भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है सरकार
नई दिल्ली। सरकार ने आज राज्यसभा को आश्वस्त किया कि कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुए खाड़ी देशों में काम करने वाले भारतीयों के हितों की रक्षा के लिए वह प्राथमिकता के आधार पर हर संभव प्रयास कर रही है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद इस बारे में उन देशों में अपने समकक्षों के साथ लगातार बात कर रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरूवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान इस बारे में पूछे गये एक प्रश्न के जवाब में कहा कि सरकार के पास इस तरह का कोई आंकड़ा नहीं है कि कितने लोगों का कितना वेेतन बकाया है लेकिन इन लोगों के सभी मुद्दों के समाधान के लिए शीर्ष स्तर पर हर संभव कदम उठाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा , " हमारे पास उन कामगारों की संख्या नहीं है जिनका वेतन बकाया है लेकिन मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि रोजगार की बहाली , वेतन का भुगतान और श्रमिकों के हितों की रक्षा खाड़ी देशों में स्थित हमारे दूतावासों की प्राथमिकता है। हम इस बारे में उन देशों से मेरे तथा राजदूत के स्तर पर शीर्ष नेतृत्व से बात कर रहे हैं । " विदेश मंत्री ने कहा कि कोविड के दौरान भारतीय समुदाय कल्याण निधि से 45.78 करोड़ रूपये की राशि खर्च की गयी है और इसका ज्यादा हिस्सा खाड़ी देशों में खर्च किया गया है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में खुद प्रधानमंत्री ने इस मामले में मोर्चा संभाला है और उन देशों में अपने समकक्षों के साथ 16 बार टेलीफोन पर बात की है। मंत्री ने कहा, " मैंने खाड़ी देशों की 13 बार यात्रा की है। मेरे सहयोगी वी मुरलीधरन भी चार यात्राओं पर गये हैं। मैंने भी इन देशों में अपने सहयोगियों के साथ 27 बार टेलीफोन पर बात की है। हमारी कोशिश अधिक से अधिक कामगारों के रोजगार बहाली की है। हमने दुबई में इनके लिए एक कौशल केन्द्र की स्थापना की है। सभी दूतावास इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम कर रहे हैं।"
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि अंग्रेजी भाषा न जानने वाले कामगारों के साथ उनकी भाषा में संपर्क किया जाये और उनकी समस्याओं का समाधान किया जाये।