वैक्सीनेशन का तीसरा चरण
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण से बिगड़ते हालात के बीच केंद्र सरकार ने 19 अप्रैल को टीकाकरण को लेकर बड़ी घोषणा की है। इसके तहत सरकार 1 मई से देश में कोरोना वैक्सीन टीकाकरण का तीसरा चरण शुरू करने जा रही है। इसमें 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोग कोविड 19 वैक्सीन लगवाने के पात्र होंगे। केंद्र सरकार का यह फैसला दवा कंपनियों और टॉप डॉक्टर्स के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हुई बैठक के बाद आया है।
प्रधानमंत्री ने फैसला तो ठीक लिया है लेकिन इस फैसले की अगर ठीक से मॉनीटरिंग न हुई तो हालात और बिगड़ते जाएंगे। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने बीते वर्ष कोरोना महामारी पर जिस तरह नियंत्रण रखा था, उससे उनका ताली और थाली बजवाना भी सार्थक कदम माना गया था। चौदह घंटे के पहले जनता कर्फ्यू को लेकर सोशल मीडिया पर अमेरिकी और ब्रिटेन के प्रवासी भारतीयों ने जितनी विरदावली सुनायी थी, वो अब बेसुरी लगने लगी है। मोदी सरकार ने उस समय सफलता का श्रेय लिया था तो उसे अब असफलता की भी जिम्मेदारी लेनी पडेगी।
कोरोना से संबंधित दवाईयों की कमी है। कोविड-19 के इलाज में काम आने वाले रेमडेसिवियर इंजेक्शन का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार जरूरी सभी कदम उठा रही है ताकि देश में इसकी उपलब्धता को बढ़ाया जा सके लेकिन यह इंजेक्शन 15 से 20 हजार रुपये में ब्लैक में बेचा जा रहा है। गत 16 अप्रैल को रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौडा ने यह आश्वासन दिया है कि उत्पादन बढाया जाएगा। जाहिर है इस दवाई की कमी है, इसलिए काला बाजारी होने लगी। ऑक्सीजन सिलेण्डर भी कम पड गये। इतना ही नहीं, वैक्सीन की पहली डोज ले चुके लोगों को दूसरी डोज के लिए खाली हाथ लौटना पडा। निजी अस्पतालों का यह हाल है जहां लोगों ने 250 रुपये देकर कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगवायी। अब वे असमंजस में हैं कि दूसरी डोज कहां लगवाएं। इस प्रकार हौज पौच मचा हुआ है। किससे शिकायत की जाए। संक्रमितों का आंकड़ा बढता ही जा रहा है। इसलिए 18 साल से ऊपर के लोगों को भी वैक्सीन लगना चाहिए लेकिन उनको दूसरी डोज भी समय से ही मिले और दवाईयों की कालाबाजारी न हो, इसका भी ध्यान रखना होगा।
सरकार का कहना है कि विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण में टीकों की खरीद और टीका लगवाने की पात्रता में ढील दी जा रही है। सरकार की ओर से कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों को उनकी 50 प्रतिशत तक आपूर्ति पहले घोषित किए गए दाम पर राज्य सरकारों और खुले बाजार में बेचने का अधिकार दिया गया है।
कोरोना वैक्सीन पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थ वर्कर्स और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों को लगाई गई थी। इसके बाद 45 साल की उम्र से अधिक के लोगों को टीका लगाया जा रहा था और अब 18 साल से ऊपर के लोग भी पात्र घोषित हो गये हैं। सरकार का कहना है कि यह व्यवस्घ्था ऐसे ही चलती रहेगी।
डॉक्टर्स और दवा कंपनियों के साथ बैठक में पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि कोविड-19 महामारी छोटे शहरों में भी तेजी से फैल रही है। ऐसी जगहों पर संसाधनों को उन्नत करने के प्रयास तेज करने की आवश्यकता है। उन्होंने डॉक्टर्स से लोगों को कोविड-19 पर अफवाहों के प्रति जागरुक करने को कहा है। अब राज्य सरकारों को अधिकार दिया गया है कि वे अतिरिक्त वैक्सीन की डोज निर्माताओं से ले सकेंगी। इसके अलावा 18 साल के ऊपर के लोगों को वैक्सीन देने की छूट भी है। बताया गया है कि 1 मई से खुले बाजार में वैक्सीन उपलब्ध होगी लेकिन टीका लेने के लिए प्रोटोकॉल का पालन करना होगा, जिसके तहत कोविन प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड करना होगा।
