए, कौन सी रणनीति अपनाई जाए। ध्यान रहे कि हरियाणा में पिछले कुछ दिनों से मामले बढ़े है। दिल्ली में तो एक तरह से हालात बेकाबू हो गये हैं दिल्ली से सटे शहरों में सतर्कता बढ़ा दी गयी है। हरियाणा में अभी कुल कोरोना के मामले सवा दो लाख के करीब है। वहां 20 हजार से अधिक सक्रिय मामले बताए गये।
बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने केन्द्र से एक हजार अतिरिक्त आईसीयू बेड़स देने की अपील की। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बतााय कि बांग्लादेश से आने वाले भी संक्रमण फैला रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा केन्द्र सरकार जीएसटी का बनाया अदा कर दे। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह बैठक में शामिल नहीं हुए थे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी से प्रदूषण के मसले और पराली को लेकर हो रहे विवाद पर दखल देने की अपील की थी। केन्द्रीय गृहमंत्री अमितशाह ने भी इस बैठक को संबोधित किया और कहा कि यूरोप- अमेरिका में जिस तरह से दोबारा कोरोना के मामले बढ़ने लगे है, ऐसे में भारत को भी सतर्कता बरतनी चाहिए और सोशल डिस्टेंसिंग मास्क को लेकर सख्ती करनी पड़ेगी। इसी बैठक में केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव ने कुछ राज्यों को लेकर चिंता व्यक्त की। स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि दिल्ली, केरल महाराष्ट्र और राज स्थान को अपने वाले दिनों में विशेष सावधानी बरतनी होगी।
देश में इस वक्त कोरोना के कुल मामलों की संख्या 91 लाख के पार चली गयी है। अभी औसतन 40 हजार के करीब रोज मामले आ रहे है लेकिन दिल्ली, गुजरात जैसे राज्यों में हालत चिंता जनक होते जा रहे हैं। कुछ राज्यों में रात का कर्फ्यू भी लगाया गया है। इसलिए संक्रमण से बचने का उपाय करना होगा। हमने जिस तरह मार्च-अप्रैल में सतर्कता अपनायी थी, उसी तरह की सावधानी एक बार फिर से अपनानी होगी। पीएम मोदी ने दूसरी बात भी महत्वपूर्ण कही है कि कोरोना वैक्सीन के वितरण की पारदर्शी व्यवस्था हो और वैक्सीन लगाने वाले युवाओं के प्रशिक्षण की भी व्यवस्था होनी चाहिए। कोरोना की बीमारी ने जो पलटवार किया है, उससे लड़ने के लिए कम से कम राजनीति तो नहीं करनी चाहिए। (हिफी)