बाटा में पहली बार भारतीय बना सीईओ

नई दिल्ली। बहुराष्ट्रीय शू कंपनी बाटा ने अपने 126 साल के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय को अपना ग्लोबल सीईओ बनाया है। बाटा ने संदीप कटारिया को ग्लोबल सीईओ बनाया है, जो फिलहाल इसकी भारतीय ईकाई बाटा इंडिया के सीईओ हैं।
बाटा की शुरुआत थॉमस बाटा ने की थी। एक प्लेन दुर्घटना में 1932 में उनकी मौत हो गई। उनकी मौत के बाद उनके बेटे ने बाटा का कारोबार संभाला और इसे दुनिया भर में फैलाना शुरु किया। कंपनी के विस्तार के लिए और ज्यादा रबर और चमड़े की खोज करते हुए वह भारत पहुंचे और कलकत्ता में अपना कारोबार शुरू किया। भारत में लंबे समय से जूते बनाने वाली कंपनी बाटा किंग बनी हुई है। वैसे तो कहने को ये विदेशी कंपनी है लेकिन इसका दिल है पूरा हिंदुस्तानी। आज से करीब 90 साल पहले देश में इस ब्रांड ने कदम रखा। ये वो दौर था जब हम जापान से जूते मंगवाया करते थे। राजकपूर का वो गाना मेरा जूता है जापानी आपको याद ही होगा। लेकिन धीरे-धीरे देश के मिडिल क्लास का फेवरेट शू बन गया। इसकी लिस्टिंग के 46 साल पूरे हो चुके है।
बाटा शानदार सफर का साथी रहा है। जून 1973 में इसमें किया गया 30,000 रुपये का निवेश आज करीब 1 करोड़ रुपये हो गए। कंपनी के जून 1973 के 1000 शेयर स्प्लिट और बोनस के चलते 2015 तक 7000 शेयर हो गए। कंपनी ने 3 बार राइट्स इश्यू भी दिया है। इस शेयर ने 46 साल में 333 गुना रिटर्न दिया है। बाटा ने पहली फैक्ट्री पश्चिम बंगाल के कोन्नागर में खोली थी, जो बाद में बाटागंज शिफ्ट हो गई। बाटागंज बिहार के बाद फरीदाबाद (हरियाणा), पिनया (कर्नाटक) और होसुर (तमिलनाडु) समेत पांच फैक्टरियां शुरू हुईं। इन सभी जगहों पर चमड़ा, रबर, कैनवास और पीवीसी से सस्ते, आरामदायक और मजबूत जूते बनाए जाते हैं। भारत में बाटा ऐसा शू ब्रांड है, जिसका अपना लॉयल मध्यमवर्गीय ग्राहक समुदाय है।