भारत में पिछले कई दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण के नए मामले रोजाना रिकॉर्ड संख्घ्या में आ रहे हैं। गत 19 अप्रैल को कोविड-19 के एक दिन में रिकॉर्ड 2,73,810 नए मामले सामने आने के साथ ही संक्रमण के कुल मामले 1.50 करोड़ के पार पहुंच गए। करीब 25 लाख नए मामले बीते महज 15 दिन के भीतर सामने आए हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उसी दिन सुबह जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में उपचाराधीन मरीजों की संख्या भी 19 लाख से अधिक हो गई है।
देश में कोविड-19 के कुल 1,50,61,919 मामले हैं। एक दिन में 1,619 लोगों की मौत होने के बाद मृतक संख्या बढ़कर 1,78,769 पर पहुंच गई है। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से जूझ रहे देश में वैक्सीनेशन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकर ने अब निश्चित रूप से अहम फैसला लिया है। वित्त मंत्रालय ने कोविड-19 वैक्सीन निर्माताओं भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को सप्लाई क्रेडिट देने के लिए मंजूरी दे दी है।
पहले इसे कोविड-19 के लिए प्रभारी नोडल मंत्रियों के लिए क्रेडिट को मंजूरी दी जाएगी। फिर इसे कोरोना वैक्सीन उत्पादन करने के लिए दोनों कंपनियों को सौंप दिया जाएगा। मंत्रालय ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के लिए 3,000 करोड़ रुपए और भारत बायोटेक के लिए 1,500 करोड़ रुपए का क्रेडिट दिया है। प्राप्त खबरों में यह भी कहा गया है कि भुगतान जल्द से जल्द किया जाएगा। मंत्रालय का ये फैसला सीरम के सीईओ अदार पूनावाला के सरकार द्वारा कोविड-19 वैक्सीन की क्षमता बढ़ाने के लिए 3,000 करोड़ रुपये की ग्रांट का अनुरोध करने के कुछ दिनों बाद आया है। इस महीने की शुरुआत में पूनावाला ने कहा था कि सरकार सीरम जैसे कई वैक्सीन उत्पादकों के साथ मिलकर काम कर रही है और हमारी आर्थिक मदद करने के और क्या दूसरे नए तरीके हो सकते हैं, उसका पता लगा रही है। पुणे स्थित वैक्सीन निर्माता एसआईआई ने जून 2021 तक अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने की उम्मीद की है। वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 19 अप्रैल को कहा कि उन्होंने देश में कोविड-19 मैनेजमेंट पर इंडिया आईएनसी की चिंताओं पर विभिन्न उद्योग मंडलों के साथ चर्चा की। सीतारमण ने कहा कि महामारी के बीच जीवन और आजीविका को बचाने के लिए केंद्र राज्य सरकारों के साथ काम करना जारी रखेगा।
वित्त मंत्री ने ट्वीट कर कुछ चुनिंदा बिजनेस/चैंबर नेताओं में से हर एक के साथ टेलीफोन पर बात की है। उद्योग और संघ से संबंधित मामलों पर उनके इनपुट लिये है। उन्हें सूचित किया कि प्रधानमंत्री कार्यालय से अलग-अलग स्तरों पर भारत सरकार प्रबंधन को जवाब दे रही है। पहले कोरोना को लेकर सिर्फ बचाव ही एकमात्र रास्ता था। इसलिए लाकडाउन अनिवार्य हो गया था। इसके साथ ही संक्रमण से बचने के लिये मास्क, सोशल डिस्टेन्सिंग और बार बार हाथ धोने की प्रक्रिया को भी हमने गंभीरता से अपनाया था। अब सब तरफ से ढिलायी हो रही है। जनता अपनी तरफ से की जा रही लापरवाही का नतीजा तो भुगत ही रही है, साथ ही सरकार की तरफ से कोरोना वैक्सीनेशन और उसकी दवाईयों की किल्लत का खामियाजा भी उसे झेलना पड रहा है। इसलिए वैक्सिनेशन के तीसरे चरण में सरकारी और निजी अस्पतालों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि एक ही कम्पनी की दोनों वैक्सीन निर्धारित समय पर ही दी जा सकें। शरीर में प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए यह आवश्यक माना जा रहा है। (हिफी)