लोगों को निकालने का अभियान शुरू होने से हिंदू और सिखों की उम्मीदें बढ़ी

लोगों को निकालने का अभियान शुरू होने से हिंदू और सिखों की उम्मीदें बढ़ी

नई दिल्ली। तालिबान के कब्जे से निकलकर भाग रहे हजारों हताश लोगों को निशाना बनाते हुए किए गए दो आत्मघाती बम धमाकों के 1 दिन बाद अफगानिस्तान से निकासी के लिए उड़ाने फिर से शुरू हो गई है। अमेरिका का कहना है कि देश के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी की मंगलवार की समय सीमा से पहले अभी और हमले होने की आशंका है।

शुक्रवार को काबुल के निवासियों ने बताया है कि यहां सवेरे से कई विमान बाहर देशों के लिये उड़ान भर चुके हैं। अफगान और अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2011 के अगस्त माह के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के लिए सबसे घातक दिन में काबुल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास बृहस्पतिवार को हुए बम धमाकों में कम से कम 60 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडन ने एक भावुक भाषण में इस्लामिक स्टेट समूह के अफगानिस्तान में संबंध संगठन को दोषी ठहराते हुए कहा है कि वह तालिबान आतंकवादियों की तुलना में कहीं अधिक कट्टरपंथी हैं। उल्लेखनीय है कि अफगानिस्तान में तेजी के साथ बिगड़ रहे हालातों के मध्य अभी कम से कम 20 भारतीय नागरिक अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे में है। जानकारी मिल रही है कि लगभग 140 अफगान सिख और हिंदू भी वहां पर फंसे हुए हैं। जिन्हें अफगानिस्तान से निकलने का बेसब्री से इंतजार है और वह भारी बैचेनी के साथ यहां पर अपना एक एक दिन गुजार रहे है। बाहरी देशों के लिये शुक्रवार को फिर से उडाने शुरू हो जाने से अफगानी सिख और हिंदू परिवारों को यहां से निकलने की एक बार फिर से उम्मीदे बढ गई है।





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