जिले का किया गया भ्रमण- गन्ना विकास परिषदों को दिये आवश्यक निर्देश
लखनऊ। मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश, शासन द्वारा संजय आर. भूसरेड्डी, अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग के साथ सीतापुर जिले का भ्रमण किया गया। भ्रमण के दौरान जिले में गन्ना विकास विभाग के अधीन गठित महिला स्वयं सहायता समूहों के कार्यों की समीक्षा करते हुए ग्रामीण महिला शक्ति द्वारा उन्नत गन्ना बीज वितरण कार्यक्रम में गतिशीलता लाने के दृष्टिगत महिला स्वयं सहायता समूहों को दिशा-निर्देश दिये गये।
इस संबंध मंे विस्तृत जानकारी देते हुए संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा बताया गया कि प्रदेश के विभिन्न गन्ना उत्पादक जनपदों में ‘‘ग्रामीण महिला शक्ति द्वारा उन्नत गन्ना बीज वितरण कार्यक्रम‘‘ के अन्तर्गत गठित महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लाखों की संख्या में बड तैयार किये जातेे हैं, इसलिये प्रत्येक बड अथवा बड चिप को सफाई से पृथक करने के लिये कटर में लगे चाकू की धार तेज होना आवश्यक है, जिससे बड एवं बड चिप फटे नहीं तथा उसकी उत्तरजीविता प्रभावित न हो एवं जमाव भी शत-प्रतिशत संभव हो सके। इस हेतु बड कटर में तेज धार के चाकुओं का उपयोग किये जाने के संबंध में महिला स्वयं सहायता समूहों को सलाह एवं प्रशिक्षण प्रदान किये जाने के लिये गन्ना विकास परिषदों को आवश्यक निर्देश जारी किये गये हैं।
उन्होंने बताया कि स्थलीय भ्रमण के दौरान प्रकाश में आया कि कतिपय महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा गन्ने की बड की कटाई हेतु उपयोग किये जा रहे बड कटर का चाकू टूट जाने अथवा चाकू की धार कुन्द हो जाने एवं बड कटर का चाकू तेज न होने के कारण प्रायः बड एक झटके में नहीं निकलते तथा फट जाते हैं, जिससे उनका जमाव प्रभावित होता है। उक्त के परिणामस्वरूप महिला स्वयं सहायता समूहों को गन्ने की पौध तैयार करने हेतु न केवल बीज के लिये अधिक गन्ने की आवश्यकता होती है बल्कि उन्हें बड की कटाई हेतु अनावश्यक रूप से अधिक श्रम भी करना पड़ता है।
उक्त निरीक्षण के दौरान विभाग के अधीन गठित महिला स्वयं सहायता समूहों के कार्यो में गतिशीलता लाने एवं उनके श्रम को कम करने हेतु संजय आर. भूसरेड्डी द्वारा जिले के संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये गये कि विभाग के अधीन गठित महिला समूहों के पास उपलब्ध संसाधनों का निरीक्षण कराया जाये, ऐसे महिला समूह जिनके पास बड कटर में लगे चाकू अथवा इस यंत्र का कोई भाग टूट जाने के कारण वह उपयुक्त नहीं रह गया है तो उन्हें बदलकर नये बड कटर उपलब्ध कराते हुए समूह को बड की कटाई हेतु तेज धार के चाकुओं का उपयोग किये जाने हेतु प्रेरित किया जाये। इसके अतिरिक्त उन्होंने यह भी निर्देश दिये कि समूहों को चाकुओं में धार देने वाले पत्थर या अन्य उपकरण उपलब्ध कराये जाने के साथ ही पोर टेª, बगास, आयरन रैक आदि की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
संजय आर. भूसरेड्डीने यह भी बताया कि चीनी मिल के बॉयलर ट्यूब स्क्रैप आदि का उपयोग करके आयरन रैक का निर्माण किया जा सकता है। आवश्यकतानुसार बगास की उपलब्धता स्थानीय चीनी मिल द्वारा की जा सकती है तथा अन्य छोटे-मोटे संसाधन जैसे-बड कटर, पोर टैª, चाकू तेज करने वाला यंत्र, पत्थर इत्यादि की व्यवस्था स्थानीय गन्ना विकास परिषद से कराये जाने के निर्देश भी परिक्षेत्रीय अधिकारियों को दिये गये।