गांव तक पहुंच गया डिजिटल इंडिया- PM मोदी ने कही थी यह बड़ी बात

गांव तक पहुंच गया डिजिटल इंडिया- PM मोदी ने कही थी यह बड़ी बात

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में देश की सत्ता संभाली थी। जुलाई 2015 में उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया की शुरुआत की। उन्होंने कहा था इस नई पहल से करोड़ों देशवासियों के सपने साकार होंगे और यह भारत का भविष्य बदलेगा। उसी दिन से डिजिटल इंडिया वीक शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि योजना के शुरू होने से पहले ही डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान हो चुका है। इससे देश में 18 लाख लोगो को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

पर्यावरण की चिंता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग रही है। धरती पर हरीतिमा बनी रहे, इसलिए पीपल जैसे बहुआयामी वृक्ष को काटने पर पाप माना गया। वट अर्थात् बरगद की पूजा तो आज भी स्त्रियां करती हैं। इसी प्रकार नदियां प्रदूषित न हों, इसके लिए उनको माता की संज्ञा दी गयी। यह बात दीगर है कि गंगा जैसी नदी भी प्रदूषित हो गयी। इसको प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए नमामि गंगे जैसे अभियान चलाया जा रहा है। पर्यावरण को शुद्ध रखने में सबसे ज्यादा महत्व पेड़-पौधों का ही होता है। इन्हीं से कागज भी बनता है। इसके चलते भी जंगल सीमित होते जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल इंडिया का सपना देखते हुए पर्यावरण को भी ध्यान में रखा था। इसके साथ ही सरकारी योजनाओं के तहत दिया जाने वाला पैसा पात्र व्यक्ति तक बिना किसी बिचौलिए के पहुंचे, इसके लिए भी डिजिटलाइजेशन जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार के 8 वर्षों में इण्डिया को इतना तो डिजिटल बना ही दिया है कि अब पान वाला भी डिजिटल पेमेन्ट लेता है। खरीददारी तो 80 फीसद के करीब डिजिटल ही होने लगी है। सरकारी कामकाज में भी डिजिटलाइजेशन बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश की विधानसभा को योगी आदित्यनाथ ने पूरी तरह डिजिटलाइट कर दिया है। प्रतिपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने इस बात के लिए मुख्यमंत्री की तारीफ की थी। इसी तरह का कार्य देश भर मंे हो रहा है। इससे कागज की बचत हो रही है जो अंततः पर्यावरण की रक्षा का एक कदम है।

आर्थिक क्षेत्र में डिजिटल लेेन देन को बढ़ावा दिया जा रहा है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने डिजिटल लेन देन को बढ़ावा देने के लिए तीन नये डिजिटल भुगतान की पहल की है। मुंबई में 20 सितम्बर को आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट-2022 में आरबीआई गवर्नर ने यूपीआई पर रूपे क्रेडिट कार्ड, यूपी आईलाइट और भारत बिल पे क्रास बार्डर बिल पेमेन्ट सोल्यूशंस सेवा को लांच किया है। इन सेवाओं के शुरू होने के बाद 30 करोड़ और नए लोग डिजिटल पेमेन्ट के इस सिस्टम से जुड़ सकेंगे। गवर्नर शक्तिकांत दास ने कर्ज देने वाले ऐप और उनके द्वारा ऊंचा ब्याज वसूलने को लेकर आगाह किया है। रूपे क्रेडिट कार्ड के साथ यूपीआई लिंक से कस्टमर्स और मर्चेन्ट दोनों को लाभ होगा। इसमें क्यूआर कोड के माध्यम से कस्टमर्स क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर सकेंगे। गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इससे छोटे मूल्य का लेन-देन आसान तरीके से यूपीआई लाइट के जरिए किया जा सकेगा। भीम ऐप पर यूपीआई लाइट से ग्राहक निकट-आफ लाइन मोड मंे छोटे मूल्य के लेन-देन कर सकेंगे।

