जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण, भारत में बड़े बदलाव का किया उद्घाटन

जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण, भारत में बड़े बदलाव का किया उद्घाटन

नई दिल्ली। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत और नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने 10 अगस्त, 2020 को जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा विकसित ऑनलाइन कार्यनिष्पादन डैशबोर्ड "जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण, भारत में बड़ा बदलाव" का उद्घाटन किया। यह शुभारम्भ न्यू इंडिया और अन्य नीति पहलों के लिए रणनीति, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के राष्ट्रीय विकास एजेंडा के आलोक में जनजातीय कार्य मंत्रालय की सीएसएस/सीएस योजनाओं की प्रगति की समीक्षा के लिए आयोजित नीति आयोग की बैठक के दौरान किया गया। यह उल्लेख किया जा सकता है कि एसडीजी को 'हमारे विश्व का रुपांतर करनाः सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा' के संकल्प के एक भाग के रूप में सितम्बर, 2015 में अपनाया गया था। केंद्र सरकार के स्तर पर, नीति आयोग को देश में 17 सतत विकास लक्ष्यों के कार्यान्वयन की देखरेख करने की भूमिका सौंपी गई है। इस बैठक में दीपक खाण्डेकर्माडे के नेतृत्व में जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधिकारियों ने पिछले एक वर्ष के दौरान शुरू की गई विभिन्न ई-पहलो के बारे में एक प्रस्तुति दी।

अमिताभ कांत ने मंत्रालय को विभिन्न योजनाओं के डिजिटलीकरण और उनका कार्यनिष्पादन डैशबोर्ड "जनजातीय लोगों का सशक्तिकरण, भारत में बड़ा बदलाव" के साथ समेकन करने के लिए मंत्रालय को बधाई दी। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद ने नीति आयोग द्वारा निर्धारित उत्पादन निष्कर्ष लक्ष्यों को अर्जित करने में किए गए प्रयासों के लिए मंत्रालय की सराहना की।

कार्यनिष्पादन डैशबोर्ड एक परस्पर प्रभावी और गतिशील मंच है जो एसडीजी को अर्जित करने के लिए मंत्रालय की योजनाओं/पहलों के अद्यतन और वास्तविक विवरण को प्रदर्शित करता है। यह डैशबोर्ड मंत्रालय की 5 छात्रवृत्ति योजनाओं के प्रदर्शन का पता लगाता है जिनमें प्रतिवर्ष लगभग 30 लाख वंचित अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 2500 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त होता है। नीति आयोग को यह जानकारी दी गई कि मंत्रालय ने हाल ही में डीबीटी मिशन के मार्गदर्शन में तहत "आईटी सक्षम छात्रवृत्ति योजनाओं के माध्यम से जनजातीय लोगों के सशक्तिकरण" के लिए 66वाँ स्कोच स्वर्ण पुरस्कार मिला है। नीति आयोग के लिए अपने अधिकार के एक हिस्से के रुप में सामाजिक समावेश के बारे में केंद्र प्रायोजित योजनाओं का राष्ट्रीय मूल्यांकन करते हुए केपीएमजी ने ई-गवर्नेंस में श्रेष्ठ प्रक्रिया के रूप में जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) पोर्टल को मान्यता दी है। इससे जनजातीय छात्रों के लिए सेवा आपूर्ति में अधिक पारदर्शिता जवाबदेही और व्यापक सुधार आया है। गतिशील डैशबोर्ड विभिन्न राज्यों और विभिन्न देशों से जनजातीय छात्रों के विवरण ग्रहण करता है।

डैशबोर्ड एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) योजना के तहत कार्यरत स्कूलों, निर्माणाधीन स्कूलों और विभिन्न ईएमआरएस स्कूलों में छात्रों के जिलेवार विवरण प्रदर्शित करता है। मंत्रालय शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को भी धन उपलब्ध कराता है। डैशबोर्ड जिलेवार एनजीओ के विवरण, इन्हें दिए गए धन और लाभार्थियों का विवरण का पता लगाता है। सभी योजनाओं और पहलों के लिए प्रत्येक योजना के संबंध में जिला स्तर तक की जानकारी संकलित की गई है। पोस्ट मैट्रिक और प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति जैसी केंद्र प्रायोजित योजनाओं के संबंध में, डेटा राज्यों द्वारा साझा किया गया है। जनजातीय कार्य मंत्रालय एसटीसी (अनुसूची जनजाति घटक) पर भी नज़र रखता है, जिसमें 41 मंत्रालयों ने अनुसूचित जाति के कल्याण एवं विकास के लिए अपने बजट का एक निश्चित प्रतिशत खर्च किया है। 2019-20 में 275 से अधिक योजनाओं में 41 मंत्रालयों को 51,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। इन सभी मंत्रालयों का प्रदर्शन डैशबोर्ड में विभिन्न मापदंडों पर देखा जा सकता है। मंत्रालय की विभिन्न ई-पहलों के लिंक भी डैशबोर्ड में दिए गए हैं। डैशबोर्ड डिजिटल इंडिया पहल का हिस्सा है, जो जनजातीय लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में काम करेगा और प्रणाली में पारदर्शिता लाएगा। गोइंग ऑनलाइन एज लीडर्स (जीओएएल) कार्यक्रम और सिकल सेल सपोर्ट कॉर्नर के तहत फेसबुक के साथ मंत्रालय की संयुक्त पहल को भी देखा जा सकता है। डैशबोर्ड को राष्ट्रीय सूचना केन्द्र (एनआईसी) के तहत सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ऑफ डेटा एनालिटिक्स (सीईडीए), संगठन द्वारा डोमेन नाम (http://dashboard.tribal.gov.in) के साथ विकसित किया गया है।

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