प्रधानमंत्री जन धन योजना राष्ट्रीय मिशन लागू होने के छह साल पूरे
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय सामाजिक-आर्थिक रूप से उपेक्षित वर्गों और हाशिए पर मौजूद लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। वित्तीय समावेशन सरकार की एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है क्योंकि यह समावेशी विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह गरीबों को उनकी बचत को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाने के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। साथ ही यह उन्हें गांवों में रहने वाले उनके परिवारों को आसानी से धन भेजने की सुविधा उपलब्ध कराता है जिससे उन्हें अपने परिवारों को अधिक ब्याज लेने वाले सूदखोरों के चंगुल से निकालने में मदद मिलती है। इसी प्रतिबद्धता के साथ शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) एक महत्वपूर्ण पहल है जो दुनिया में सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में पीएमजेडीवाई की घोषणा की थी। 28 अगस्त को इस कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने इस अवसर को एक दुष्चक्र से गरीबों की मुक्ति के एक जश्न के रूप में निरूपित किया था।
केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएमजेडीवाई की छठी वर्षगांठ पर इस योजना के महत्व को दोहराया। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री जन धन योजना मोदी सरकार के जन केंद्रित आर्थिक कार्यक्रमों की बुनियाद रही है। चाहे प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण हो अथवा कोविड-19 संबंधी वित्तीय सहायता, पीएम-किसान, मनरेगा के तहत मजदूरी में वृद्धि, जीवन एवं स्वास्थ्य बीमा कवर, प्रत्येक वयस्क को बैंक खाता प्रदान करने के लिए उठाया गया पहला कदम था जिसे पीएमजेडीवाई ने लगभग पूरा कर लिया है।
वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इस अवसर पर पीएमजेडीवाई के लिए अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पीएमजेडीवाई बैंकिंग सुविधा से वंचित लोगों को बैंकिंग प्रणाली के तहत लाई है। साथ ही इसने भारत के वित्तीय ढ़ांचे का विस्तार किया है और 40 करोड़ से अधिक खाताधारकों को वित्तीय समावेशन के दायरे में लाई है। इसके लाभार्थियों में से अधिकांश महिलाएं हैं और अधिकतर खाते ग्रामीण भारत से हैं। आज कोविड-19 के दौर में हमने डीबीटी में उल्लेखनीय तेजी और सहजता देखी है। इसने समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाने और उन्हें वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने में मदद की है। इसका एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि पीएम जन धन खातों के माध्यम से डीबीटी ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक रुपया निर्धारित लाभार्थी तक पहुंच जाए और उसमें कोई गड़बड़ी न होने पाए।"
वित्त विभाग द्वारा जारी प्रेसनोट में बताया गया है कि इस योजना को सफलतापूर्वक लागू हुए 6 वर्ष पूरे हो चुके हैं और इस अवसर पर हम इस योजना के अब तक के प्रमुख पहलुओं और उपलब्धियों पर एक नजर डालते हैं।
पृष्ठभूमि
प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) बैंकिंग, बचत/जमा खातों, प्रेषण, उधारी, बीमा, पेंशन आदि वित्तीय सेवाओं तक किफायती तरीके से पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय समावेशन का एक राष्ट्रीय मिशन है।
1. उद्देश्य:
- किफायती मूल्य पर वित्तीय उत्पादों और सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करना
- लागत घटाने और पहुंच को व्यापक बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग
2. योजना के मूल सिद्धांत
- बैंकिंग पहुंच से दूर रहने वाले लोगों को बैंकिंग प्रणाली में शामिल करना - न्यूनतम कागजी कार्रवाई के साथ मूल बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता खोलना, केवाईसी, ई-केवाईसी नियमों में ढील देना, शून्य खाता शेष और शून्य शुल्क के साथ शिविर मोड में खाता खोलना।
