बिहार से की अमित शाह ने नयी चुनावी पहल

बिहार से की अमित शाह ने नयी चुनावी पहल

नई दिल्ली बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कोरोना संक्रमण के बीच शंखनाद हो गया है। यह शंखनाद भाजपा के चाणक्य और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया है। शाह ने वर्चुअल रैली के माध्यम से बिहार की जनता को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही यहां एनडीए की सरकार फिर बनेगी। इस प्रकार बिहार में अगले मुख्यमंत्री को लेकर किसी प्रकार के विवाद की गुंजाइश नहीं रह गयी। नीतीश कुमार और उनकी पार्टी को अब किसी प्रकार की शिकायत नहीं रहनी चाहिए। एनडीए के दूसरे सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के लिए भी यह अप्रत्यक्ष जवाब है। चिराग पासवान ने चुनाव के लिए साझा कार्यक्रम बनाने की बात कही थी लेकिन अमित शाह ने इशारे में बता दिया कि नीतीश कुमार ही ये सब तय करेंगे। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की उपलब्धियों का भी जमकर बखान किया। पुलवामा का बदला से लेकर चीन की सीमा तक सड़क का भी उल्लेख किया। बिहार ने हमेशा बदलाव की अगुवाई की है। अमित शाह ने कहा आपातकाल के विरोध में बिहार से ही आंदोलन की शुरुआत जयप्रकाश नारायण ने की थी। बिहार की धरती ने हमेशा देश का नेतृत्व किया है। इस प्रकार अमित शाह ने चुनावी माहौल बना दिया। हालांकि उन्होंने कहा कि यह चुनावी रैली नहीं है। भाजपा जनतंत्र और जनसंवाद में यकीन रखती है। यह रैली उसी क्रम में है। इस रैली के माध्यम से 72 हजार बूथों पर एलसीडी लगाए गये थे, जहां लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अमित शाह को सुना। इस प्रकार वर्चुअल रैली चुनाव प्रचार की नयी पहल भी कही जा सकती है। भारत में चुनाव के लिए वर्चुअल रैली कैसी रहेगी, इस पर विशेषज्ञ भी राय दे रहे हैं। इस रैली को फेसबुक पर 14 लाख व्यूज मिले हैं। अब तक किसी भी चुनावी रैली में इतने लोग एकत्र नहीं हो पाए । यह भी ध्यान देने की बात है कि आने वाला बिहार विधानसभा चुनाव इस बार सबसे लेटेस्ट ईवीएम मशीन एम 3 से होगा।

बिहार में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी एच.आर. श्रीनिवासन ने सभी जिला निर्वाचन पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिलों में जो भी ईवीएम एम 1 और एम 2 है उसे अन्य राज्यों में भेजा जाए। बता दें कि एम 3 ईवीएम मशीन सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की मशीन है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने सभी जिला पदाधिकारी को मतदान केंद्रों का भौतिक सत्यापन जल्द कर लेने का निर्देश भी दिया है। इसके साथ ही निर्वाचन पदाधिकारी ने लोकसभा चुनाव के समय जिन जिलों में आपराधिक घटनाएं हुई थीं, उनके बारे में जांच तुरंत पूरा करने का निर्देश दिया। यह नयी मशीन क्या है, इसके बारे में सामान्य शब्दों में कहें तो एम 3 ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का थर्ड जनरेशन है। चुनाव आयोग ने इस ईवीएम को मार्क 3 यानि एम 3 नाम दिया है। नेक्स्ट जनरेशन मार्क 3 ईवीएम की विशेषता यह है कि इसके चिप को सिर्फ एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है। चिप के सॉफ्टवेयर कोड को पढ़ा नहीं जा सकता और इसको दोबारा लिखा भी नहीं जा सकता। इस प्रकार ईवीएम को लेकर सवाल उठाने की गुंजाइश भी कम हो जाएगी।

नयी मशीन के साथ चुनाव प्रचार का तरीका भी बदल रहा है। अमेरिका जैसे देशों में वर्चुअल रैली पहले से होती रही है। भारत में पहली बार वर्चुअल रैली का कांसेप्ट रियलिटी में कन्वर्ट हुआ है। बिहार जनसंवाद के नाम से हुई अमित शाह की इस रैली को बीजेपी ने दर्शक संख्या के लिहाज से सफल बताया है। इसे 40 लाख लोगों के देखने का दावा किया जा रहा है लेकिन क्या वर्चुअल कैंपेन आम रैलियों की तरह जनता पर असर कर पाएगा और क्या छोटी पार्टियां इतना बड़ा नेटवर्क खड़ा कर पाएंगी ? यह सवाल उठना स्वाभाविक है। देश की कई पार्टियां जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर देर से आईं, वो अब कोरोना काल के बाद जनता से कैसे जुड़ेगी। ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब लोगों को बीतते समय के साथ मिलेंगे। सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसायटी एंड पॉलिटिक्स के निदेशक प्रो. एके वर्मा का कहना है कि वर्चुअल रैलियां और सोशल मीडिया कोरोना के बाद के समय की सच्चाई हैं। अब हमारी पार्टियों को ई-पॉलिटिक्स की तरफ जाना पड़ेगा। बीजेपी ने इसका आगाज कर दिया है। श्री वर्मा सवाल करते हैं कि कोरोना काल (कोविड -19) के समय या बाद वर्चुअल रैली नहीं तो फिर क्या विकल्प है। हमारी पारंपरिक पॉलिटिक्स धीरे-धीरे इसी में कन्वर्ट हो जाएगी। करीब 10 साल लगेगा इसमें। यह जनता और नेता दोनों के लिए सहूलियत वाला है। कोरोना के बाद जनता भी तो भीड़ में जाना नहीं चाहेगी। क्या कोई किसी पार्टी के लिए संक्रमण का रिस्क लेने के लिए तैयार होगा? शायद नहीं। सबके लिए सहूलियत की बात है। इसलिए भी यह महत्वपूर्ण है कि रैलियों की परमिशन के लिए झगड़े खत्म हो जाएंगे। कोई ये नहीं कह सकता कि किसी सरकार के प्रशासन ने उसे रैली करने की अनुमति नहीं दी। प्रशासनिक तंत्र कई दिन जनता के काम छोड़कर रैलियों के लिए व्यस्त रहता है, लेकिन वर्चुअल कांसेप्ट में ऐसा नहीं होगा. न पार्टी वर्कर परेशान होंगे और न ही जनता को धूप में बैठकर नेता का इंतजार करना होगा।

