इण्टीग्रेटेड शुगर कॉम्पलेक्स की स्थापना- किसानों में खुशी की लहर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गजरौला (अमरोहा) मिल क्षेत्र के गन्ना किसानों की वर्षों पुरानी मॉग पूर्ण करते हुये गन्ना किसानों के हित में गजरौला की पुरानी चीनी मिल के स्थान पर आधुनिक इण्टीग्रेटेड शुगर कॉम्पलेक्स की स्थापना का निर्णय लिया गया है। आधुनिक शुगर कॉम्पलेक्स के अन्तर्गत गजरौला चीनी मिल की गन्ना पेराई क्षमता 2500 टन प्रतिदिन से बढ़ाकर दोगुनी करने का निर्णय लिया गया। गजरौला में इण्टीग्रेटेड शुगर काम्पलेक्स स्थापित करते हुये रिफाइंड शुगर उत्पादन के साथ केन जूस/सी-हैवी/बी-हैवी से एक लाख लीटर एथनॉल प्रतिदिन उत्पादन की आसवनी तथा प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बायोगैस प्लान्ट की स्थापना भी की जायेगी। चीनी मिल में बाई-प्रोडक्ट्स शीरा, बैगास, प्रेसमड का बेहतर उपयोग कर आय के अतिरिक्त स्रोत सृृजन से मिल लाभ अर्जित करेगी तथा गन्ना मूल्य भुगतान मेें सुगमता होगी।
इस संबंध मे विस्तृत जानकारी देते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि इण्टीग्रेटेड शुग्रर कॉम्पलेक्स की स्थापना एवं गजरौला चीनी मिल की पेराई क्षमता के विस्तार से मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि (20 किलो मीटर) में आने वाले क्षेत्र के लगभग 40,000 गन्ना किसान लाभान्वित होगें। इससे किसानों की आय लगभग दो़गुनी करने का लक्ष्य प्राप्त करते हुये गन्ना किसानों के परिवार से सम्बन्धित लगभग 2.00 लाख सदस्यों की सामाजिक एवं आर्थिक उन्नति होगी।
उन्होंने यह भी बताया कि गजरौला चीनी मिल में इण्टीग्रेटेड शुगर कॉम्पलेक्स में चीनी मिल, आसवनी एवं सी.बी.जी. प्लान्ट की स्थापना से क्षेत्रीय जनता के लिये 1500 प्रत्यक्ष तथा 6,000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होगें, जिससे क्षेत्र के लोगों का आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान होगा साथ ही मिल क्षेत्र में चाय आदि की दुकानें, भोजनालय, जनरल स्टोर तथा टैªक्टर, ट्रक आदि की मरम्मत की वर्कशॉप खुलने लगेंगी जिससे क्षेत्र का सर्वांगीण विकास सम्भव हो सकेगा।
चीनी मिल की क्षमता बढ़ने से एक पेराई सत्र में लगभग 80-90 लाख कुंटल गन्ने की पेराई होगी, जिससे मिल क्षेत्र के किसानों के गन्ने की ससमय आपूर्ति सुनिश्चित होगी तथा अतिरिक्त गन्ना मूल्य भुगतान से जीवन स्तर में सुधार होगा। गजरौला चीनी मिल दिल्ली-बरेली राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या एन.एच.-9 से मात्र 14 किलो मीटर दूर गजरौला सम्भल मार्ग पर स्थित है। परियोजना के अन्तर्गत आधुनिक तकनीक का ब्वॉयलर लगाये जाने से पर्यावरण पर भी कोई विपरीत प्रभाव नहीं पडे़गा।
प्रेसमड से कम्प्रेस्ड बायो गैस का उत्पादन करने से प्रेसमड का निस्तारण भी सुगमता से हो सकेगा तथा चीनी मिल को अतिरिक्त आय के साथ प्रदूषण में भी कमी आयेगी। चीनी मिल के बाई-प्रोडक्ट, प्रेसमड एवं आसवनी के स्पेन्टवॉश का उपयोग कर कम्प्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन किया जायेगा, जिसका उपयोग वाहनों के ईंधन के रूप में होगा। इससे क्रूड ऑयल न खरीदने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी। आसवनी के ब्वॉयलर की राख से पोटाश ग्रेन्युअल बनाये जायेगें, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी। कम्प्रेस्ड बायोगैस एक ग्रीन फ्यूल है, जिससे पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिलेगी।
गजरौला इण्टीग्रेटेड शुगर काम्पलेक्स के अन्तर्गत चीनी मिल, आसवनी एवं कम्प्रेस्ड बायो गैस प्लान्ट से उत्पादित होने वाले उत्पादों के विक्रय से राज्य सरकार एवं भारत सरकार को लगभग रू.3,000 लाख प्रतिवर्ष का राजस्व प्राप्त होगा।