अफसर बदला तो बदल गई मुजफ्फरनगर की जिला जेल - कुख्यात हुए आउट
मुजफ्फरनगर। साल 2017 में जब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री ने बदमाशों के खिलाफ हल्ला बोल अभियान चलाने का आदेश यूपी पुलिस को दिया तो फिर बदमाशों ने यूपी की जेलों को ही अपनी सबसे सुरक्षित पनाहगाह समझा।
इधर यूपी पुलिस बदमाशों के खिलाफ हल्लाबोल अभियान चला रही थी, उधर कभी अमिताभ बच्चन की फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल में हाउसफुल का बोर्ड लगने की तर्ज पर यूपी के कुख्यात बदमाश जेलों में भी हाउसफुल का बोर्ड टांगने के लिए बेताब हो रहे थे। ऐसे में अपराध की राजधानी कहे जाने वाले मुजफ्फरनगर की जिला कारागार में बदमाशों ने फटाफट अपनी एंट्री करनी शुरू कर दी। जेल में कई कुख्यात बदमाश बैरक में बंद हो गए। जेल के बाहर अपराध की दुनिया में तहलका मचाने वाले कुख्यात अपराधी अब जेलों में अपनी दादागिरी का मंजर दिखाने लगे थे। जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुजफ्फरनगर जिला जेल में बंदी रक्षक चुन्नीलाल की हत्या के बाद कुख्यात बदमाश अपना मर्तबा बुलंद किए हुए थे। जेल की बैरक में पंचायत लगाने से लेकर, किस बैरक में कौन बंदी रहेगा, यह जेल में बंद कुख्यात अपराधी तय करते थे। जो बंदी इन कुख्यात अपराधियों की सेवा में रहता था, उसको मुजफ्फरनगर जेल में छूट थी लेकिन जिसने भी कुख्यात अपराधियों की शान में गुस्ताखी की, उनके लिए जिला जेल में भी बख्शीश की कोई गुंजाइश नहीं रहती थी।
ऐसे में 7 जून 2021 को मुजफ्फरनगर जिला कारागार के अधीक्षक के रूप में यूपी जेल के मुखिया आईपीएस अफसर आनंद कुमार ने सीताराम शर्मा को मुजफ्फरनगर जेल का जिम्मा सौंप दिया। अपनी क्षमता से 4 गुना बंदियों को अपने अंदर समाहित करने वाली मुजफ्फरनगर जिला कारागार में सीताराम शर्मा के जेल अधीक्षक के रूप में कार्यभार संभालने के बाद उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती जेल में बंद कुख्यात अपराधियों को पर लगाम लगाने की थी और उसमें वह किसी हद तक सफल भी हो गए। जेल सूत्रों के मुताबिक जेल अधीक्षक ने जेल में बंद कुख्यात माफिया रहे विक्की त्यागी की पत्नी मीनू त्यागी, सहारनपुर के मशहूर सट्टा किंग सनी चिढ़ा, कुख्यात अपराधी सुशील मूंछ सहित 11 लोगों को प्रशासनिक आधार पर मुजफ्फरनगर जेल से अन्य जिलों में स्थानांतरित करा दिया। जेल सूत्रों के मुताबिक जिला कारागार में बंद इन माफियाओं का जिला जेल में पूरी तरह से भौकाल बना हुआ था और इनके इनकी क्रिमनल हिस्ट्री को देखते हुए जिला कारागार में सभी लोग चुप्पी साधे रहते थे। इनके जाने के बाद जेल में राहत की सांस ली गयी थी। बताया जाता है कि मीनू त्यागी के जेल ट्रांसफर के बाद तो कई महिला बंदियों ने जेल अधीक्षक को चिट्ठी लिखकर धन्यवाद भी दिया था।
जेल से जुड़े भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक सीताराम शर्मा ने जेल अधीक्षक के रूप में जब कार्यभार संभाला, तब जेल में कुछ बंदियों की भूख हड़ताल चल रही थी। बताया जाता है कि मुजफ्फरनगर से पहले उरई जनपद में पोस्टिंग के दौरान जेल में होने वाली भूख हड़ताल पर जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने ऐसा फार्मूला अपनाया था कि उनकी तैनाती के दौरान उरई जिला कारागार में फिर भूख हड़ताल नहीं हुई। उसी फार्मूले का शिकार मुजफ्फरनगर जनपद का रहने वाला एक बदमाश जो उस समय उरई जेल में जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के उस फार्मूले का इस्तेमाल कर चुका था। बताया जाता है कि यही बदमाश जब सीताराम शर्मा जेल अधीक्षक के रूप में मुजफ्फरनगर आए तो मुजफ्फरनगर जिला कारागार में आया हुआ था। उसने ही हड़ताल पर बैठे बंदियों को जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा के फार्मूले के बारे में बताया तो जेल में बंद बंदियों ने भूख हड़ताल अपने आप ही वापस ले ली थी।
जेल से जुड़े सूत्रों के मुताबिक 11 कुख्यात बदमाशों के जेल ट्रांसफर होने के बाद बहुत से बंदियों ने राहत की सांस ली और उसी का नतीजा रहा कि कभी घटनाओं के लिए बदनाम मुजफ्फरनगर जिला कारागार में इस समय सब ठीक चल रहा है। इसी के साथ ही जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने यूपी जेलों के मुखिया और आईपीएस अफसर आनंद कुमार के निर्देशन में सूबे की जेलों में चल रहे बदलाव के लिए मुजफ्फरनगर की जिला कारागार में भी बंदियों के सुधार एवं उनको आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसा काम किया कि मुजफ्फरनगर जिला कारागार को पिछले दिनों आईएसओ (ISO) सर्टिफिकेट भी मिल गया है।