विवादों में उलझते जा रहे रामदेव
नई दिल्ली। योग गुरू बाबा रामदेव एलोपैथिक को बकवास कहकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के निशाने पर क्या आए, विवादों ने उनको घेर ही लिया है। बाबा रामदेव और उनके संस्थान पतंजलि की देखरेख करने वाले बाबा बालकृष्ण ने सफाई दी, माफी भी मांगी लेकिन ग्रह दशा सुधर नहीं रही है। ताजा मामला उनके वैदिक शिक्षण संस्थान का है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के कुछ अभिभावकों ने अपने चार बच्चों को हरिद्वार स्थित गुरुकुलम में बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया है। इन लोगों ने हरिद्वार के डीएम और मुख्य शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगायी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं ट्वीट करके कहा कि पतंजलि गुरुकुल स्कूल में छत्तीसगढ़ के चार छात्र बंधक बनाए जाने की शिकायत मुझ तक पहुंची थी। गरियाबंद कलेक्टर और एसपी की पहल पर बंधक बनाए गये बच्चों को छोड़ दिया गया है। इस प्रकार एलोपैथ के विवाद के साथ नया विवाद जुड़ा।
आईएमए ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए उस वीडियो पर आपत्ति जताई थी जिसमें रामदेव ने दावा किया है कि एलोपैथी 'बकवास विज्ञान' है और भारत के औषधि महानियंत्रक द्वारा कोविड-19 के इलाज के लिए मंजूर की गई रेमडेसिविर, फेवीफ्लू तथा ऐसी अन्य दवाएं कोविड-19 मरीजों का इलाज करने में असफल रही हैं। उन्होंने टिप्पणी की थी कि अगर एलोपैथी इतना ही अच्छा है और सर्वगुण संपन्न है तो डॉक्टरों को बीमार नहीं होना चाहिए। इस पर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एलोपैथी के बारे में दिये गए योग गुरु रामदेव के बयान को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए उन्हें इसे वापस लेने को कहा था, जिसके बाद रामदेव ने बयान वापस ले लिया था। आईएमए ने बाबा रामदेव को भेजे नोटिस में कहा है कि उनके बयान से संगठन से जुड़े डॉक्टरों के प्रति आम लोगों के मन में साख को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंची है। कानूनी नोटिस में इसे अपराध बताते हुए सजा और जुर्माने का भी जिक्र किया गया है। आईएमए ने योगगुरु को साफ-साफ शब्दों में चेतावनी दी है कि अगर इस पत्र मिलने के 15 दिनों के भीतर वे अपने बयान के लिए माफी मांगें। उनका जिस तरह पहले के बयान का वीडियो मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रचारित किया गया, उसी तरह बाबा रामदेव माफी मांगने का वीडियो भी प्रचारित करें। साथ ही लिखित में माफी मांगें, अन्यथा उनके खिलाफ 1000 करोड़ रुपए का दावा ठांेका जाएगा।
योगगुरु स्वामी रामदेव का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में बाबा रामदेव बोल रहे हंै कि किसी के बाप में दम नहीं जो रामदेव को अरेस्ट कर सकता है। सोशल मीडिया पर शोर मचाते हैं कि अरेस्ट करो, कभी कुछ चलाते हैं और कभी कुछ चलाते हैं। कभी चलाते है कि ठग रामदेव, कभी महाठग रामदेव, अरेस्ट रामदेव कुछ लोग चलाते हैं चलाने दो इनको। बताया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर ट्रेंड होने पर एक ऑनलाइन मीटिंग के दौरान बाबा रामदेव ने यह बयान दिया है। रामदेव ने एलोपैथिक दवाओं पर अपने हालिया बयान को वापस लेने के लिए मजबूर किए जाने के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) से 25 सवाल पूछे थे। रामदेव ने आईएमए से जानना चाहा कि क्या एलोपैथी उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी बीमारियों से स्थायी राहत देती है? अपने ट्विटर अकाउंट पर खुला पत्र जारी करते हुए रामदेव ने आईएमए से उनके 25 सवालों का जवाब देने को कहा था। रामदेव ने यह भी पूछा कि क्या दवा उद्योग के पास थायराइड, गठिया, अस्थमा और कोलाइटिस जैसी बीमारियों का स्थायी उपचार उपलब्ध है?