फ्लैश बैक - UP विधानसभा में पहली बार कब हुई थी BSP के MLA की एंट्री
लखनऊ। यूपी की विधानसभा में बसपा ने पहली बार 13 विधायकों के साथ अपनी एंट्री की थी। इन 13 विधायकों में 5 मुस्लिम तो 4 सुरक्षित सीटों पर एससी तो एक महिला एक यादव विधायक चुनाव जीते थे। 1989 के विधानसभा चुनाव से बसपा का खाता खुला तो बसपा ने फिर पलट कर नहीं देखा। 4 बार बसपा नेता के रूप में सुश्री मायावती मुख्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी हैं। 2022 के इलेक्शन में बसपा केवल एक सीट ही जीत पाई है।
1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठन के बाद 1985 मे यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए मगर बसपा के हाथ जीत का स्वाद नहीं लगा। बसपा ने पहली बार 1989 में हुए विधानसभा चुनाव में 13 विधानसभा सीटें जीतकर अपनी एंट्री की थी।
यूपी में पहली बार बसपा के खाते में आई 13 सीटों में से तीन विधानसभा सीट बिजनौर जिले की थी। इनमें से अफजलगढ़ से शेख सुलेमान से जीते थे तो नगीना (सुरक्षित) सीट से श्रीमती रामेश्वरी और नजीबाबाद (सुरक्षित) सीट से बलदेव सिंह ने जीत दर्ज की थी। बिजनौर के बाद बसपा के लिए जालौन अच्छा जनपद साबित हुआ था। यहां भी बहुजन समाज पार्टी ने 3 विधानसभा सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। इनमें से अकबर अली उरई विधानसभा सीट तो चैनसुख भारती कोंच (सुरक्षित) विधानसभा सीट से चुनाव जीते थे तो शिवराम सिंह कुशवाहा ने जालौन की ही माधवगढ़ विधानसभा सीट पर जीत दर्ज की थी।
इस चुनाव में बसपा ने आजमगढ़ में भी 2 सीटें जीती थी। इनमें से एक सरायमीर (सुरक्षित) विधानसभा सीट से दयाराम भास्कर तो फूलपुर विधानसभा सीट से रमाकांत यादव विधायक निर्वाचित हुए थे। बसपा ने मऊ जनपद में भी 2 सीटें जीती। इनमें से मऊ सदर से मोबीन अहमद आज़मी तो मोहम्मदाबाद गोहाना विधानसभा सीट से फौजदार बसपा के विधायक बने थे। इसके अलावा मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा विधानसभा सीट से मोहम्मदउल्ला खान तथा फैजाबाद जनपद की जलालपुर विधानसभा सीट से राम लखन वर्मा तो इलाहाबाद (प्रयागराज) जनपद की नवाबगंज विधानसभा सीट से निजामुद्दीन चुनाव जीते थे। इस विधानसभा चुनाव में बसपा ने पहली बार 13 विधायक के साथ यूपी की विधानसभा में एंट्री की थी।