अपने डिजिटल इंडिया के बढ़ते कदम को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 20 सितम्बर को कहा कि फिनटेक उद्योग सुरक्षा पर काम करे। उन्होंने कहा कि फिनटेक क्षेत्र को लोगों का भरोसा बनाए रखने के लिए सुरक्षा पर लगातार काम करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ग्लोबल फिनटेक फेस्ट को दिये अपने संदेश मंे कहा कि यह क्षेत्र इस बात की तस्दीक करता है कि जब नवाचार को बढ़ावा देने वाली सरकार, युवा और आविष्कारशील दिमाग एक साथ आते हैं, तो कैसे अजूबों को साकार किया जा सकता है। भारत के लिए डिजिटलाइजेशन भी एक नवाचार है। इससे पहले लेन-देन मंे हेराफेरी और भ्रष्टाचार की गुंजाइश ज्यादा रहती थी। कभी-कभी तो पुराने और घिसे-पिटे नोटों को लेकर ही चख-चख होने लगती थी। डिजिटल पेमेंट ने इन समस्याओं से छुटकारा दिला दिया है। ग्रामीण क्षेत्र मंे मनरेगा जैसी योजना मंे श्रमिकों को अब सीधे बैंक खाते मंे भुगतान मिलता है। छात्रवृत्ति मंे भी अब किसी प्रकार का घोटाला नहीं किया जा सकता। किसानों को खतौनी लेनी हो अथवा अन्य दस्तावेज, एब कुछ आसानी से मिल जाता है इसके लिए रजिस्टर नहीं खोजने पड़ते।

दरअसल, डिजिटाइलेशन व्यवसाय मॉडल को बदलने, नये राजस्व और मूल्य उत्पादक अवसर प्रदान करने के लिए डिजिटल तकनीक का एक उपयोग है। इसमंे कागज का उपयोग नहीं होता और हेरफेर करने की गुंजाइश भी नहीं रहती। किसी भी प्रकार की सूचना को अथवा किसी भी प्रकार के दस्तावेज को डिजिटल रूप मंे सुरक्षित रखने की प्रक्रिया को ही डिजिटलाइजेशन कहते हैं। आज के समय मंे इसका बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि हमंे किसी प्रकार की सूचना या डाटा (आंकड़ा) को हार्ड फार्मेट में बहुत ज्यादा समय तक रखना जोखिम भरा है और कागज की भी बर्बादी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसीलिए डिजिटलाइजेशन के महत्व को समझा है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में देश की सत्ता संभाली थी। जुलाई 2015 मंे उन्हांेने अपनी महत्वाकांक्षी योजना डिजिटल इंडिया की शुरुआत की थी। उन्होंने कहा था इस नई पहल से करोड़ों देशवासियों के सपने साकार होंगे और यह भारत का भविष्य बदलेगा। उसी दिन से डिजिटल इंडिया वीक शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि योजना के शुरू होने से पहले ही डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र मंे साढ़े चार लाख करोड़ रुपये के निवेश का ऐलान हो चुका है। इससे देश में 18 लाख लोगो को रोजगार के अवसर मिलेंगे। योजना को शुरू करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि तकनीक को अपनाना समय की मांग है। इसे नहीं अपनाया तो दुनिया मंे पिछड़ जाएंगे। मानव जाति अब वहीं पर बसेगी, जहां से आप्टिकल फाइवर की लाइन गुजरती होगी। युवाओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि सिर्फ विरासत के गीत गाने से कुछ नहीं होगा, इसके साथ आधुनिकता को भी जोड़ना होगा।

तब से सचमुच भारत बदल गया है। लोगों को वे दिन भी याद हैं जब बैंकों में कितने ही ग्राहक ऐसे मिल जाते थे जो अनुरोध करते थे कि भइया रुपये निकालने हैं, पर्ची भर दो। अब तो उनके मोबाइल में ही बैंक है। कोई सामान खरीदा तो मोबाइल से पेमेन्ट कर दिया। ठेले पर चाय बेचने वाला भी गूगल पेमेंट ले लेता है। पान खाने के बाद फटे-पुराने रुपये अथवा रेजगारी को लेकर झगड़ा करते थे, अब डिजिटल पेमेन्ट हो रहा है जिसमंे न तो कोई नोट कटा-फटा है और न पुराना। इतना ही नहीं डिजिटलाइजेशन ने नकली नोटों के प्रचलन पर भी लगाम लगा दी है। अब मनी आर्डर नहीं भेजा जाता बल्कि बेटा मोबाइल से सीधे ही मनी अपने पिता जी अथवा परिजनों को भेज देता है। मोदी के डिजिटलाइजेशन ने भारत को एक ऐसा तकनीकी चेहरा दिया है जो विकसित देशों में सम्मानित हो रहा है। (हिफी)

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