SD कॉलेज- कलेक्टर के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ दी चंद्र भूषण सिंह ने

SD कॉलेज- कलेक्टर के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ दी चंद्र भूषण सिंह ने

मुजफ्फरनगर। वैसे तो मुजफ्फरनगर में कलेक्टर के रूप में बहुत सारे अफसर आए और चले गए मगर कुछ अफसर ऐसे हैं जिनको मुजफ्फरनगर में आज भी उनके काम की वजह से याद किया जाता है। इन्हीं अफसरों की लिस्ट में अब नया नाम जुड़ गया है, वर्तमान में मुजफ्फरनगर के जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह का। वह भी क्यों, क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मिशन सरकारी जमीन से कब्जा हटाने को लेकर जो साहसिक फैसला एसडी मार्केट को वापस सरकारी दस्तावेज यानि नगरपालिका में इंद्राज करा कर लिया है, उसने उनकी मुज़फ्फरनगर की जनता में अमित छाप छोड़ दी है।

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर जनपद कभी क्राइम कैपिटल तो कभी दंगों के लिए मशहूर रहा है। इस जिले में कलेक्टर के तौर पर बहुत सारे अफसरों ने पोस्टिंग पाई लेकिन कुछ कलेक्टर ऐसे हैं, जिन्होंने मुजफ्फरनगर जनपद में अपनी ऐसी पहचान बनाई कि जब - जब भी ऐसे काम मुजफ्फरनगर में होते हैं तो ऐसे कलेक्टर के नाम लोगों की जुबान पर आ जाते हैं। इनमें से अगर योगेंद्र नारायण माथुर नाम लिया जाए तो उनको भी व्यवहारिक अफसर के रूप में मुजफ्फरनगर के लोग आज भी याद करते हैं। इसके साथ ही डॉ प्रभात पांडे ने जब मुजफ्फरनगर के कलेक्टर की कमान संभाली थी तब भी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। उन्होंने जब झांसी की रानी और शिव चौक के आसपास मुजफ्फरनगर शहर को अतिक्रमण मुक्त करना चाहा तो व्यापारियों और सत्तापक्ष के नेताओं ने उन पर दबाव बनाने की बहुत कोशिश की लेकिन डॉ प्रभात कुमार ने बिना किसी दबाव के मुजफ्फरनगर में अतिक्रमण पर हथोड़ा चलाने का काम किया था। आज भी जब कभी झांसी की रानी शिव चौक के आसपास के एरिया की अतिक्रमण मुक्त की बात आती है तो तब तब डॉक्टर प्रभात कुमार पांडे का नाम मुजफ्फरनगर में लिया जरूर जाता है। इसी के साथ ही कौशल राज शर्मा को भी मुजफ्फरनगर जिले के लोग नहीं भूल पाते हैं क्योंकि जब मुजफ्फरनगर में साल 2013 में दंगा चल रहा था तब को कौशल राज शर्मा को ही मुजफ्फरनगर की कमान दी गई थी और उन्होंने पुलिस कप्तान के साथ सूझबूझ से मुजफ्फरनगर जिले में शांति व्यवस्था बनाने में अपना मकसद हासिल कर लिया था। इसी कड़ी में अब वर्तमान कलेक्टर चंद्रभूषण सिंह का नाम भी जुड़ गया है, जिनको मुज़फ्फरनगर की जनता एक साहसिक फैसले के हमेशा याद रखेगी।


दरअसल मुजफ्फरनगर में एसडी कॉलेज के नाम से इंटर और डिग्री कॉलेज बनाने के लिए सरकार ने सरकारी जमीन दी थी लेकिन इस संस्था के संचालकों ने मुजफ्फरनगर के शिव चौक के पास स्थित एसडी इंटर कॉलेज को हटाकर उसकी जगह एक बहुत बड़ी कमर्शियल बिल्डिंग खड़ी कर दी। लगभग 941 दुकानों को इस सरकारी जमीन पर स्कूल के लिए दी गई शर्तों का उल्लंघन करते हुए मार्केट बनाई गई। करोड़ों अरबों रुपए का लेनदेन इस मार्केट में बदस्तूर चलता रहा। साल 2006 में मुजफ्फरनगर के ही भाजपा नेता श्रीकांत त्यागी ने इसकी शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव से की। हर बार जांच होती रही मगर इन प्रभावशाली लोगों के दबाव में जांच दबती भी रही।


ऐसे में साल 2017 में उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री का सबसे पहला अभियान बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोलने के साथ-साथ भू माफियाओं से सरकारी जमीन कब्जा मुक्त कराना भी प्राथमिकता में था। एसडी मार्केट के शिकायतकर्ता श्रीकांत त्यागी भी लगातार सरकार से इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर सरकारी जमीन वापस सरकार के खाते में दर्ज कराने के लिए भागदौड़ करते रहे। इस बीच कई कलेक्टर आये लेकिन इस संस्था से जुड़े प्रभावशाली लोगों के चेहरे को देखते हुए किसी ने एसडी मार्केट की सरकारी जमीन को वापस लेने का साहस नहीं दिखाया।

ऐसे में जब श्रीकांत त्यागी ने वर्तमान में जिलाधिकारी चंद्र भूषण सिंह से इस पूरे प्रकरण की शिकायत की तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप सरकारी जमीन खाली कराने के अभियान में जुटे चंद्र भूषण सिंह ने तत्काल इस पूरे मामले में एक जांच कमेटी बैठाई और जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कलेक्टर चंद्र भूषण सिंह ने अरबों रुपए की सरकारी संपत्ति को वापस नगरपालिका के खाते में दर्ज करा दिया और एक लगभग 190 करोड की वसूली के लिए इस संस्था के संचालकों को नोटिस जारी कर दिया। जैसे ही चंद्रभूषण सिंह के इस साहसिक फैसले की खबर मीडिया में आई, ऐसे ही लोगों ने चंद्र भूषण सिंह के कड़े फैसले की सराहना करनी शुरू कर दी।

इधर सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ-साथ व्यापारियों ने चंद्र भूषण सिंह पर दबाव बनाने की कोशिश की लेकिन पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय को अवगत करा चुके मुज़फ्फरनगर के डीएम चंद्र भूषण सिंह ने दबाव को दरकिनार करते हुए अब एसडी ग्रुप के अन्य संस्थानों पर भी जांच बैठा दी है। लगभग 5000 करोड रुपए की सरकारी जमीन भूमाफियाओं से वापस से लेकर सरकारी खाते में दर्ज कराने के इस फैसले के बाद मुजफ्फरनगर की जनता चंद्र भूषण सिंह के इस फैसले की सराहना कर रही है कि ऐसे में जब सत्ता पक्ष और विपक्ष से लेकर व्यापारी वर्ग भी एसडी एसोसिएशन के संचालकों के पक्ष में खड़ा है तब भी चंद्र भूषण सिंह बिना दबाव के सरकारी संपत्ति को कब्जा मुक्त करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। डीएम चंद्र भूषण सिंह के इस फैसले ने मुजफ्फरनगर में एक नजीर बना दी है, जब जब भी अतिक्रमण हटाने की बात आएगी तब तब चंद्र भूषण सिंह को एक साहसिक जिला अधिकारी के रूप में याद किया जाता रहेगा।




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