1 साल बाद फिर से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का भारी जमावड़ा फैसले का इंतजार
नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली के सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर आज एक बार फिर से तकरीबन 1 साल पहले जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। हालांकि एक साल पहले की स्थिति और आज के हालातों में भारी अंतर है। उस समय नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों में आक्रोश था। लेकिन आज कानूनों की वापसी को लेकर किसानों में खुशी पसरी हुई है। बॉर्डर पर उमड़े किसान अब संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन की रणनीति पर लिए गए अगले फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
शनिवार को हरियाणा एवं दिल्ली के सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर 1 साल पहले जैसे हालात दिखाई दे रहे हैं। 15 दिन पहले तक किसानों की जिन झोपडियों एवं टेंट के भीतर ताला लटका हुआ पड़ा था। अब यह सभी झोपड़ियां और टेंट किसानों से खचाखच भरे दिखाई दे रहे हैं। किसानों के लिये कई स्थानों पर नए लंगर भी शुरू किए जा जा चुके हैं। 1 साल पहले और आज के हालातों में भारी अंतर है। उस समय जहां का किसानों के भीतर केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भारी आक्रोश एवं गुस्सा था। वही आज नए कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसानों के भीतर खुशी के हालात दिखाई दे रहे हैं। आंदोलन की सालगिरह मनाने के लिए शुक्रवार को सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर पंजाब एवं हरियाणा से हजारों किसान पहुंचे थे। बहुत कम किसान ही जश्न मनाने के बाद अपने घरों को वापस लौटे हैं। जबकि अधिकांश किसानों ने एक बार फिर से बॉर्डरों पर अपना डेरा जमा लिया है। टीकरी बॉर्डर पर जहां 15 दिन पहले तक महज 2000 से भी कम किसान दिखाई दे रहे थे, वही 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से किए गए कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद पंजाब ही नहीं बल्कि हरियाणा के विभिन्न जनपदों से बड़ी संख्या में किसान फिर से बॉर्डर पर पहुंचना शुरू हो गए हैं।