बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकने में AHTU का महत्वपूर्ण योगदान- ACS चन्द्रा

बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकने में AHTU का महत्वपूर्ण योगदान- ACS चन्द्रा

लखनऊ। श्रम एवं सेवायोजन, अपर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्रा ने कहा कि प्रदेश को बाल श्रम से मुक्त कराने में सिर्फ बाल श्रमिक को कार्य से अवमुक्त कराकर शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराने से ही यह कार्य पूर्ण नहीं होगा, इसके लिए कामकाजी बच्चों को चिन्हित कर उनके परिवारों को भी सूचीबद्ध करना होगा और यह देखना होगा की बाल श्रमिक अपने परिवार की किस समस्या से ग्रसित होकर बाल श्रम करने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि यदि परिवार की किसी आर्थिक समस्या के कारण बच्चे से बाल श्रम कराया जा रहा है, तो उसको पात्रता के अनुसार प्रदेश सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से आच्छादित कर लाभान्वित कराया जाये और यदि परिवार किसी सामाजिक समस्या के कारण अपने बच्चे से बाल श्रम करा रहा है तो उसकी काउन्सिलिंग कर उसके बच्चे को शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराया जाए।

अपर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्रा ने यह विचार आज लखनऊ स्थित होटल पिकेडली में बाल श्रम उन्मूलन एवं पुनर्वासन विषय पर श्रम विभाग एवं आईएलओ के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में व्यक्त किये।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित अपर मुख्य सचिव सुरेश चन्द्रा ने कहा कि बच्चों की ट्रैफिकिंग को रोकने में एण्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट का भी महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बाल श्रम मुक्त कराने में हमें बाल श्रम उन्मूलन का वृहद स्तर पर प्रचार-प्रसार करना होगा और बाल श्रम उन्मूलन को एक जन आंदोलन बनाना होगा। उन्होंने कहा कि बाल श्रम किसी एक व्यक्ति या किसी एक विभाग की समस्या नहीं है। यह पूरे प्रदेश की समस्या है और जब तक इसको एक जन आंदोलन नहीं बनाया जायेगा, तब तक पूरी तरह बाल श्रम का उन्मूलन नहीं हो सकेगा।

कार्यक्रम में श्रम आयुक्त, शकुन्तला गौतम ने कहा प्रदेश सरकार का संकल्प है कि प्रदेश को आगामी 05 वर्षों में बाल श्रम मुक्त घोषित किया जाये। उन्होंने कहा कि प्रदेश को आगामी 05 वर्षों में बाल श्रम मुक्त घोषित कराये जाने के लक्ष्य की पूर्ति सिर्फ श्रम विभाग के प्रयास से सम्भव नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रम विभाग के साथ-साथ प्रदेश के अन्य स्टेकहोल्डर्स विभागों को भी इसमें सहयोग करना होगा साथ ही यूनीसेफ और आई0एल0ओ0 को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।

श्रम आयुक्त ने आगे बताया कि वर्ष 2017 में श्रम विभाग द्वारा यूनीसेफ के सहयोग से नया सवेरा योजना का शुभारम्भ किया गया। इसका संचालन एक पायलट योजना के रूप में प्रदेश के 20 बाल श्रम से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यूनीसेफ के सहयोग से प्रत्येक जिले में एक तकनीकी रिसोर्स पर्सन कार्यरत है। तकनीकी रिसोर्स पर्सन द्वारा जिले में कामकाजी बच्चें को चिन्हित कर शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराया जा रहा है। उन्होंने बताया कि नया सवेरा योजना के माध्यम से प्रदेश के 50000 से अधिक बच्चों को चिन्हित कर शिक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित कराया जा चुका है और साथ ही उनके परिवारों को भी विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से आच्छादित कर लाभान्वित कराया जा रहा है।

