जानवरों- पेड़ों की हो सकती है गणना-ओबीसी की जनगणना क्यों नहीं?
नई दिल्ली। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य ने अन्य पिछड़ा वर्ग की जनगणना में हो रही देरी का मुद्दा जोर-शोर से उठाते हुए कहा कि यदि जानवरों और पेड़ों की सरकार गणना करवा सकती है तो ओबीसी की क्यों नहीं?
शुक्रवार को शून्यकाल में राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान इस मामले को उठाते हुए कांग्रेस सदस्य राजीव सातव ने जल्द से जल्द सरकार से ओबीसी की जनगणना कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि लंबे समय से ओबीसी की जनगणना कराने की लगातार मांग हो रही है। भाजपा के दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे ने भी इस मांग को कई बार पूरी मजबूती के साथ लोकसभा में उठाया था।
उन्होंने दलील दी कि जब सरकार जानवरों की गणना करा सकती है। वृक्षों को गिनवाया जा सकता है तो समाज के महत्वपूर्ण घटक ओबीसी की जनगणना कराने में क्या दिक्कत है। इस बारे में सरकार ने 2018 में आश्वस्त किया था। वर्ष 2019 में भी सरकार ने कहा था कि हम जनगणना कराने की दिशा में जा रहे हैं। अब देखा गया है कि उसने ओबीसी का कालम भी हटा दिया गया है। राजीव सातव ने कहा कि ओबीसी को सही लाभ देना है तो उसकी जनगणना कराना जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जनगणना होगी तभी सही मायनों में पता चल पाएगा कि उन्हें सरकारी योजनाओं और नीतियों का वास्तव में कितना लाभ मिल रहा है या नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इसलिए ओबीसी की जनगणना के बारे में सरकार को तुरंत सोचना चाहिए।