प्रो. वर्मा कहते हैं कि सभी पार्टियों को अपना सोशल मीडिया विंग मजबूत करना होगा। इसमें संसाधनों का उतना बड़ा मामला नहीं है। क्योंकि हमने देखा है कि छोटी पार्टी होते हुए भी आम आदमी पार्टी ने अपने आपको इस मामले में बीजेपी के मुकाबले खड़ा किया है।

सभी पार्टियों के सामने बड़ी चुनौती है कि वो नए परिदृश्य में खुद को कैसे ढालते हैं। जो समय का सच स्वीकार नहीं करेगा वो खत्म हो जाएगा। पहले भी आजादी के बाद सैंकड़ों पार्टियां खत्म हुईं हैं और अब भी वो खत्म हो जाएंगी। उनके पास समय के साथ बदलने के अलावा जनता से जुड़ने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह छोटी पार्टियों के लिए अवसर भी है, क्योंकि उन्हें रैलियों की तरह करोड़ों रुपये नहीं खर्च करने हैं, बस वोटरों से मोबाइल पर जुड़ने का तरीका निकालना है। अपना ऑनलाइन जनाधार बढ़ाना है। किसी भी पार्टी को अपना अस्तित्व बचाना है तो उसे नई चुनौतियों और विकल्पों को स्वीकार करना ही होगा।

अमितशाह की वर्चुअल रैली के साथ ही बिहार की राजनीति और ज्यादा गर्म हो गयी है। मधेपुरा से लोकसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व सांसद पप्पू यादव अब विधानसभा चुनाव लड़ेंगे लेकिन चैंकाने वाली बात ये है कि मधेपुरा और पूर्णिया की राजनीति करने वाले पप्पू यादव विधानसभा में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र की कुम्हरार विधानसभा से दावेदारी कर रहे हैं। पप्पू यादव ने कुम्हरार से चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है। यही नहीं, वे सिर्फ कुम्हरार से ही नहीं, बल्कि मधेपुरा विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।

पप्पू यादव से जब सवाल पूछा गया कि मधेपुरा और कुम्हरार, दो सीटों से विधानसभा चुनाव लड़ने की वजह तो उन्होंने कहा, मधेपुरा मेरे लिए मां समान है, जिसे मैं कभी नहीं छोड़ सकता लेकिन पटना में जब पिछले साल जलजमाव हुआ था, तब सबसे ज्यादा राजेन्द्र नगर का इलाका प्रभावित हुआ था। मैं पटना में ही रहता हूं और मैंने जो कष्ट देखा, उस इलाके का, उस वक्त मैंने दिन-रात लोगों की सेवा की थी, तभी से मेरा भावनात्मक रिश्ता उस इलाके से हो गया। अब अगर वो इलाका कुम्हरार विधानसभा में है और अगर वहां की जनता चाहेगी तो मैं चुनाव लड़ूंगा। जन अधिकार पार्टी (लो) के नेता ने कहा, मधेपुरा मेरी जन्मभूमि है और वहां की मिट्टी मेरे रग-रग में है, सो मैं मधेपुरा से भी चुनाव लड़ूंगा। दरअसल, पप्पू यादव जबसे लोकसभा चुनाव हारे हैं, वे लगातार लोगों के बीच में रह रहे हैं। जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब बिहार में रहकर राज्य की सियासत करना चाहते हैं। कुम्हरार विधानसभा बीजेपी के लिए सेफ सीट मानी जाती है, जहां जातीय समीकरण से लेकर बीजेपी के कैडर वोटर की बड़ी आबादी है। यहां के बीजेपी विधायक अरुण सिन्हा कहते हैं, चुनाव लड़ना हर किसी का अधिकार है। पप्पू यादव भी लड़ें, कौन मना कर रहा है। फिलहाल तो वहां भी अमित शाह की वर्चुअल रैली की चर्चा हो रही थी।

~अशोक त्रिपाठी

(हिफी)

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