कोर्ट की सुप्रीम दो टूक- चीफ सेक्रेटरी को मानने होंगे दिल्ली सरकार के निर्देश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र द्वारा नियुक्त किए गए दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को राज्य सरकार के निर्देश मानने होंगे। चीफ सेक्रेटरी के कामों या निष्क्रियता का असर चुनी हुई सरकार के कामकाज पर नहीं पडना चाहिए।
शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा 29 नवंबर को सुनाएं फैसले को आज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी को राज्य सरकार के निर्देशों का पालन करना ही होगा।
कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि केंद्र द्वारा नियुक्त किए गए चीफ सेक्रेटरी के कामों या निष्क्रियता का असर चुनी हुई सरकार के कामकाज पर नहीं पडना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सिविल सर्वेंट को पोल्टिकली न्यूट्रल रहने की जरूरत है और उन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। लेकिन उन्हें ऐसे विषयों पर चुनी हुई सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए जो उनकी कार्यकारी क्षमता के दायरे में आते हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला दिल्ली सरकार की उस याचिका पर दिया गया है जिसमें दिल्ली सरकार ने उसके साथ बगैर परामर्श किए नए चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति या मौजूदा चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार के कार्यकाल को बढ़ाने के केंद्र सरकार के कदम का विरोध किया था।
दिल्ली सरकार के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार पिछले महीने की 30 नवंबर को रिटायर होने वाले थे, किंतु सुप्रीम कोर्ट ने 29 नवंबर को ही केंद्र सरकार को नरेश कुमार का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाने की अनुमति दे दी थी।