आज के ही दिन सी राजगोपालाचारी 1948 में बने थे भारत के अन्तिम गर्वनर जनरल

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नई दिल्ली। लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक सी राजगोपालाचारी राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे वकील, लेखक, राजनीतिज्ञ और दार्शनिक थे। वे स्वतन्त्र भारत के द्वितीय गवर्नर जनरल आज के दिन ही प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल नियुक्त हुए थे। 10 अप्रैल 1952 से 13 अप्रैल 19'54 तक वे मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री रहे।

सी राजगोपालाचारी का जन्म दक्षिण भारत के सलेम जिले में थोरापल्ली नामक गांव में 10 दिसम्बर 1878 को हुआ था। राजाजी तत्कालीन सलेम जनपद के थोरापल्ली नामक एक छोटे से गाँव में एक तमिल ब्राह्मण परिवार (श्री वैष्णव) में जन्मे थे। आजकल थोरापली कृष्णागिरि जनपद में है। उनके पिता का नाम चक्रवर्ती वेंकटआर्यन और माता का नाम सिंगारम्मा था। बचपन में वह शारीरिक रूप से इतने कमजोर थे कि उनके माता-पिता को ऐसा लगता था कि वो शायद ही ज्यादा समय तक जी पायेंगे। उनकी आरम्भिक शिक्षा होसूर में हुई। कालेज की शिक्षा मद्रास (चेन्नई) एवं बंगलुरू में हुई। उन्होंने मैट्रिकुलेशन की परीक्षा सन 1891 में पास की और वर्ष 1894 में बैंगलोर के सेंट्रल कॉलेज से कला में स्नातक हुए। इसके पश्चात उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास में कानून की पढाई के लिए दाखिला लिया और सन 1897 में इस पाठ्यक्रम को पूरा किया।

1954 में भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले राजा जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत रत्न पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। वह विद्वान और अद्भुत लेखन प्रतिभा के धनी थे। जो गहराई और तीखापन उनके बुद्धिचातुर्य में था, वही उनकी लेखनी में भी था। वह तमिल और अंग्रेजी के बहुत अच्छे लेखक थे। गीता और उपनिषदों पर उनकी टीकाएं प्रसिद्ध हैं। भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल माउंटबेटन के अनुपस्थिति में राजगोपालाचारी 10 नवम्बर से 24 नवम्बर 1947 तक कार्यकारी गवर्नर जनरल रहे और फिर बाद में माउंटबेटन के जाने के बाद जून 1948 से 26 जनवरी 1950 तक गवर्नर जनरल रहे। इस प्रकार राजगोपालाचारी न केवल अंतिम बल्कि प्रथम भारतीय गवर्नर जनरल भी रहे। 25 दिसम्बर 1972 में उन्होंने मद्रास गवर्नमेंट हॉस्पिटल में अन्तिम सांस ली।

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