कार्यशाला में सचिव, उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड निशा ने बताया कि उ0प्र0 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड अब पूरी तरह से ऑनलाइन कर दिया गया है। बोर्ड के अन्तर्गत पात्र श्रमिकों को पंजीकरण हेतु ऑनलाइन आवेदन करना होता है और ऑनलाइन ही पंजीकरण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराया जाता है। यू०पी०बी०ओ०सी० बोर्ड इस वक्त 40 श्रेणियों के श्रमिकों को आच्छादित कर योजनाओं से लाभान्वित कर रहा है।

सचिव ने बताया कि यू०पी०बी०ओ०सी० बोर्ड शीघ्र ही उ0प्र0 के निर्माण श्रमिकों के बच्चों के लिए अटल आवासीय विद्यालय का शुभारम्भ करने जा रहा है। अटल आवासीय विद्यालय मा0 मुख्यमंत्री जी की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है। अटल आवासीय विद्यालय के अन्तर्गत निर्माण श्रमिकों के बच्चों को शिक्षित किया जायेगा।

कार्यशाला में आई०एल०ओ० उप निदेशक, सतोषी ससाकी ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह हमारे लिए बहुत ही बड़ी उपलब्धि है कि आज आई0एल0ओ0, यूनीसेफ और प्रदेश सरकार एक ही मंच पर आकर बाल श्रम उन्मूलन के लिए मौजूद है। उ0प्र0 सरकार का लक्ष्य है की प्रदेश को आगामी 05 वर्षों में बाल श्रम मुक्त करना है इसके लिए आई०एल०ओ० प्रदेश सरकार के साथ कटिबद्ध है और यह लक्ष्य प्राप्त करने में पूर्ण सहयोग प्रदान करेगा।

ससाकी ने कहा कि सतत विकास लक्ष्य में भी बाल श्रम उन्मूलन सम्मिलित है। इसीलिए सतत विकास लक्ष्यों की पूर्ति होने में भी बाल श्रम एक चुनौती है। वर्तमान में आई०एल०ओ० उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में पायलट परियोजना के रूप में स्टडी कार्य कर रहा है, जिससे की बाल श्रम उन्मूलन में काफी मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वृहद स्तर पर अन्य मण्डलों व जिलों में भी कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा, ताकि बाल श्रम उन्मूलन के प्रति एक प्रभावी संदेश दिया जा सके।

कार्यशाला में यूनीसेफ, लखनऊ से अमित महरोत्रा प्रोग्राम मैनेजर ने अपने वक्तव्य में कहा कि हम प्रदेश सरकार के साथ पिछले कई वर्षों से कई विभागों के साथ कार्य कर रहे हैं साथ ही गत 05 वर्षों से श्रम विभाग के सहयोग से प्रदेश में नया सवेरा योजना का संचालन कर रहे हैं। वर्तमान में उ0प्र0 सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश को आगामी 05 वर्षों में बाल श्रम मुक्त कराया जाना है इसके लिए हम श्रम विभाग के साथ मिलकर एक राज्य स्तरीय कार्ययोजना तैयार कर रहे है शीघ्र ही हम राज्य कार्ययोजना को लागू करेंगे और जिलास्तरीय कार्ययोजना तैयार करके इसको क्रियान्वित करायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश को बाल श्रम मुक्त कराने में यूनीसेफ प्रदेश सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि उन्हंे विश्वास है कि आगामी 05 वर्षों में बाल श्रम मुक्त घोषित करायेंगे। कार्यक्रम का संचालन सैयद रिजवान अली राज्य समन्वयक श्रम विभाग ने किया।

कार्यशाला में विशेष सचिव श्रम, पी०पी सिंह, अभियन्ता श्रम विभाग, गौरव कुमार, उप श्रमायुक्त राकेश द्विवेदी, उप श्रमायुक्त, शमीम अख्तर, यूनीसेफ, ऋत्विक पात्रा, एंटनी यूनीसेफ पियूष, आई0एल0ओ0 बंसारी नाग, आई0एल0ओ0 नरसिम्हन, राज्य समन्वयक रिज़वान अली के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

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