रक्षा मंत्री बोले- संप्रभुता की रक्षा के लिए कोई भी बलिदान देंगे
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रही तनातनी के बीच आज स्पष्ट रूप से कहा कि भारत शांति के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन साथ ही वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए भी पूरी तरह से तैयार है चाहे इसके लिए कोई भी बलिदान देना पड़े।
राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज की हीरक जयंती पर आयोजित वेबिनार में देश और विदेश के जाने माने सामरिक, सुरक्षा, विदेश नीति विशेषज्ञों और सैन्य तथा प्रशासनिक अधिकारियों के समक्ष मुख्य भाषण देते हुए राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध के परिप्रेक्ष्य में कहा कि पिछले कुछ समय से भारत को अपनी सीमाओं पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा, "भारत शांति प्रिय देश है। हमारा मानना है कि मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने देना चाहिए। हम बातचीत के जरिये मतभेदों के शांतिपूर्ण समाधान को महत्व देते हैं। लेकिन एकतरफा कार्रवाई और हमले की स्थिति में वह अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए तैयार है चाहे इसके लिए कोई भी बलिदान देना पड़े।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि विभिन्न देशों की यात्रा में आये उतार और चढाव से हमने सबसे बुनियादी सबक यही सीखा है कि केवल शांति की इच्छा से शांति हासिल नहीं की जा सकती किन्तु शांति सुनिश्चित करने के लिए युद्ध के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भारत ने क्षमता विकास और स्वदेशीकरण की दीर्घावधि नीति तैयार कर यह प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की कोशिश की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने क्षेत्र में और उसके बाहर साझा हितों के लिए समान विचार वाले देशों के साथ संबंध बनाये हैं और साझेदारी की है। इस संदर्भ में उन्होंने आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका तथा रूस जैसे देशों के साथ भारत के संबंधों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ हमारी सामरिक साझेदारी पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है। भारत के रूस के साथ भी मजबूत पारंपरिक और गहरे संबंध हैं और दोनों देशों ने अतीत में कई चुनौतियों का मिलकर सामना किया है। भारत और आस्ट्रेलिया के भी साझा मूल्य और समान चिंता हैं। गत जून में दोनों देशों के बीच वर्चुअल सम्मेलन से व्यापक सामरिक साझेदारी और मजबूत हुई है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले छह वर्षों में सरकार ने अगले एक दशक के लिए देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चार सूत्रीय दृष्टिकोण का ब्लू प्रिन्ट पेश किया है। पहला देश की प्रादेशिक अखंडता और संप्रभुता की बाहरी खतरों तथा आंतरिक चुनौतियों के मोर्चे पर सुरक्षा करने की योग्यता हासिल करना, दूसरा ऐसी सुरक्षित और स्थिरता पैदा करना जिससे देश के आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त हो और लोगों की आकांक्षाओं के अनुरूप राष्ट्र निर्माण के संसाधन जुटाये जा सकें। तीसरा हम दूसरे देशों में रहने वाले अपने लोगों तथा अपने सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए दृढ हैं और चौथा हमारा मानना है कि वैश्विक और आपस में जुड़ी दुनिया में देश के सुरक्षा हित साझा और समान हैं।
उन्होंने कहा कि इन सिद्धांतों के आधार पर हमने अपनी सुरक्षा नीति में व्यापक बदलाव किया है जो मजबूत, कानून सम्मत और नैतिक कार्यों पर टिके हैं। आंतरिक सुरक्षा की चुनौती से निपटने के लिए तीन स्तरीय नीति अपनायी गयी है इसके तहत आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों का विकास और पीड़ितों को न्याय दिलाना शामिल है। उन्होंने कहा कि यदि किसी तरह की यथास्थिति असहाय नागरिकों के उत्पीड़न का जरिया बन गयी है तो सरकार उसे बदलने की भी पूरी इच्छा रखती है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार द्वारा पिछले छह वर्षों में रक्षा, आर्थिक, कृषि और सामाजिक क्षेत्र में किये गये बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार देश के विकास और प्रगति के लिए अनेक स्तर पर काम कर रही है।
राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने न केवल भारत में बल्कि कई मित्रवत विदेशी देशों में भी अनेक सामरिक विशेषज्ञ तैयार किये हैं। इनमें से कुछ तो अपने अपने देश के प्रमुख भी रहे हैं और कई अन्य ने अपने अपने क्षेत्रों में सर्वोच्च जिम्मेदारी के पद संभाले हैं।
दो दिन के इस वेबिनार का विषय 'भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा - आने वाला दशक' है जो मौजूदा क्षेत्रीय तथा वैश्विक परिस्थितियों और बदलते परिदृश्य को देखते हुए एकदम प्रासंगिक है। उन्होंने कहा कि विश्व व्यवस्था में हो रहे बदलाव तथा भारतीय महाद्वीप और हिन्द प्रशांत क्षेत्र के सुरक्षा परिदृश्य का भारत के विकास पर सीधा असर पड़ता है।
वेबिनार में दुनिया की मौजूदा भू-राजनैतिक स्थित और कोविड के बाद की स्थिति में उभरती नई अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर चर्चा की जायेगी। वेबिनार को अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ता संबोधित करेंगे जिनमें रक्षा सचिव, विदेश सचिव, गृह सचिव, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेनाओं के प्रमुख, पीटर वर्गीस और सी राजा मोहन आदि प्रमुख हैं। वेबिनार में देश और विदेश के 3000 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।