खेती की बारीकियां सीखने- स्टडी टूर पर जायेंगे युवा गन्ना किसान- ACS
लखनऊ। शासन से प्राप्त निर्देशों के क्रम में गन्ना खेती को उद्यमिता से जोड़ने तथा युवाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने हेतु गन्ना विकास विभाग द्वारा ''युवा गन्ना किसान संवाद कार्यक्रम'' का आयोजन पाक्षिक रूप से आयोजित कराया जा रहा है। इसी क्रम में मेरठ परिक्षेत्र के 30 वर्ष से कम आयु के युवा पुरूष एवं महिला गन्ना किसानों के साथ अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में ऑनलाईन संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया।
अपर मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान में युवा वर्ग खेती से विमुख होकर छोटे-मोटे रोजगार की तलाश में शहर की ओर पलायन कर रहे हैं जबकि खेती को आधुनिक एवं लाभकारी बनाकर वह स्वयं स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं। गन्ना विकास विभाग द्वारा युवाओं को गन्ना खेती की नवीनतम तकनीकी सीखने एवं प्राकृतिक खेती की बारीकियां जानने हेतु युवा किसानों के एक अध्ययन दल को कुरूक्षेत्र, हरियाणा भेजा जायेगा। ताकि युवा किसान न केवल कम लागत से अधिक उत्पादन करके खेती को लाभकारी बना सकें वरन् प्राकृतिक विधि से गुणवत्तापूर्ण उत्पादन करके मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के संरक्षण हेतु महती भूमिका निभा सकें।
उन्होंने कहा कि सहकारी गन्ना विकास समितियों द्वारा फार्म मशीनरी बैंक योजना के अन्तर्गत किसानों के लिये उपयोगी महंगे कृषि यंत्रों को नाम मात्र के किराये पर गन्ना किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि यंत्रीकरण को बढ़ावा देकर खेती को आधुनिक एवं लाभकारी बनाया जा सके। उन्होंने युवा किसानों को फार्म मशीनरी बैंक योजना का अधिकाधिक लाभ लेने हेतु प्रेरित किया। उन्होंने यह भी कहा कि विभाग द्वारा संचालित राज्य गन्ना प्रतियोगिता एवं उत्कृष्ट कार्य योजना से जुड़कर युवा गन्ना किसान राज्य स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकते हैं।
संवाद कार्यक्रम में बुलन्दशहर केे बी.टेक कर चुके किसान दीपकान्त शर्मा ने बताया कि उनके द्वारा पंचामृत योजना एवं प्राकृतिक खेती करते हुए जैविक गन्ने की चटनी तथा गन्ने की आईसक्रीम का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे उन्हें अतिरिक्त लाभ मिल रहा है। अपर मुख्य सचिव ने कहा कि ऐसे प्रगतिशील किसान एफ.पी.ओ. का गठन कर, ई-नाम के माध्यम से अपने उत्पादों का अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। अनूपशहर की महिला कृषक खुशी ने गन्ना विभाग की पंचामृत योजना की सराहना करते हुए बताया कि हमारे जैसे बहुत सारे किसान इससे लाभ लेकर अपनी आय को दोगुनी करने का काम कर रहे हैं। अगौता की महिला कृषक भावना ने बताया कि पांच एकड़ जमीन से गन्ने की सहफसली कर 6 लाख रूपये प्रतिवर्ष तथा पशुपालन से 30 हजार रूपये प्रतिमाह की आय अर्जित कर रही हैं। बुलन्दशहर के किसान जोगेन्द्र सिंह ने गन्ने की खेती में नई किस्मों को अपनाने के संबंध में अपने अनुभव साझा किये वहीं साबितगढ़ की प्रीती जादौन ने गन्ने की खेती के साथ-साथ पशुपालन अपनाने की बात कही।
हापुड़ के अंकित सिंह द्वारा एकीकृत कीट रोग प्रबन्धन पर अपने अनुभव साझा करते हुए फार्म मशीनरी बैंक के अन्तर्गत नये कृषि यंत्रों को जोड़ने का अनुरोध किया। धौलाना हापुड़ के किसान मुनेन्द्र कसाना ने सहफसली खेती के बारे में बताते हुए गन्ने के साथ केले की सहफसली से लाभ लेने के अनुभव साझा किये। गाजियाबाद के कृषि स्नातक किसान मनीष कुमार ने बताया कि गन्ने के साथ लोबिया की सहफसल लेने से मृदा में नाइट्रोजन स्थरीकरण के चलते यूरिया की मांग कम होती है साथ ही जीवांश की मात्रा में वृद्धि होने से उत्पादन भी बढ़ता है। बागपत के किसान उपेन्द्र सिंह ने बताया कि प्राकृतिक खेती करके किसान भाई भूमि और जल का संरक्षण कर सकते हैं, हमारे प्राकृतिक गन्ने से 13.5 प्रतिशत गुड़ की रिकवरी आती है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती समय की मांग है। मेरठ के किसान अनमोल खेड़ा ने बताया कि नवीनतम तकनीकी अपनाकर वह 100 एकड़ गन्ने की खेती कर रहे हैं। अनमोल ने किसानों के साथ एफ.पी.ओ. बनाकर लाभ अर्जित करने के अपने अनुभव साझा किये।
संवाद कार्यक्रम के दौरान अपर मुख्य सचिव ने मेरठ परिक्षेत्र के अधिकारियों को निर्देश दिये कि इच्छुक प्रगतिशील गन्ना किसानों का एक अध्ययन दल विभागीय अधिकारियों के साथ प्राकृतिक खेती की बारीकियां सीखने हेतु कुरूक्षेत्र भेजा जाये। युवा संवाद कार्यक्रम के समापन के समय प्रबन्ध निदेशक, सहकारी चीनी मिल संघ, रमाकान्त पाण्डेय ने युवा किसानों को गन्ना खेती से जुड़े टिप्स प्रदान किये। अपर गन्ना आयुक्त(विकास) वी.के. शुक्ल द्वारा युवा गन्ना किसान कार्यक्रम का समन्वय एवं संचालन किया गया। डा. वी.बी. सिंह, अपर गन्ना आयुक्त (समितियां) ने राज्य गन्ना प्रतियोगिता एवं उत्कृष्ट कार्य योजना के माध्यम से राज्य स्तर पर अपनी पहचान बनाने की बात कही।