फड़फड़ा रही ट्यूटर की चिड़िया

फड़फड़ा रही ट्यूटर की चिड़िया

नई दिल्ली। कांग्रेस ने यह कहावत सही साबित कर दी कि 'हम तो डूबेंगे, सनम आपको ले डूबेंगे। टूलकिट का मामला ऐसा चलाया कि सरकार को सख्त कदम उठाना पड़ा है। केन्द्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद कहते हैं कि जनता को नये नियमों से परेशान होने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस ने कथित तौर पर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए टूलकिट बनाया था। अब 27 मई को ट्यूटर के दफ्तर पर छापा मारा गया तो कर्मचारियों को लेकर चिंता जतायी जा रही है। ट्यूटर का कहना है कि सूचना तकनीक (आईटी) के नियमों में मुक्त और खुली बातचीत को बाधित किया जा रहा है। आरोप यह भी है कि पुलिस के माध्यम से डराया-धमकाया जा रहा है। ट्यूटर के प्रवक्ता का कहना है कि भारत के नियम-कानूनों के पालन का पूरा प्रयास किया जाएगा। इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि क्या हम ट्यूटर के निर्देश पर चलेंगे?

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि व्हाट्सऐप उपयोगकर्ताओं को नए सोशल मीडिया नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है और ये नियम इन मंचों के दुरुपयोग को रोकने के लिए तैयार किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नए नियमों के तहत उपयोगकर्ताओं के पास शिकायत निवारण के लिए एक मजबूत तंत्र होगा। प्रसाद ने कहा कि सरकार सवाल पूछने के अधिकार सहित आलोचनाओं का स्वागत करती है। प्रसाद ने माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू पर पोस्ट किया और साथ ही ट्वीट भी किया, ''नए नियम किसी दुर्व्यवहार और दुरुपयोग की स्थिति में सोशल मीडिया के सामान्य उपयोगकर्ताओं को सशक्त बनाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार निजता के अधिकार को पूरी तरह से मानती है और उसका सम्मान करती है। प्रसाद ने कहा, ''व्हाट्सऐप के आम उपयोगकर्ताओं को नए नियमों से डरने की कोई जरूरत नहीं है। इनका मूल मकसद यह पता लगाना है कि नियमों में उल्लिखित विशिष्ट अपराधों को अंजाम देने वाले संदेश को किसने शुरू किया। उन्होंने कहा कि नए आईटी नियमों के तहत सोशल मीडिया कंपनियों को एक भारत केंद्रित शिकायत निवारण अधिकारी, अनुपालन अधिकारी और नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी, ताकि सोशल मीडिया के लाखों उपयोगकर्ताओं को उनकी शिकायत के निवारण के लिए एक मंच मिल सके। सरकार ने नए डिजिटल नियमों का पूरी निष्ठा के साथ बचाव करते हुए कहा कि वह निजता के अधिकार का सम्मान करती है और व्हॉट्सऐप जैसे संदेश मंचों को नए आईटी नियमों के तहत चिन्हित संदेशों के मूल स्रोत की जानकारी देने को कहना निजता का उल्लंघन नहीं है।

