सत्ता की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर- चाहे तो करा ले फ्लोर टेस्ट

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर सत्ता के लिए चल रहा संघर्ष अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ग्रुप के विधायकों की ओर से दाखिल की गई अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के यह पूछने पर कि आखिर इस मामले में एकनाथ शिंदे ग्रुप ने पहले हाईकोर्ट का रूख क्यों नहीं किया। शिंदे के वकील ने कहा कि मामला गंभीर है और बागी ग्रुप के एमएलए को मारने की धमकियां मिल रही है।
सोमवार को शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे ग्रुप के एमएलए की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। इस दौरान अदालत की और जब एकनाथ शिंदे गुट के वकील से पूछा गया कि आखिर इस मामले में आपने पहले हाईकोर्ट का रूख क्यों नहीं किया है। इस पर अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला गंभीर है और बागी ग्रुप के विधायकों को मारने तक की धमकी मिल रही है। इसलिए हमने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत यदि चाहती है तो फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकती है।
एकनाथ शिंदे के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के भीतर पार्टी नेता संजय राउत की ओर से धमकी दिए जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा है कि डिप्टी स्पीकर ने 15 विधायकों को नोटिस भेजकर 2 दिन के भीतर जवाब मांगा है। जबकि विधायकों को कम से कम 14 दिनों का समय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा है कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट पहले ही साफ कर चुका है कि पर्याप्त वक्त दिया जाना चाहिए। एकनाथ शिंदे के वकील ने कहा कि डिप्टी स्पीकर की ओर से 15 विधायकों को दिया गया नोटिस असंवैधानिक है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यदि आपको डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर आपत्ति है तो आपने उनके सामने ऐतराज़ क्यों नहीं जताया है। अदालत के इस सवाल पर एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा है कि विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है ऐसे में उनके सामने भला इस पर कैसे दलील दी जा सकती है।