तेल की कीमतों पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा

तेल की कीमतों पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा

नई दिल्ली। देश में कोरोना संकट के बीच जनता पर तेल की मार जारी है तो दूसरी ओर महंगाई की मार भी पड़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में लगातार गिर रहीं कच्चे तेल की कीमतों के बावजूद घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। दोनों की कीमतों में फिर इजाफा हुआ। पिछले 10 दिन में भारत में डीजल 5.80 रुपए और पेट्रोल 5.45 रुपए महंगा हुआ है। 16 जून को सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमत में 47 पैसे और डीजल की कीमत में 57 पैसे की बढ़ोतरी की। तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है।

अंतरराष्ट्रीय मार्केट में तेल की कीमतों में गिरावट आई है, लेकिन घरेलू बाजार में इसका लाभ मिलने के बजाय कीमतें बढ़ रही हैं। इंडिया में कच्चे तेल की कीमत 35 डॉलर प्रति बैरल के करीब है लेकिन इसके उलट भारत में 10 दिन में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर 5 रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। देश में 7 जून से लगातार पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। पिछले 9 दिनों में पेट्रोल के दामों में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल की दर में 5.21 रुपये लीटर की कुल बढ़ोतरी हुई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोरोना वायरस महामारी के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ उठाने और अतिरिक्त संसाधन जुटाने के इरादे से सरकार ने 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की थी। इसके बाद सरकार ने फिर पांच मई को पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 10 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिए। दो बार की वृद्धि से सरकार को 2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर राजस्व प्राप्त हुआ।

कोरोना से जूझ रही जनता पर जारी तेल की मार को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चिंता जाहिर की है। साथ ही उन्होंने इस संबंध में पीएम मोदी को पत्र लिखकर जनता को राहत देने की अपील की है। पीएम मोदी को लिखे पत्र में सोनिया गांधी ने कहा कि संकट के समय में भी आपकी सरकार लगातार तेल के दाम बढ़ा रही है और इससे सैकड़ों करोड़ रुपये कमा चुकी है। सोनिया गांधी की मांग है कि सरकार तुरंत बढ़े हुए पेट्रोल-डीजल के दाम वापस ले। कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा, "सरकार ने लॉकडाउन के बीच पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ाकर करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये कमा लिए हैं। ऐसे समय में जब लोग संकट में हैं, तब इस तरह दाम बढ़ाने से उन पर और भी संकट पड़ रहा है। इस मुश्किल घड़ी में सरकार का फर्ज बनता है कि वह लोगों को राहत दे।"

सोनिया गांधी ने आगे लिखा, "मुझे समझ नहीं आ रहा है, जब देश में इतनी नौकरियां जा रही हैं और लोगों को जीने तक में कठिनाई हो रही है, तब सरकार इस तरह तेल के दाम क्यों बढ़ा रही है। क्रूड ऑयल का दाम लगातार घट रहा है और सरकार ने पिछले 6 साल में लगातार दाम बढ़ाया ही है। सरकार की ओर से पिछले 6 सालों में पेट्रोल पर 258 प्रतिशत और डीजल पर 820 प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है, जिससे करीब 18 लाख करोड़ रुपये सरकार ने कमा लिये।" सोनिया गांधी ने पीएम मोदी

से अपील की है कि वो तुरंत पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दामों को वापस लें और आम जनता को राहत पहुंचाएं। गौरतलब है कि पिछले 10 दिनों से हर रोज देश में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। आज भी पेट्रोल में 47 पैसे और डीजल में 75 पैसे की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

कांग्रेस ने 14 जून को सरकार से मांग की कि ईंधन को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाया जाए और साथ ही कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ आम जनता को दिया जाए। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक बयान में कहा, ''नरेंद्र मोदी सरकार हर हाल में पेट्रोल, डीजल और तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के दाम घटाकर अगस्त 2014 के स्तर पर लाए।'' सुरजेवाला ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत मौजूदा समय में 2014 के स्तर पर लगभग 40 डॉलर प्रति बैरल है, लेकिन उपभोक्ता तेल के लिए भारी बिल चुका रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगस्त 2014 में दिल्ली में पेट्रोल 36.81 रुपये प्रति लीटर, डीजल 24.16 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी 261.60 रुपये प्रति सिलिंडर था, लेकिन मौजूदा समय में पेट्रोल 75.78 रुपये प्रति लीटर, डीजल 74.03 रुपये प्रति लीटर और एलपीजी 593 रुपये प्रति सिलिंडर है। उन्होंने मांग की, ''प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी-केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सरकार हर हाल में पेट्रोल पर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये बढ़ाए गए उत्पाद शुल्क को तत्काल वापस ले।'' ईंधन कीमतों में वृद्धि को लेकर सरकार की निंदा करते हुए सुरजेवाला ने कहा, ''आज 130 करोड़ भारतीय कोरोना वायरस महामारी से जूझ रहे हैं। गरीब, प्रवासी मजदूर, दुकानदार, किसान, छोटे और मझौले व्यापारी और नौकरियां गंवा चुके लोग मोदी सरकार द्वारा बर्बाद की गई अर्थव्यवस्था के बीच जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि यह रिकॉर्ड का एक मामला है कि जब मई 2014 में मोदी सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.20 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 3.46 रुपये प्रति लीटर था। उन्होंने कहा, ''पिछले छह वर्षों में पेट्रोल पर अतिरिक्त 23.78 रुपये और डीजल पर अतिरिक्त 28.37 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।

भारत में पेट्रोल-डीजल सीधा आयात नहीं होता बल्कि कच्चे तेल का आयात होता है। विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं, इसके आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। पेट्रोल और डीजल की कीमत हर रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोड़ने के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है। पिछले साल तक देश में पेट्रोल और डीजल पर 50 प्रतिशत तक टैक्स था, जो अब बढ़कर 69 प्रतिशत तक पहुंच गया है। भारत में 85 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात होता है। कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल में होती हैं। 1 बैरल में 159 लीटर होते हैं। भारत में मुख्य तौर पर डीजल-पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी, वैल्यू एडेड टैक्स (वैट) और डीलर कमीशन होते हैं, इसके साथ ही इनमें छोटे-छोटे बहुत सारे टैक्स और सेस शामिल होते हैं। इस प्रकार डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है।

(नाजनीन-हिन्दुस्तान समाचार फीचर सेवा)

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