किसान आंदोलन का असर- भाजपा के प्रति वास्तव में गुस्सा या कुछ और?
मुजफ्फरनगर। राजधानी दिल्ली में कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन का असर जिले में भी दिखाई देने लगा है। किसान आंदोलन को लेकर अब भाजपा लोगों के निशाने पर आ गई है। जिसके चलते भाजपा के प्रति गुस्से को प्रदर्शित करते हुए पोस्टर और बैनर लगाने शुरू कर दिए हैं।
देश की राजधानी दिल्ली के सिंघु बॉर्डर चिल्ला बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर धरना देते हुए किसान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता चैधरी राकेश टिकैत द्वारा रोते हुए भावुक अपील का वीडियो वायरल होने के बाद गांव के लोगों में भाजपा के प्रति अब गुस्सा पनपने लगा है। जिसके चलते जनपद के मोरना ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम करहेड़ा में ग्रामीणों ने भाजपा नेताओं के प्रवेश वर्जित का बोर्ड लगाया है और पोस्टर में सभी भाजपा नेताओं का गांव में आना सख्त मना लिखा गया है।
इतना ही नहीं गांव में लगाए पोस्टर पर किसान मसीहा एवं पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, भाकियू के राष्ट्रीय संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के फोटो एवं पोस्टर में प्रधानमंत्री के फोटो पर रिजेक्टिंग की मोहर लगा दी है। जिससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकार के प्रति लोगों में किस कदर गुस्सा और नाराजगी है। वैसे भाजपा के प्रति यह गुस्सा और नाराजगी कहां तक सीमित है। इसका उदाहरण अभी साफ-साफ देखने को नही मिला है। वह इसलिए कि राजनीति की मौजूदा परिस्थितियों के बीच ऐसा कोई गांव, मौहल्ला और गली नही है जहां भाजपा नेता ना हो। यह पोस्टर और बैनर बाहर से आने वाले भाजपा नेताओं के आने के विरोध में लगाये गये है या इस विरोध के परिदृश्य में स्थानीय भाजपा नेता भी शामिल है?