NCRB का रिजल्ट - देश में अन्य के मुकाबले UP की जेलों का परिणाम बेहतरीन
लखनऊ। अफसर जब ठान ले कि उसको अपने डिपार्टमेंट में बदलाव करना है तो फिर उस विभाग की कायाकल्प होना जरूरी हो जाता है। यह कर दिखाया है, 1988 बैच के आईपीएस अफसर आनंद कुमार ने। पहले एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के तौर पर बदमाशों को एनकाउंटर में बदहवास किया तो अब बिगड़ैल हो चुकी यूपी की जेलों में सुधार कर दिया है। यही वजह है नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रिजन स्टैटिक्स इण्डिया-2021 के जारी आंकड़ों के अनुसार देश की अन्य जेलों की तुलना में यूपी की जेलों ने बंदियों की शिक्षा जैसे-कम्प्यूटर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, महिला बंदियों के उत्थान और विकास, बंदियों के कौशल विकास, बंदियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं जैसे मामलो में उ0प्र0 ने देश की अन्य जेलों की तुलना में बेहतरीन एवं उत्साहजनक परिणाम दिये है।
उत्तर प्रदेश में जब 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री ने बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोलने का ऐलान किया तो इसमें सबसे पहले आईपीएस अफसर आनंद कुमार ने अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था के रूप में जिस तरह से मुख्यमंत्री के आदेश का पालन करते हुए पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस बल को बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोलने का आदेश दिया तो उसके बाद उत्तर प्रदेश में बदमाशों को यूपी की जेलें सबसे सुरक्षित पनाहगाह दिखाई पड़ी। बड़े-बड़े कुख्यात बदमाशों ने उत्तर प्रदेश की जेलों का रुख करना शुरू कर दिया। इस दौरान कुछ बदमाशों को तो पुलिस एनकाउंटर में दुनिया को बाय-बाय करना पड़ गया। बड़े-बड़े माफियाओं, दुर्दांत अपराधियों के जेल की सलाखों के पीछे जाने के बाद यूपी की जेलों में बड़े बड़े माफिया अपना दरबार सजाने लगे थे।
ऐसे में आईपीएस अफसर आनंद कुमार का प्रमोशन हुआ तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में उन्हें कारागार विभाग का मुखिया बनाते हुए डीजी कारागार बना दिया। एडीजी लॉ एन्ड आर्डर के रूप में बदमाशों को जेल की बैरक फुल करने पर मजबूर करने वाले आनंद कुमार को जब जेलों का जिम्मा मिला तो उन्होंने पहले दिन से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जेलों में व्यापक स्तर पर सुधार करने शुरू कर दिए। एक तरफ कारागार विभाग ने दुर्दांत अपराधियों को जेल में मिलने वाली सुविधाओं पर ब्रेक लगवा दिया वहीं जेल में बंद उन बंदियों की योग्यता को बाहर लाने के लिए काम की शुरुआत की, जो किसी न किसी फील्ड में अपना हुनर रखते हैं। कोविड काल में मास्क, सैनिटाइजर का निर्माण हो या यूपी की जेलों में क्रिकेट मैच, डीजी कारागार आनंद कुमार ने इसके साथ साथ जेलों में बंदियों के सुधार एवं उत्थान के लिए काम करना शुरू कर दिया। जिसका नतीजा रहा कि 2021 के एनसीआरबी (NCRB) के डाटा के अनुसार उत्तर प्रदेश की जेलों में साल 2021 में व्यापक सुधार हुआ है। यूपी की जेलों में जेलब्रेक कर बंदियों के भागने पर लगाम लगी तो जेल में कौशल विकास मिशन के अंतर्गत बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ साथ जेलों के उत्थान के लिए काम किया गया। जिस कारण एनसीआरबी के डाटा के अनुसार उत्तर प्रदेश की जेलों में वर्ष 2021 में बेहतर काम हुआ है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो, गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने प्रिजन स्टैटिक्स इण्डिया-2021 जारी कर दिया गया है, इन आंकड़ों के अनुसार देश की अन्य जेलों की तुलना में बंदियों की शिक्षा जैसे-कम्प्यूटर प्रशिक्षण, उच्च शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, महिला बंदियों के उत्थान और विकास, बंदियों के कौशल विकास, बंदियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं जैसे मामलो में उ0प्र0 ने देश की अन्य जेलों की तुलना में बेहतरीन एवं उत्साहजनक परिणाम दिये है। जेलों के प्रबन्धन, अनुशासन और बंदियों के मानवाधिकार को दृष्टिगत रखते हुये ही किसी प्रदेश की जेलों की व्यवस्था का आंकलन किया जाता है। उपरोक्त सभी तथ्यों के अन्तर्गत उ0प्र0 की जेलों में सुधार और प्रगति को एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों ने उल्लेखनीय रूप से रेखाकिंत किया है।
1- देश मे सबसे अधिक बंदी उ0प्र0 की जेलों में -
एनसीआरबी की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 में वर्तमान में कुल 75 जेलें हैं , जिनमें कुल 1,17,789 बंदी निरूद्ध हैं। यह संख्या देश में सर्वोच्च है। देश के सभी राज्यों की जेलों में कुल मिलाकर 5,54,034 बंदी निरूद्ध हैं, जिसका लगभग 21.3 प्रतिशत अकेले उ0प्र0 की जेलों में निरूद्ध हैं। इतनी अधिक संख्या में बंदियों को अनुशासित रखते हुये उनके सुधार और पुर्नवास के कार्यो में उ0प्र0 ने बड़ी उपलब्धियॉ हासिल की है।
2- बंदियों के कौशल विकास (वोकेशनल ट्रेनिंग) में उ0प्र0 की जेलें देश मे प्रथम-
बंदियों को शिक्षण, प्रशिक्षण और कौशल विकास के कार्यो में सिद्धहस्त करने का सुखद परिणाम निकला है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार कौशल विकास के कार्यों जैसे कृषि, कॉरपेण्टरी, सिलाई, बुनाई, साबुन और फिनायल निर्माण, हैण्डलूम आदि में वर्ष 2021 में उ0प्र0 की जेलों में निरूद्ध कुल 18.3 प्रतिशत बंदियों को दक्ष किया गया है, यह देश में प्रथम स्थान है जबकि राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में क्रमशः मात्र 11.80 प्रतिशत व 0.40 प्रतिशत बंदियों को वोकेशनल ट्रेनिंग दी गयी है।
3- उ0प्र0 की जेलों में वर्ष 2021 में जेल ब्रेक की एक भी घटना नहीं हुई-
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार उ0प्र0 की जेलों में जेल ब्रेक का कोई मामला उ0प्र0 में वर्ष 2021 में घटित नहीं हुआ, जबकि महाराष्ट्र और राजस्थान जैसी जेलों में जेल ब्रेक की क्रमशः 05 व 06 घटनायें हुयी है। इसके अतिरिक्त बंदियों के पलायन की दृष्टि से उ0प्र0 राज्य का देश में 13 वां स्थान है।
4- बंदियों को कम्प्यूटर प्रशिक्षण में उ0प्र0 , देश में प्रथम-
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार 2021 में बंदियों को प्रदान करने के मामलें में उ0प्र0 का स्थान देश में प्रथम है। उ0प्र0 में 1162 बंदियों को कम्प्यूटर में दक्ष किया गया है।