दीपावली उत्सव मेले ने गरीबों के घरों में जला दिए कर्ज के चिराग
मुजफ्फरनगर। पिछले महीने दीपावली के पर्व पर शहर के नुमाइश मैदान में दीपावली उत्सव मेले का शुभारंभ तो इस मकसद से किया गया था कि पटरी व्यवसाय करने वालो को अतिरिक्त इनकम होगी और शहर एवं ग्रामीण अंचल के लोगों का मनोरंजन होगा, लेकिन लगभग 1 महीने तक चले इस मेले ने गरीब एवं मध्यम वर्ग के परिवारों के घरों में कर्ज के दिए जरूर जला दिए हैं।
गौरतलब है कि सरकार ने पटरी व्यवसाय करने वालो को अतिरिक्त इनकम कराने एंव डूडा के स्वयं सहायता समूहों को मौका देने के मकसद से दीपावली के मौके पर दीपावली उत्सव मेले का शुभारंभ करने की योजना बनायीं थी। इस संबंध में स्थानीय निकाय विभाग ने दिवाली मेले को लेकर जारी पत्र में दिशा निर्देश दिए थे। इसी कारण दीपावली के पावन पर्व के मौके पर मुजफ्फरनगर शहर के नुमाइश मैदान में दीपावली उत्सव मेले की शुरुआत की गई थी ।
कई साल बाद शहर में लगे झूलों एवं मनोरंजन के अन्य संसाधन की शुरुआत हुई तो एक बड़ी भीड़ इस मेले में आने लगी। इस मेले में विभिन्न प्रकार के झूले आरक्षण का केंद्र बने रहे। झूला संचालकों ने पहले तो अपने टिकट की कीमत कम रखी लेकिन जब भीड़ बढ़ने लगी तो उन्होंने भी अपने टिकट के रेट बढ़ा दिए। लगभग 1 महीने तक चले इस दीपावली उत्सव मेले में करोड़ों का कारोबार हुआ, जिसमें झूला संचालकों एवं अन्य दुकानदारों के मुनाफे में काफी इजाफा हुआ लेकिन दूसरी तरफ इस मेले से गरीब एवं मध्यम वर्ग के लोगों को नुकसान उठाना पड़ा।
दरअसल किसी गली मोहल्ले से जब भी परिवार के लोग इकट्ठा होकर मेले के लिए निकलते थे और जब वे वापस आकर अपने गली मोहल्ले में दीपावली उत्सव मेले के अपने सुखद अनुभवों को शेयर करते थे तो गरीब एंव मध्यम परिवार के बच्चे भी अपने परिवार के मुखिया से दीपावली उत्सव मेले में चलने का दबाव बनाते थे। परिवार के मुखिया के सामने संकट खड़ा हो जाता था कि इधर तो बच्चों का मन रखना है और उधर उनकी जेब इसकी अनुमति नहीं दे पा रही है, लेकिन अपने बच्चों का मन रखने के लिए गरीब एवं मध्यम परिवार के मुखिया ने अपने मिलने वालों एवं रिश्तेदारों से उधार की रकम लेकर अपने बच्चों को दीपावली उत्सव मेले में घुमाया।
अब मेला खत्म हो चुका है तो उधार देने वालों ने उधार लेने वालों से पर अपना कर्जा वापस मांगना शुरू कर दिया है। अब पहले कोरोना के कारण रोजगार से कमर टेढ़ी करवा चुके इन लोगों के पास इधर कारोबार का संकट है तो उधर उधारी चुकाने का दबाव।