राजधानी में कहर बनकर टूट रही कोरोना की तीसरी लहर

राजधानी में कहर बनकर टूट रही कोरोना की तीसरी लहर

नई दिल्ली। देश की राजधानी में वैश्विक महामारी कोविड-19 की तीसरी लहर कहर बनकर टूट रही है और गुरुवार को आए आंकड़ों में 128 दिन बाद कोरोना वायरस से सबसे अधिक 66 मरीजों की मौत हुई है। दिल्ली स्वास्थ्य मंत्रालय के आज रात के आंकड़ो के अनुसार कोरोना महामारी अब तक दिल्ली में 6769 मरीजों की जान ले चुकी है।आज 27 जून के बाद 66 लोगों की कोरोना से मौत हुई है। इससे पहले 27 जून को कोरोना वायरस ने एक ही दिन में 66 की कोरोना से मौत हुई थी।

दिल्ली में पिछले दो दिनों में आए रिकार्ड मामलों के बाद आज तीसरे दिन मामलों में गिरावट दर्ज होने के बाद भी संक्रमितों की संख्या छह हजार से अधिक रही।राजधानी में पिछले 24 घंटे में 6,715 नए मामले सामने आए जबकि बुधवार को दिल्ली में कोरोना के 6,842 नए रिकार्ड मामले आए थे। मंगलवार को यह संख्या 6,725 थी।

दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ रहे नये मामलों पर केजरीवाल सरकार को दिल्ली उच्च न्यायालय से फटकार लगी और न्यायालय ने टिप्पणी की कि राजधानी देश की ' कोरोना कैपिटल' बन गई है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने उच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद केजरीवाल सरकार को घेरा। दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह विधूड़ी ने कहा केजरीवाल सरकार अब होश में आए और सर्वदलीय बैठक बुलाकर कोरोना से निपटने की रणनीति पर सलाह-मशविरा करे। दिल्ली में कोरोना के कुल मामले 4,16,653 हो गए हैं जिसमें से अब तक 3,71,155 लोग वायरस को मात दे चुके हैं।

राजधानी में कुल 38729 सक्रिय मामलों में 23,411 मरीज घर में पृथकवास में हैं। राजधानी में अब तक कुल 49,32,727 कोरोना जांच हुई हैं। मृत्यु दर 1.62 फीसदी वहीं रिकवरी दर 89.08 फीसदी है।

उधर आज मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उच्च स्तरीय बैठक कर दिल्ली में कोरोना के रिकार्ड नये मामलों और प्रदूषण की स्थिति पर समीक्षा की। बैठक में सरकार के मुख्य सचिव, स्वास्थ्य अधिकारी और सभी जिलों के जिलाधिकारी मौजूद थे। श्री केजरीवाल ने बैठक के बाद कहा त्योहारों की वजह से बाजारों में भीड़भाड़ बढ़ने से कोरोना वायरस के मामले बढ़े हैं। उन्होंने कहा दिल्ली में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चिकित्सा सुविधाओं को और मजबूत किया जा रहा है। इनमें सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन और आईसीयू बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

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