धर्म के साथ कर्म- काशी- विश्वनाथ का बनवाया भव्य कॉरिडोर
नई दिल्ली। श्रीमद् भागवत गीता के दूसरे अध्याय में भगवान कृष्ण ने अुर्जन को कर्म योग का ज्ञान देते हुए कहा- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन, मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोअस्त्व कर्मणि अर्थात् तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल का कारण (हेतु) मत बन तथा तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो। यहां कर्मणि पद का तात्पर्य वर्ण आश्रम, स्वभाव और परिस्थिति अनुसार कर्तव्य का पालन करने से है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा तो अपने राज्य के साथ उत्तर प्रदेश में भी वाराणसी संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार थे और उन्होंने कहा था 'मैं यहां आया नहीं मुझे गंगा मइया ने बुलाया है। गंगा मइया ने बुलाया था तो गंगा पुत्रों ने प्रचण्ड बहुमत से उन्हेंसांसद बना दिया और वाराणसी का सांसद ही देश का प्रधानमंत्री बन गया। उसी समय से वाराणसी को लेकर मोदी ने कुछ दायित्व तय कर लिये थे। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करते हुए श्रद्धालुओं की दिक्कत को महसूस कर पीएम मोदी ने यूपी के 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से दिव्य और भव्य विश्वनाथ मंदिर का जिक्र किया था। योगी आदियत्नाथ ने मोदी के इस सपने को बाबा विश्वनाथ कारीडोर बनाकर पूरा किया। धर्म का तात्पर्य भी कर्तव्य का पालन करना होता है। नरेन्द्र मोदी ने काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर कारीडोर बनवाकर धर्म के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है।
इस कॉरीडोर को बनाने में करीब 32 महीने का समय लगा। कहा जाता है कि करीब तीन सौ साल पहले मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस मंदिर को ध्वस्त करा दिया था। लगभग 125 साल के बाद 1735 ई. में इंदौर की महारानी देवी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। काशी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले गंगा जी में स्नान या फिर आचमन की मान्यता है। गंगा जी से मंदिर तक जाने में संकरी गली से गुजरना पड़ता था। पीएम मोदी ने इसीलिए वहां भव्य कॉरिडोर बनवा दिया है। अब श्रद्धालु गंगा स्नान कर गंगाजल लेकर सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर रहे हैं।
करीब सवा पांच लाख स्क्वायर फिट में बना काशी विश्वनाथ धाम अब श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुविधाजनक हो गया है। इस भव्य कॉरिडोर मंे छोटी-बड़ी 23 इमारतें हैं और 27 मंदिर हैं। अब काशी विश्वनाथ बाबा के दर्शन करने वालों को गलियों और तंग संकरे रास्तों से नहीं गुजरना पड़ता है। इस पूरे कॉरिडोर को लगभग 50 हजार वर्ग मीटर के एक बड़े परिसर मंे बनाया गया है। कॉरिडोर को तीन भागों में बांटा गया है। इसमंे चार बड़े-बड़े गेट हैं और प्रदक्षिणा पथ पर संगमरमर के 22 शिलालेख लगाये गये हैं। इन शिलालेखों मंे काशी की महिमा का वर्णन किया गया है। इसके साथ ही इस कॉरिडोर में मंदिर चौक, मुमुक्षुभवन, तीन यात्री सुविधा केन्द्र, चार शॉपिंग काम्प्लेक्स, बहुउद्देश्यीय हाल, सिटी म्यूजियम और वाराणसी गैलरी जैसी सुविधाएं भी हैं। इसके निर्माण मंे 900 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। प्रधानमंत्री मोेदी ने 286 साल के बाद धर्म के साथ अपने इस कर्म को पूरा किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ कॉरीडोर में मंदिर चौक की तस्वीर सामने आ गई है। नक्काशीदार इमारतों और खंभे की गुलाबी आभा के बीच बाबा विश्वनाथ के स्वर्ण शिखर की छवि हर किसी को मोहित कर देगी। विश्वनाथ धाम और कॉरीडोर की शुरुआत से ही मंदिर चौक बनने को लेकर सभी की दिलचस्पी थी। बनकर कैसा दिखेगा मंदिर चौक, अब वो इंतजार खत्म हो गया है। मंदिर चौक का पहला लुक या यूं कहें कि मूल स्वरूप सामने आया, तभी सब खुश हो गये थे। नक्काशीदार इमारतों और खंभों के बीच में गर्भगृह और स्वर्णशिखर दिखाई दे रहा था। यही नहीं, चुनार के गुलाबी पत्थरों से गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा मार्ग बनाया गया है। पूर्वी गेट भी लगभग बनकर तैयार हो गया था। गंगा के रास्ते गंगा जल लेकर भक्त इसी पूर्वी गेट से मंदिर चौक में प्रवेश करते हुए बाबा के गर्भगृह तक पहुंच रहे हैं। खास बात ये है कि गंगा व्यू गैलरी की इमारत भी खड़ी हो गई है। गंगा व्यू गैलरी बनने के बाद काशी से जुड़ी वो पौराणिक मान्यता भी अब हकीकत के रूप में नजर आने लगी, जिसके बारे में कहा जाता है कि प्राचीन समय में गंगा से ही बाबा विश्वनाथ दरबार दिखता था। गंगा व्यू गैलरी में खड़े होकर पर्यटक एक साथ मां गंगा और बाबा विश्वनाथ का दर्शन कर रहे हैं। करीब 50260 वर्ग मीटर में बनकर तैयार विश्वनाथ कॉरीडोर में मंदिर चौक के बाहर की 24 भवनों की इमारतें बनी हैं। सात तरीके के विशेष पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमे बालेश्वर स्टोन, मकराना मार्बल, कोटा ग्रेनाइट और मैडोना स्टोन आदि शामिल हैं। (हिफी)