वैक्सीन को लेकर प्रियंका के सवाल

वैक्सीन को लेकर प्रियंका के सवाल

नई दिल्ली। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंक गांधी वाड्रा ने कोरोना वैक्सीन की कमी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर सवाल उछाले हैं। उनका कहना है कि मोदी की सरकार ने पिछले साल (2020) में ही वैक्सीनेशन की तैयारी की थी, तब जनवरी 2021 में 135 करोड़ वाले देश के लिए सिर्फ 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीनों का आर्डर क्यों दिया गया। वे यह भी कहती हैं कि भारत ने अपने देश में कम वैक्सीन लगाकर विदेश क्यों भेज दी।

ये सवाल ऐसे हैं जो जवाब मांगते हैं लेकिन प्रियंका गांधी जैसे नेताओं को भी जवाब देना चाहिए कि जो वैक्सीन कोरोना वायरस से लड़ने में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, उसकी बरबादी क्यों हो रही है? स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सबसे ज्यादा वैक्सीन की बर्बादी झारखण्ड में हुई है। यहां 37.3 प्रतिशत वैक्सीन की डोज बर्बाद हो गयी। झारखण्ड में प्रियंका गांधी की पार्टी कांग्रेस भी सरकार में शामिल है। हालांकि देश में दूसरी लहर के पीक पर आने के समय वैक्सीन की कमी का सवाल अपनी जगह कायम है। अब स्पूतनिक का उत्पादन भी शुरू होेने जा रहा है, इसलिए उम्मीद करनी चाहिए कि तीसरी लहर से पहले कोरोना को नियंत्रित कर लिया जाएगा।

देश में कोविड के खिलाफ वैक्सीनेशन ड्राइव चल रहा है, लेकिन कई राज्य वैक्सीन की कमी से जूझ रहे हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र में दर्जनों वैक्सीनेशन सेंटर बंद हो गए हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस लगातार मोदी सरकार की वैक्सीन पॉलिसी को लेकर सवाल उठा रही है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने 26 मई को एक लंबा फेसबुक पोस्ट लिखकर वैक्सीन की कमी पर सरकार पर हमला बोला है। जिम्मेदार कौन? शीर्षक से उन्होंने पहले कुछ तथ्य पेश किए हैं और फिर तीन सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन पर अब बस मोदीजी की फोटो ही है बाकी सारी जिम्मेदारी राज्यों के ऊपर डाल दी गई है। आज राज्यों के मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को वैक्सीन की कमी होने की सूचना भेज रहे हैं।

कांग्रेस नेता ने लिखा है, आज भारत की 130 करोड़ की आबादी के मात्र 11 फीसद हिस्से को वैक्सीन की पहली डोज और मात्र 3 फीसद हिस्से को फुल वैक्सीनेशन नसीब हुआ है। मोदीजी के टीका उत्सव की घोषणा के बाद पिछले एक महीने में वैक्सीनेशन में 83 फीसद की गिरावट आ गई। आज मोदी सरकार ने देश को वैक्सीन की कमी के दलदल में धकेल दिया है। वैक्सीन कमी के पीछे सरकार की फेल वैक्सीन पॉलिसी दिखाई पड़ती है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

प्रियंका गांधी का कहना है कि सरकार पिछले साल ही वैक्सीनेशन के पूरे प्लान के साथ तैयार थी, तब जनवरी 2021 में मात्र 1 करोड़ 60 लाख वैक्सीनों का आर्डर क्यों दिया गया? सरकार ने भारत के लोगों को कम वैक्सीन लगाकर, ज्यादा वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी? दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन उत्पादक भारत, आज दूसरे देशों से वैक्सीन मांगने की स्थिति में क्यों आ गया और सरकर इसे भी उपलब्धि की तरह प्रस्तुत करने की कोशिश क्यों कर रही है?

