मंत्री पुत्र की जमानत कांटे बिछाकर भाजपा की राह कर सकती मुश्किल

मंत्री पुत्र की जमानत कांटे बिछाकर भाजपा की राह कर सकती मुश्किल

लखनऊ। लखीमपुर के तिकुनिया में 3 अक्टूबर दिन रविवार को हुई हिंसा के मामले के मुख्य आरोपी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू को मिली जमानत कई जनपदों की तकरीबन 42 विधानसभा सीटों पर कांटे बिछाते हुए बीजेपी की राह को मुश्किल कर सकती है। राजनैतिक विश्लेषकों द्वारा अनुमान लगाए जा रहे है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत से पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिले किसानों के वोट उससे दूर जा सकते हैं। क्योंकि केंद्रीय मंत्री के पुत्र की जमानत से खेतिहर वर्ग नाराज बताया जा रहा है।

लखीमपुर के तिकुनिया में पिछले वर्ष की 3 अक्टूबर दिन रविवार को हुई हिंसा की वारदात के मुख्य आरोपी बताए जा रहे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा मोनू की जमानत प्रयागराज हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की ओर से मंजूर की जा चुकी है। कारागार को जाने वाले जमानत के प्रपत्रों में रह गई खामियों की वजह से फिलहाल जमानत पाए केंद्रीय मंत्री के बेटे जेल से फिलहाल बाहर नहीं आ पाए हैं। लेकिन केंद्रीय मंत्री के बेटे की जमानत से चल रही चुनाव प्रक्रिया पर वोटों को लेकर पड़ने वाले असर को मद्देनजर रखते हुए विश्लेषकों ने अपने अनुमान लगाने शुरू कर दिए हैं। विश्लेषकों की ओर से माना जा रहा है की सामान्य विधानसभा निर्वाचन 2022 के सातवें चरण के अंतर्गत गोरखपुर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, सिद्धार्थनगर और बस्ती जनपद की 42 विधानसभा सीटों पर केंद्रीय मंत्री के बेटे को मिली जमानत अपना दूरगामी असर दिखा सकती है। उनका मानना है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे को एक गंभीर मामले में इतनी जल्दी जमानत मिलने से यहां का खेतिहर वर्ग बुरी तरह से नाराज है और इसी के चलते 42 विधानसभा सीटों में किसानों के वोट भाजपा से दूर जा सकते हैं। वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी निगम की ओर से किए गए सर्वे में विश्लेषकों ने बताया है कि अटल जी यह जरूर कहते थे कि भाजपा पार्टी विद डिफरेंश है लेकिन केंद्रीय मंत्री के बेटे को मिली जमानत ने यह बता दिया है कि भाजपा भी अन्य दलों से अलग हटकर काम करने वाली पार्टी नहीं है। उनका मानना है कि हाईकोर्ट के इस फैसले से मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भाजपा से दूर चला जाएगा। क्योंकि इस मामले से जनता में ही नहीं बल्कि खुद भाजपा के भीतर भी नाराजगी दिख रही है। वह कहते हैं कि जैसे ही हाईकोर्ट का फैसला आया वैसे ही जयंत चौधरी ने सबसे पहले ट्वीट किया ताकि वहां पर हो रहे चुनाव पर इसका असर पड़े। केंद्रीय मंत्री के बेटे को मिली जमानत के फैसले ने अब भाजपा को घेरने के लिए विरोधियों को बड़ा मौका दे दिया है।




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