जिला पंचायत चेयरमैन चुनाव-संयुक्त विपक्ष ने दिखाई एकजुटता-किया मंथन
मुजफ्फरनगर। भारतीय जनता पार्टी की ओर से जिला पंचायत चेयरमैन के पद पर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद चुनावी राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। संयुक्त विपक्ष ने एकजुटता दिखाते हुए गोपनीय बैठक आयोजित की। जिसमें लगभग दो दर्जन नवनिर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों ने शामिल होकर विपक्ष में खासा जोश उत्पन्न किया।
शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई। जिसके चलते राजनीति क्षेत्रों में सत्ता पक्ष और संयुक्त विपक्ष के बीच इस पद के लिए घमासान पूरे आसार बन गये है। संयुक्त विपक्ष की ओर से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर अपना दावा पुख्ता करने के लिए एक गोपनीय बैठक आयोजित की गई। पता चला है कि लोगों की नजरों से दूर हुई इस गोपनीय बैठक में हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुए 21 मेंबर शामिल हुए। जिसे लेकर संयुक्त विपक्ष में उत्साह का माहौल बन गया। बैठक के दौरान विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाते हुए कहा कि उनका कोई भी जिला पंचायत सदस्य पार्टी आदेशों के बाहर ना जाकर संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार को अपना वोट करेगा। संयुक्त विपक्ष के पाले में 21 जिला पंचायत सदस्यों की मौजूदगी ने राजनीतिक क्षेत्रों में एक बार फिर से गर्माहट ला दी है। उधर निर्दलीय रूप से लड़े दो नवनिर्वाचित सदस्यों के रालोद खेमे में आ जाने से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर रालोद का दावा और अधिक पुख्ता हो गया है। यहां यह भी उल्लेखनीय कि रालोद के समर्थन से निर्वाचित हुए जिला पंचायत सदस्यों की संख्या आज दो नए सदस्यों के आ जाने से सम्मानजनक स्थान पर पहुंच गई है। वैसे जिला पंचायत अध्यक्ष पद की बात करें तो राष्ट्रीय लोकदल के पास यह पद जिले में काफी अर्से तक रहा है। तरस पाल मलिक राष्ट्रीय लोक दल की ओर से जिला पंचायत चेयरमैन रह चुके हैं। उनकी पत्नी भी जिला पंचायत चेयरमैन के रूप में कार्य करते हुए इस पद को सुशोभित कर चुकी हैं। इससे पहले पूर्व मंत्री धर्मवीर सिंह एडवोकेट भी जिला पंचायत चेयरमैन के रूप में रह चुके है। संयुक्त विपक्ष के पाले में जिस तरह से आज लगभग दो दर्जन जिला पंचायत सदस्य दिखाई दिए हैं उससे जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर घमासान होने के आसार बन गए हैं। पिछले दिनों तक जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर का काबिज रही भाजपा की राह इस बार इतनी आसान नहीं दिख रही है जितनी पिछली बार थी। बीती योजना में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉक्टर संजीव बालियान के प्रयासों से जिला पंचायत अध्यक्ष का पद भाजपा को एक तरह से थाली में परोसकर आसानी के साथ हाथ लग गया था। बहरहाल जिला पंचायत अध्यक्ष का पद भाजपा और संयुक्त विपक्ष में भले ही किसी के पास जाये, परंतु इतना तो निश्चित है कि संयुक्त विपक्ष और भाजपा के बीच जमकर घमासान होगा।