घरेलू दवा कंपनी पैनेसिया बायोटेक ने रूस के सरकारी निवेश कोष रसियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के साथ मिलकर भारत में स्पुतनिक-वी कोरोना वायरस टीके का उत्पादन शुरू कर दिया है। पैनेसिया बायोटेक के हिमाचल प्रदेश के बद्दी कारखाने में तैयार किए गए कोविड19 के स्पूतनिक-वी टीके की पहली खेप रूस के गामालेया केन्द्र भेजी जाएगी जहां इसकी गुणवत्ता की जांच परख होगी। रूस का आरडीआईएफ स्पुतनिक-वी टीके को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उपलब्ध कराता है। आरडीआईएफ और पैनेशिया बायोटेक भारत में स्पुतनिक-वी टीके की हर साल 10 करोड़ खुराक उत्पादन करने पर सहमत हुए हैं। दोनों की ओर से अप्रैल में इसकी घोषणा की गई थी। संयुक्त बयान के मुताबिक पूर्ण स्तर पर उत्पादन इन गर्मियों में ही शुरू होने की उम्मीद है। हालांकि, इसमें स्पष्ट तौर पर महीने का जिक्र नहीं किया गया है जब बड़े पैमाने पर टीके का उत्पादन शुरू होगा।

आरडीआईएफ के मुख्य कार्यकारी किरिल्ल डमित्रिव ने कहा, ''पैनेशिया बायोटेक के साथ मिलकर भारत में उत्पादन की शुरुआत देश को महामारी से लड़ने में मदद की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि स्पुतनिक-वी टीके का उत्पादन शुरू होने से भारत में कोरोना वायरस महामारी के संकटपूर्ण दौर से जितना संभव होगा, उतनी जल्दी आगे निकलने के सरकार के प्रयासों को समर्थन मिलेगा। बाद में टीके का दूसरे देशों को निर्यात भी किया जा सकेगा ताकि दुनिया के अन्य देशों में भी महामारी के प्रसार को रोका जा सके। पैनेशिया बायोटेक के प्रबंध निदेशक राजेश जैन ने टीके के उत्पादन की शुरुआत पर कहा, ''स्पुतिनक-वी का उत्पादन शुरू होना एक महत्वपूर्ण कदम है। आरडीआईएफ के साथ मिलकर हम उम्मीद करते हैं देश के लोग फिर से सामान्य स्थिति महसूस कर सकें साथ ही दुनिया के देशों में भी स्थिति सामान्य करने में मदद मिलेगी। स्पुतनिक वी को भारत में 12 अप्रैल 2021 को आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के साथ पंजीकृत किया गया। इसके साथ ही कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए 14 मई से टीकाकरण अभियान में इसका इस्तेमाल भी शुरू कर दिया गया।

टीकाकरण अभियान में जहां कई राज्य लगातार यह शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें लोगों को लगाने के लिए वैक्सीन नहीं मिल पा रही है। दूसरी तरफ कुछ राज्यों में वैक्सीन की बर्बादी बदस्तूर जारी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वैक्सीन की बर्बादी में झारखंड सबसे ऊपर है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय का स्पष्ट निर्देश है कि वैक्सीन की बर्बादी को एक प्रतिशत से कम रखना है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में सबसे अधिक 37.3 फीसद वैक्सीन खुराकों की बर्बादी हुई। इसका मतलब यह है कि हर तीन में से एक खुराक बर्बाद हो गई, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 6.3 फीसद है, कुछ अन्य राज्यों की बात करें तो छत्तीसगढ़ बर्बादी के मामले में दूसरे और तमिलनाडु तीसरे नंबर पर आता है। छत्तीसगढ़ में 30.2 फीसद बर्बादी हुई तो वहीं तमिलनाडु में यह आंकड़ा 15.5 फीसद का है। इनके बाद जम्मू कश्मीर (10.8 फीसद) और मध्य प्रदेश (10.7 फीसद) का नंबर है। वैक्सीन की इतने बड़े पैमाने पर बर्बादी बड़ी चिंता का कारण है। किसी भी बड़े टीकाकरण अभियान में वैक्सीन की बर्बादी की बात का ध्यान रखा जाता है और इसी के हिसाब से वैक्सीन की खरीद और वितरण किया जाता है। इसी आंकड़े के हिसाब से देश की टीकाकरण की दर तय होती है। इसका एक सुनिश्चित फार्मूला है। किसी राज्य को हर महीने कितनी वैक्सीन देनी है वहां की आबादी और जिस आबादी को टीका लगना है उसके हिसाब से डोज की गणना की जाती है। यह गणना करते समय डब्ल्यूएमएफ यानी वेस्टेज मल्टीपल फैक्टर भी महत्वपूर्ण होता है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री को इस तरफ भी गौर करना होगा। (हिफी)

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