- असुरक्षित को सुरक्षित करना - 2 लाख रुपये के मुफ्त दुर्घटना बीमा कवरेज के साथ नकद निकासी और भुगतान के लिए स्वदेशी डेबिट कार्ड जारी करना।
- वित्त पोषण की सुविधा - सूक्ष्म बीमा, उपभोग के लिए ओवरड्राफ्ट, माइक्रो-पेंशन और माइक्रो-क्रेडिट जैसे अन्य वित्तीय उत्पाद
3. शुरुआती विशेषताएं
यह योजना निम्नलिखित 6 स्तंभों के साथ शुरू की गई थी:
- बैंकिंग सेवाओं- शाखा एवं बीसी तक सार्वभौमिक पहुंच।
- प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ मूल बचत बैंक खाता।
- वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम- बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, ऋण के लिए तैयार होना, बीमा एवं पेंशन का लाभ उठाना, बैंकिंग के लिए बेसिक मोबाइल फोन का उपयोग करना।
- क्रेडिट गारंटी फंड तैयार करना- डिफॉल्ट होने की स्थिति में बैंकों को कुछ गारंटी प्रदान करना।
- बीमा- 15 अगस्त 2014 से 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खातों पर 1,00,000 रुपये तक दुर्घटना कवर और 30,000 रुपये का जीवन कवर प्रदान करना।
- असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन योजना।
4. पिछले अनुभव के आधार पर पीएमजेडीवाई में अपनाए गए महत्वपूर्ण दृष्टिकोण:
v खोले गए सभी खाते बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली से संबद्ध ऑनलाइन खाते हैं जबकि पहले वेंडर के साथ लॉक-इन प्रौद्योगिकी वाले ऑफलाइन खाते खोले जाते थे।
v रूपे डेबिट कार्ड या आधार समर्थित भुगतान प्रणाली (एईपीएस) के माध्यम से अंतर-संचालन की सुविधा।
v फिक्स्ड पॉइंट बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट्स।
v केवाईसी की बोझिल औपचारिकताओं के स्थान पर सरलीकृत केवाईसी/ई-केवाईसी।
5. नई सुविधाओं के साथ पीएमजेडीवाई में विस्तार– सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ व्यापक पीएमजेडीवाई कार्यक्रम को 28 अगस्त 2018 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
v यह योजना प्रत्येक परिवार के बजाय अब प्रत्येक वयस्क को बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।
v रूपे कार्ड बीमा – 28 अगस्त 2018 के बाद खोले गए पीएमजेडीवाई खातों के लिए रूपे कार्ड पर मुफ्त दुर्घटना बीमा कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये किया गया।
v ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में वृद्धि-
v ओवरड्राफ्ट सीमा को 5,000 रुपये से दोगुना करते हुए 10,000 रुपये किया गया, 2,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट (बिना शर्त)।
v ओवरड्राफ्ट के लिए ऊपरी आयु सीमा को 60 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया गया।
6. पीएमजेडीवाई की उपलब्धियां - 19 अगस्त 2020 तक:
क) पीएमजेडीवाई खाते
Ø 19 अगस्त 2020 के अनुसार पीएमजेडीवाई खातों की कुल संख्या: 40.35 करोड़, ग्रामीण पीएमजेडीवाई खाते: 63.6 प्रतिशत, महिला पीएमजेडीवाई खाते: 55.2 प्रतिशत।
Ø योजना के पहले वर्ष के दौरान 17.90 करोड़ पीएमजेडीवाई खाते खोले गए।
Ø पीएमजेडीवाई के तहत खातों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है।
ख) सक्रिय पीएमजेडीवाई खाते–
Ø आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, पीएमजेडीवाई खाते को निष्क्रिय तभी माना जाता है जब ग्राहक दो साल से अधिक समय तक खाते में कोई लेन-देन नहीं करता है।
Ø अगस्त 2020 में कुल 40.35 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों में से 34.81 करोड़ (86.3 प्रतिशत) सक्रिय खाते हैं।
Ø सक्रिय खातों के प्रतिशत में लगातार हो रही वृद्धि से पता चलता है कि इनमें से अधिकतर खातों का उपयोग नियमित रूप से ग्राहकों द्वारा किया जा रहा है।
ग) पीएमजेडीवाई खातों में जमा -
