राज्यसभा में 'सामाजिक दूरी' के बजाय 'शारीरिक दूरी' शब्द का इस्तेमाल करने की मांग

नई दिल्ली। कोविड महामारी से बचाव के लिए व्यापक तौर पर इस्तेमाल किये जा रहे शब्द 'सामाजिक दूरी' को भेदभाव बढाने वाला करार देते हुए आज राज्यसभा में इसके स्थान पर 'शारीरिक दूरी' शब्द का इस्तेमाल किये जाने की मांग उठी।
तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने विशेष उल्लेख के दौरान यह मामला उठाते हुए कहा कि इस शब्द से कोरोना के रोगियों के प्रति भेदभाव बढ रहा है और इससे सामाजिक तौर पर उनके बहिष्कार का माहौल बन रहा है।
सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अच्छा सुझाव है और सामाजिक दूरी के बजाय सुरक्षित दूरी शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के शांतनु सेन ने कहा कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी की बात कही जा रही है और इसका मतलब यह है कि दो व्यक्तियों के बीच छह फुट की दूरी होनी चाहिए। लेकिन इसका सामाजिक तौर पर गलत असर हो रहा है और कोरोना संक्रमित व्यक्तियों तथा उनके परिजनों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय शारीरिक दूरी शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। अनेक सदस्यों ने उनकी मांग का समर्थन किया।
एम वेंकैया नायडू ने कहा कि यह अच्छा सुझाव है और वह इससे सहमत हैं लेकिन इस बारे में निर्णय सरकार को लेना है। सरकार इसके स्थान पर उचित शब्द के बारे में निर्णय ले। उन्होंने कहा कि सुरक्षित दूरी शब्द का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
वार्ता