मुस्लिम धर्मगुरु गाजी फकीर का निधन
जैसलमेर। मुस्लिम सिंधी मुस्लिम धर्मगुरु गाज़ी फ़कीर का आज राजस्थान में जोधपुर के निजी अस्पताल में निधन हो गया।
राजस्थान के कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद के पिता गाजी फकीर लम्बे समय से बीमार थे। उन्हें जोधपुर में शुभम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां कल रात उन्होंने अंतिम सांस ली। दोपहर में उनकाे पैतृक गांव पैगांव झाबरा में भारी जनसमूह की मौजूदगी में सुपुर्द-ए-ख़ाक कर दिया गया।पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में अपना गहरा प्रभाव रखने वाले सिंधी मुसलमानो के धर्मगुरु हाजी गाजी फकीर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का चेहरा थे। गाजी फकीर परिवार के सियासी इतिहास की बात करें तो फकीर परिवार 1975 में राजनीति में आया था। गाजी फकीर का राजनीति में लाने वाले जैसलमेर के तत्कालीन विधायक भोपाल सिंह थे।
गाजी फकीर ने जैसलमेर में सियासी वर्चस्व स्थापित करने के लिए पहला दांव 1985 में खेला। विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर भोपाल सिंह मैदान में थे। बीजेपी की ओर से जुगत सिंह चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन फकीर परिवार ने निर्दलीय मुल्तानाराम बारूपाल को मैदान में उतारकर मुस्लिम-मेघवाल गठबंधन का फॉर्मूला पेश किया। मुस्लिम-मेघवाल गठबंधन के इसी फॉर्मूले के सहारे फकीर परिवार पिछले 35 सालों से जैसलमेर की राजनीति उनके इर्दगिर्द घूमती रही है।
जैसलमेर में कांग्रेस के भीतर फकीर परिवार से 1985 के बाद किसी ने सीधी टक्कर नहीं ली। जिसने भी टक्कर लेने की जुर्रत कि तो बाद में उन्हें मजबूर होकर कांग्रेस छोड़नी पड़ी। रणवीर गोदारा से लेकर जितेंद्र सिंह जैसे तमाम उदाहरण मौजूद है। जो जितेंद्र सिंह 1993 में फकीर परिवार की मर्जी के बिना कांग्रेस का टिकट लाए थे, उन्हें भी बाद में वापिस बीजेपी में जाना पड़ा और 1998 में बीजेपी की टिकट पर जैसलमेर विधानसभा से मैदान में उतरना पड़ा और हार का स्वाद भी चखना पड़ा।गाजी फकीर सिंधी मुसलमानों के धर्मगुरु थे, परंतु उन्हें 36 कौम के लोगों से प्यार था। सामाजिक सौहार्द की भावना रखने वाले गाजी फकीर को 36 का प्यार और साथ हमेशा मिलता था।
गाजी फकीर के बेटे शाले मोहम्मद पोकरण विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी से दो बार विधायक रहे है और वर्तमान में राजस्थान की गहलोत सरकार में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री के रूप में काबिज हैं। दूसरे बेटे अब्दुल्ला फकीर जैसलमेर जिला परिषद के जिला प्रमुख रह चुके हैं, तीसरे अमरदीन फकीर राजस्थान युवा कांग्रेस के राज्य उपाध्यक्ष हैं ओर जैसलमेर पंचायत समिति से प्रधान भी रहे है, चैथे बेटे पीराने फकीर, पांचवे बेटे इलियास फकीर राजनीति में है तो वहीं सबसे छोटे बेटे अमीन खान परिवार के व्यवसाय में हैं। गाजी फकीर के भाई स्वर्गीय फतेह मोहम्मद जैसलमेर के जिला प्रमुख भी थे, उनके बेटे गाजी सिकंदर है।
कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद के पिता गाजी फकीर का सीमावर्ती जिले जैसलमेर और बाड़मेर में खासा प्रभाव है। गाजी फकीर दोनों जिलों की राजनीति को खासा प्रभावित करते थे। गाजी फकीर के दोनों प्रमुख दलों के नेताओं के मधुर संबंध थे। यही वजह है कि दोनों दी दलों के कई प्रमुख नेता गाजी फकीर के सम्पर्क में रहते थे।बाड़मेर जैसलमेर में रहने वाले सिंधी मुसलमानों में उनकी बहुत मान्यता है। जैसलमेर-बाड़मेर के साथ ही पाकिस्तान में रहने वाले सिंधी मुसलमानों में गाजी फकीर की बड़ी प्रसिद्धि है।
पाकिस्तान में स्थित पीर पगारो के भारत में प्रतिनिधि की भूमिका वे बरसों से निभाते आ रहे थे। सीमावर्ती क्षेत्र में उन्हें बहुत अधिक मान सम्मान हासिल था। कहा जाता है कि गाजी फकीर का अलग से सामाजिक न्यायालय चलता था। मुस्लिम समाज के बीच होने वाले विभिन्न प्रकार के मसलों को सुलझाने के लिए वह बाकायदा अपना पंचायत लगाकर फैसला देते थे। उनके फैसले को समाज के लोग सहर्ष स्वीकार करते रहे हैं।
वार्ता