Ø पीएमजेडीवाई खातों के तहत कुल जमा रकम 1.31 लाख करोड़ रुपये है।
Ø खातों की संख्या में 2.3 गुना वृद्धि (अगस्त 2015 से अगस्त 2020) होने के साथ ही जमा रकम में 5.7 गुना वृद्धि दर्ज की गई।
घ) प्रति पीएमजेडीवाई खाता औसत जमा -
Ø प्रति खाता औसत जमा 3,239 रुपये।
Ø अगस्त 2015 के मुकाबले प्रति खाता औसत जमा में 2.5 गुना वृद्धि दर्ज की गई।
Ø औसत जमा में वृद्धि खातों के बढ़ते उपयोग और खाताधारकों के बीच बचत की आदत में वृद्धि का एक अन्य संकेत है।
ड.) पीएमजेडीवाई खाताधारकों को जारी रूपे कार्ड
Ø पीएमजेडीवाई के खाताधारकों को जारी किए गए कुल रूपे कार्ड: 29.75 करोड़।
Ø समय के साथ-साथ रूपे कार्ड की संख्या और उसकी उपयोगिता बढ़ रही है।
7. जन धन दर्शक ऐप
देश में बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंक मित्रों, डाक घरों आदि जैसे बैंकिंग टच पॉइंट का पता लगाने के लिए एक नागरिक केंद्रित प्लेटफॉर्म प्रदान करने के उद्देश्य से एक मोबाइल ऐप्लिकेशन लॉन्च किया गया था। इस जीआईएस ऐप पर 8 लाख से अधिक बैंकिंग टच पॉइंट मैप किए गए हैं। आम लोगों की जरूरतों और सुविधाओं के अनुसार जन धन दर्शक ऐप पर उपलब्ध सुविधाओं का लाभ उठाया जा सकता है। इस ऐप्लिकेशन के वेब संस्करण को http://findmybank.gov.in लिंक पर देखा जा सकता है।
इस ऐप का इस्तेमाल उन गांवों की पहचान के लिए भी किया जा रहा है जहां 5 किमी के दायरे में कोई बैंकिंग टच पॉइंट की सुविधा नहीं है। उसके बाद इन चिन्हित गांवों को संबंधित एसएलबीसी द्वारा विभिन्न बैंकों को आवंटित किया जाता है ताकि वहां बैंकिंग केंद्र खोला जा सके। इन सब प्रयासों से ऐसे गांवों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
8. पीएमजेडीवाई महिला लाभार्थियों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी)
माननीय वित्त मंत्री द्वारा 26 मार्च 2020 को की गई घोषणा के अनुसार, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के महिला खाताधारकों के खातों में तीन महीनों (अप्रैल 2020 से जून 2020) के दौरान 500 रुपये प्रति माह रकम जमा कराई गई। अप्रैल 2020 से जून 2020 के दौरान महिला पीएमजेडीवाई खाताधारकों के खातों में कुल मिलाकर 30,705 करोड़ रुपये जमा कराए गए हैं।
9. निर्बाध डीबीटी लेन-देन सुनिश्चित करना:
बैंकों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, लगभग 8 करोड़ पीएमजेडीवाई खाताधारकों ने सरकार से विभिन्न योजनाओं के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) प्राप्त किया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि पात्र लाभार्थियों को समय पर उनका डीबीटी प्राप्त हो, विभाग डीबीटी मिशन, एनपीसीआई, बैंकों और विभिन्न अन्य मंत्रालयों के परामर्श से डीबीटी के विफल होने के संभावित कारणों की पहचान करने में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इस संबंध में बैंकों और एनपीसीआई के साथ नियमित तौर पर निगरानी की जाती है। अपरिहार्य कारणों से डीबीटी के विफल होने की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है। डीबीटी के विफल होने की संख्या अप्रैल 2019 में 5.23 लाख (0.20 प्रतिशत) थी जो घटकर जून 2020 में 1.1 लाख (0.04 प्रतिशत) रह गई।
10. आगे की राह
i. पीएमजेडीवाई खाताधारकों का सूक्ष्म बीमा योजनाओं के तहत कवरेज सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किए जाएंगे। पात्र पीएमजेडीवाई खाताधारकों को पीएमजेजेबीवाई और पीएमएसबीवाई के तहत कवर करने के लिए कहा जाएगा। इस संबंध में बैंकों को पहले ही सूचित किया जा चुका है।
ii. पीएमजेडीवाई खाताधारकों के बीच रूपे डेबिट कार्ड के उपयोग सहित डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जाएगा और इसके लिए देश भर में उपयुक्त बुनियादी ढांचा तैयार किया जाएगा।
iii. माइक्रो-क्रेडिट और सूक्ष्म निवेश जैसी फ्लेक्सी आवर्ती जमा आदि तक पीएमजेडीवाई खाताधारकों की पहुंच में सुधार लाने की कोशिश की जाएगी।