उन्होंने पूछा कि क्या एलोपैथी में फैटी लीवर (बढ़ा हुआ यकृत) और लीवर सिरोसिस की दवाएं हैं? उन्होंने सवाल किया, ''जिस प्रकार आपने टीबी और चेचक का इलाज ढूंढ लिया है, उसी तरह लीवर की बीमारियों का भी इलाज ढूंढें। आखिरकार , एलोपैथी अब 200 साल पुरानी है।'' योग गुरु ने यह भी जानना चाहा कि क्या इस चिकित्सा पद्धति में दिल की रुकावट संबंधी परेशानियों का कोई गैर सर्जरी उपचार उपलब्ध है? उन्होंने पूछा, कोलेस्ट्रॉल का क्या इलाज है? उन्होंने सवाल किया, 'क्या फार्मा उद्योग के पास माइग्रेन का इलाज है?'' योग गुरु ने तमाम बीमारियों जैसे पार्किंसन का नाम गिनाया और जानना चाहा कि क्या एलोपैथी बांझपन का बिना किसी दर्द के इलाज कर सकती है, क्या उसके पास बढ़ती उम्र को रोकने और हेमोग्लोबिन को बढ़ाने का कोई उपाय है।
आयुर्वेद एवं एलोपैथी चिकित्सा पद्धति पर बाबा रामदेव की ओर से दिए गए बयान पर उपजे विवाद को सुलझाने के लिए हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने पहल की है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन से फोन पर बातचीत की। शांता कुमार ने स्वास्थ्य मंत्री से कहा कि रामदेव ने योग को घर-घर तक पहुंचाया है। साथ ही महात्मा गांधी के सपने स्वदेशी को रामदेव ने साकार करके दिखाया है। उन्होंने देश में लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध भी करवाया है। वह भारत में स्वदेशी क्रांति के अग्रदूत हैं। रामदेव के प्रति मेरी इतनी श्रद्धा है कि कभी-कभी फोन पर उन्हें प्रणाम कर आशीर्वाद लेता हूं। शांता ने कहा कि एलोपैथी पद्धति पर उनका विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे उनकी छवि पर आंच आ रही है। इस कारण लोग व्यथित हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद व एलोपैथी पद्धति मानवता की सेवा कर रही है। विश्वभर के डाक्टरों और विज्ञानियों की तपस्या से एलोपैथी विकसित पद्धति बन गई है। रामदेव ने बयान वापस ले लिया है, लेकिन इसी के साथ एक विवाद और शुरू कर दिया है, जो अदालतों में जाने लगा है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। शांता कुमार लगातार आए दिन किसी ना किसी मुद्दे पर बयान देते रहते हैं। इससे पहले वह कोरोना की दूसरी लहर को लेकर भी सरकार पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कोरोना की दूसरी लहर के लिए सरकार और चुनावों को जिम्मेदार ठहराया था।
स्वामी रामदेव और आईएमए के बीच चल रहे विवाद के बीच रामदेव के सहयोगी और पतंजलि योगपीठ के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने मामले को ठण्डा करने का प्रयास किया है। आचार्य बालकृष्ण ने मामले पर सफाई देते हुए कहा कि स्वामी रामदेव कोरोना में जान गंवा चुके चिकित्सकों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे थे लेकिन उनके खिलाफ प्रोपेगेंडा फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम आधुनिक चिकित्सा का सम्मान करते हैं और उसकी मदद भी लेते हैं लेकिन कुछ लोग योग और आयुर्वेद को आगे बढ़ते हुए नहीं देखना चाहते। यही लोग साजिश के तहत स्वामी रामदेव को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं। आचार्य बालकृष्ण का हाल ही में एक ट्वीट चर्चा में रहा। इस ट्वीट में बालकृष्ण ने खुले शब्दों में लिखा है कि देश में ईसाईयत का एक षडयंत्र चल रहा है, जिसके तहत ही रामदेव पर उंगली उठाई जा रही है। (हिफी)