इसके साथ ही सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों से नये नियमों को लेकर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। व्हॉट्सऐप ने सरकार के नए डिजिटल नियमों को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है जिसके एक दिन बार सरकार की यह प्रतिक्रिया आई है। व्हॉट्सऐप का कहना है कि कूट संदेशों तक पहुंच उपलब्ध कराने से निजता का बचाव कवर टूट जाएगा। नए नियमों की घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे बड़े सोशल मीडिया मंचों (जिनके देश में 50 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं) को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और भारत स्थित शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं। नियमों का पालन न करने पर इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपने इंटरमीडिएरी दर्जे को खोना पड़ सकता है। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा होस्ट किए गए डाटा के लिए देनदारियों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में इसका दर्जा समाप्त होने के बाद शिकायत होने पर उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर को चिट्ठी लिखकर केंद्र सरकार के 11 मंत्रियों के ट्वीट्स को मैनुपुलेटिड मीडिया करार देने की मांग की है। इन मंत्रियों में गिरिराज सिंह, पीयूष गोयल, स्मृति ईरानी, रविशंकर प्रसाद, प्रहलाद जोशी, धर्मेंद्र प्रधान, रमेश पोखरियाल, थावरचंद गहलोत, हर्षवर्धन, मुख्तार अब्बास नकवी और गजेन्द्र सिंह शेखावत के नाम शामिल हैं। कांग्रेस का कहना है कि ये सभी ट्विटर प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल कर फर्जी टूलकिट के जरिए कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं, इन सभी के संबंधित ट्वीट के लिंक भी इस पत्र के साथ संलग्न किये गये हैं। पत्र में ट्विटर के साथ इस बाबत पहले हुए पत्राचार का हवाला देते हुए लिखा गया है कि ट्विटर ने ट्वीट्स के जो यूआरएल मांगे थे, वे दिए जा रहे हैं। गौरतलब है कि टूलकिट मामले को लेकर केंद्र सरकार, ट्विटर के समक्ष नाराजगी का इजहार कर चुकी है। केंद्र ने कथित तौर पर सरकार को बदनाम करने वाले टूलकिट पर टैग के लिए हेरफेर करके बनाए गए मीडिया टैग को लेकर ट्विटर से ऐतराज जताया था। सरकार ने दोटूक लहजे में ट्विटर से कहा है कि यह मीडिया टैग हटा दे क्योंकि मामला अभी लंबित है। सूत्रों के अनुसार, जांच ही सामग्री की सत्यता का निर्धारण करेगी न कि ट्विटर। इसके साथ ही सरकार ने ट्विटर से जांच की प्रक्रिया में दखल नहीं देने को कहा है। ट्विटर ऐसे समय अपना जजमेंट नहीं दे सकता जब मामला जांच के दायरे में है। ट्विटर पर इस तरह के कंटेट का होना इस सोशल मीडिया बेवसाइट की प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान लगाता है।

ट्विटर मामले पर कांग्रेस नेता अजय माकन से पूछने पर कि क्या दिल्ली पुलिस की जांच आगे चाहते हैं या छत्तीसगढ़ पुलिस की? उन्होंने कहा कि दिल्ली के साथ-साथ राजस्थान और छत्तीसगढ़ पुलिस में भी शिकायत दी गई। छत्तीसगढ़ पुलिस ने सबसे पहले एफआईआर दर्ज की है तो वहीं पर जांच आगे बढ़नी चाहिए। ऐसी सुप्रीम कोर्ट की भी रूलिंग है। दिल्ली पुलिस बीजेपी के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ट्विटर के दफ्तर पहुंच गई, ये उल्टी बात हो गई। ट्विटर से क्या उम्मीद है? इस सवाल पर अजय माकन ने कहा कि 11 मंत्रियों के ट्वीट के यूआरएल दिए हैं। जैसे संबित पात्रा के खिलाफ मैनुपुलेटेड मीडिया फ्लैग किया, वैसे ही इन मामलों में भी कार्रवाई हो। सब ब्लू टिक वाले एकाउंट हैं और ऐसे में लोगों में इसका अलग संदेश जाता है। हमें उम्मीद है कि ट्विटर अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कार्रवाई करेगा। कांग्रेस पार्टी ने ट्विटर को चिट्ठी लिखकर केंद्र सरकार के 11 मंत्रियों के ट्वीट्स को मैनुपुलेटिड मीडिया करार देने की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि ये सभी ट्विटर प्लेटफार्म का गलत इस्तेमाल कर फर्जी टूलकिट के जरिए कांग्रेस के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। टूलकिट मामले को लेकर केंद्र सरकार, ट्विटर के समक्ष नाराजगी का इजहार इसीलिए कर चुकी है। केंद्र ने कथित तौर पर सरकार को बदनाम करने वाले टूलकिट पर टैग के लिए हेरफेर करके बनाए गए मीडिया टैग को लेकर ट्विटर से ऐतराज जताया है। (हिफी)

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