कश्मीर की काया व कद में बदलाव
विशेषाधिकार की संकीर्णता में जकड़ा था जम्मू-कश्मीर
वोट की राजनीति के चलते पूर्व की सरकारों ने नहीं किया हस्तक्षेप
नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35-ए को निष्प्रभावी किया
अब शेष भारत से समरस हो रहा है राज्य, खुल रहे मल्टीप्लेक्स
भारत के सिरमौर कश्मीर की सिर्फ काया ही नहीं बदली बल्कि उसका कद भी ऊंचा हो गया है। अब यह केन्द्र शासित प्रदेश है और इसके विकास के लिए केन्द्र सरकार प्राथमिकता भी दे रही है। राज्य में सरकार चला रहे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंक के दहशत को काफी हद तक कम कर दिया है। इसी का नतीजा है कि तीन दशक के बाद श्रीनगर में मल्टी प्लेक्स सिनेमा हाल का उद्घाटन किया गया है। कश्मीर में बीते वर्षों में बड़े पर्दे पर सिनेमा देखने को लोग तरस गये थे। राज्य के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह कहते हैं कि इस केन्द्र शासित प्रदेश की शांति भंग करने के लिए सीमा पार से लगातार साजिशें रची जा रही हैं लेकिन हम नियमित रूप से उन्हें असफल कर रहे हैं। यह सब हो रहा है जम्मू-कश्मीर में संविधान के अनुच्छेद-370 और धारा 35-ए के निष्प्रभावी होने के चलते। कश्मीर को मिला यह विशेषाधिकार ही उसके विकास में बाधक बन रहा था लेकिन वोट की राजनीति के चलते पूर्व की सरकारों ने इसमंे हस्तक्षेप करने का साहस नहीं दिखाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अपने गृहमंत्री अमित शाह से जम्मू-कश्मीर में पहले सुरक्षात्मक व्यवस्था पक्की की और बाद में 5 अगस्त 2019 को धारा 370 और 35-ए को निष्प्रभावी कर दिया गया। इस प्रकार जम्मू-कश्मीर राज्य को दो हिस्सों में बांटकर लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया। केन्द्र शासित प्रदेश बनते ही बाबू श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसा चाहते थे कि एक ही देश में दो विधान, दो निशान नहीं चलेंगे, उनका सपना भी पूरा हो गया। कश्मीर जो संकीर्णता में जकड़ा था, उससे मुक्त होकर शेष भारत के साथ समरस हो गया है। काया और कद में सुखद बदलाव आज स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
कश्मीर में कई सुखद बदलाव देखने को मिल रहे हैं। बड़े पर्दे पर फिल्म देखने का इंतजार अब खत्म हो गया है। श्रीनगर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने श्रीनगर में मल्टीप्लेक्स सिनेमा हॉल का उद्घाटन किया। अब यहां के लोगों को तीन दशक से अधिक समय के बाद बड़े पर्दे पर फिल्में देखने का मौका मिलेगा। इससे पहले उपराज्यपाल ने पुलवामा और शोपियां के सिनेमा हॉल लोगों, खासकर कश्मीर की युवा पीढ़ी को समर्पित किए थे। गौरतलब है कि 1989-90 में आतंकवादियों की धमकियों और हमलों के कारण सिनेमाघर मालिकों ने घाटी में अपने-अपने सिनेमाघर बंद कर दिए थे। कश्मीर में 1980 के दशक में करीब एक दर्जन से अधिक सिनेमाघर संचालित किये जा रहे थे। लेकिन, आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने के कारण ये बंद हो गये थे। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने पिछले दिनों कहा कि केंद्र शासित प्रदेश की शांति भंग करने के लिए सीमा पार से लगातार साजिशें रची जा रही हैं लेकिन नियमित रूप से उन्हें असफल किया जा रहा है। पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने जोर देकर कहा कि सुरक्षाबल सर्दियों से पहले आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिशों को नाकाम करने के लिए पूरी तरह से सतर्क हैं।
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि जम्मू, पुंछ-राजौरी और कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में आतंकवाद रोधी अभियान के दौरान ऐसे कई आतंकवादियों को निष्क्रिय (मारना या पकड़ना) किया गया है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अप्रैल में हुए जम्मू-कश्मीर दौरे से पहले दो फिदायीन को मार गिराया गया था। सीमा पार से साजिशें हो रही हैं जिन्हें समय रहते निष्क्रिय किया जा रहा है।
नरेन्द्र मोदी की सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए साल 2019 को देश से विवादित अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया। इसकी शुरुआत कश्मीर के राजा हरि सिंह से हुई थी। अक्टूबर 1947 में, कश्मीर के तत्कालीन महाराजा, हरि सिंह ने एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि तीन विषयों के आधार पर यानी विदेश मामले, रक्षा और संचार पर जम्मू और कश्मीर भारत सरकार को अपनी शक्ति हस्तांतरित करेगा। मार्च 1948 में, महाराजा ने शेख अब्दुल्ला के साथ प्रधान मंत्री के रूप में राज्य में एक अंतरिम सरकार नियुक्त की। जुलाई 1949 में, शेख अब्दुल्ला और तीन अन्य सहयोगी भारतीय संविधान सभा में शामिल हुए और जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति पर बातचीत की, जिससे अनुच्छेद 370 को अपनाया गया। विवादास्पद प्रावधान शेख अब्दुल्ला द्वारा तैयार किया गया था।
कानून निरस्त होने से पहले धारा 370 के प्रावधान इस प्रकार थे- संसद को राज्य में कानून लागू करने के लिए जम्मू और कश्मीर सरकार की मंजूरी की आवश्यकता थी - रक्षा, विदेशी मामलों, वित्त और संचार के मामलों को छोड़कर। जम्मू और कश्मीर के निवासियों की नागरिकता, संपत्ति के स्वामित्व और मौलिक अधिकारों का कानून शेष भारत में रहने वाले निवासियों से अलग है। अनुच्छेद 370 के तहत, अन्य राज्यों के नागरिक जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। अनुच्छेद 370 के तहत, केंद्र को राज्य में वित्तीय आपातकाल घोषित करने की कोई शक्ति नहीं थी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 (1) (सी) में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 1 अनुच्छेद 370 के माध्यम से कश्मीर पर लागू होता है। अनुच्छेद 1 संघ के राज्यों को सूचीबद्ध करता है। इसका मतलब है कि यह अनुच्छेद 370 है जो जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संघ से जोड़ता है। अनुच्छेद 370 को हटाना, जो राष्ट्रपति के आदेश द्वारा किया जा सकता था, राज्य को भारत से स्वतंत्र कर सकता था।
जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 3 में कहा गया था कि जम्मू और कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है और रहेगा। अनुच्छेद 5 में कहा गया कि राज्य की कार्यपालिका और विधायी शक्ति उन सभी मामलों तक फैली हुई है, जिनके संबंध में संसद को भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है। संविधान 17 नवंबर 1956 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था। 5 अगस्त 2019 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा जारी संविधान (जम्मू और कश्मीर के लिए आवेदन) आदेश, 2019 (सीओ 272) द्वारा जम्मू और कश्मीर के संविधान व धारा-370 व 35-ए को निष्प्रभावी बना दिया गया था। (हिफी)